कानपुर. कानपुर के बिकरु गांव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का मास्टरमाइंड विकास दुबे शुक्रवार को एनकाउंटर में मारा गया। आज हुए एनकाउंटर की चर्चा सभी जगह है, लेकिन आज से 19 साल पहले भी पुलिस ने विकास के एनकाउंटर की तैयारी कर ली थी, लेकिन सियासी संरक्षण के चलते विकास दुबे बच निकला था।
राज्य मंत्री की हत्या के बाद सख्त हुए थे पुलिस के तेवर
अक्टूबर 2001 में कानपुर में राज्यमंत्री संतोष शुक्ला का मर्डर थाने में हुआ था। इसमें विकास दुबे मुख्य आरोपी था। सरेआम थाने में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री की हत्या के बाद कानपुर से लेकर डीजीपी ऑफिस तक हड़कंप मच गया।
कानपुर के वरिष्ठ पत्रकार शरद कुमार बताते हैं कि राज्यमंत्री की हत्या के बाद तब के डीजीपी वीके गुप्ता ने विकास दुबे पर 50 हजार का इनाम घोषित किया था और कानपुर पुलिस को निर्देश दिए थे कि विकास का एनकाउंटर किया जाए। उस समय विकास के 10 साथियों पर 25 हजार का इनाम घोषित किया गया था।
कानपुर के सीनियर जर्नलिस्ट अनूप बाजपेई बताते हैं कि तब विकास की तलाश के लिए 120 पुलिसकर्मियों की टीम बनाई गई थी। इस काम में एसटीएफ भी लगी थी, लेकिन पुलिस सफल नहीं हो पाई। विकास दुबे दो महीने तक फरार रहा और फिर मामला शांत होने पर गिरफ्तारी दी थी।
पुलिस सूत्र बताते हैं कि विकास को फरारी काटने में महारत थी। राज्यमंत्री की हत्या के बाद 2001 दिसंबर में भी उसने जब उसने पुलिस के सामने सरेंडर किया था तब भी उसने सोच समझ कर ही किया था। इस समय भी उसने सोच समझकर ही सरेंडर किया था, लेकिन उस इस बार वह बच नहीं सका और उसका एनकाउंटर हो गया।
एनकाउंटर के डर से ग्रामीणों ने थाना घेर लिया था
जर्नलिस्ट शरद कुमार बताते हैं कि जब दिसंबर में इसे गिरफ्तार कर लिया गया और इसकी जानकारी आसपास के गांव वालों को हुई तो उन्होंने शिवली थाने का घेराव कर दिया। ग्रामीणों को डर था कि पुलिस विकास का एनकाउंटर कर देगी। इस वजह से पुलिस विरोधी खूब नारे लगे। आखिरकार पुलिस को विकास को कोर्ट में पेश करना पड़ा।
यही से विकास चढ़ा राजनीतिक सीढियां
राज्यमंत्री की हत्या के बाद विकास के हौसले बुलंद हो गए। क्योंकि, इसे ग्रामीणों का साथ मिलना भी शुरू हो गया था। लेकिन, यह बात राजनीतिक गलियारे तक पहुंच गई। फिर क्या था चाहे विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा। हर चुनाव में राजनीतिक पार्टियों में उसकी पूछ होने लगी। देखते ही देखते अपराधी विकास दुबे के सियासी कनेक्शन हो गए।स्थितियां यह बन गई की पुलिस भी विकास पर हाथ डालने से पहले सोचती थी।
अभी भी जांच हो तो खुलेंगे कई राज…
जर्नलिस्ट शरद कुमार कहते हैं कि विकास को क्षेत्र में बाहुबली बनाने में सैकड़ों खादी और खाकी के लोग भी इसके जिम्मेदार हैं। अब देखना है कि आतंक का पर्याय बना विकास दुबे तो मारा गया, लेकिन क्या उन लोगों तक जांच की आंच पहुंचेगी।
DB