सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी का पहला दीक्षांत समारोह गरिमामय रूप से हुआ सम्पन्न
प्रदेश के राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने समारोह के अध्यक्ष के रूप में की शिरकत
उच्च शिक्षा मंत्री श्री पटवारी और यूनिवर्सिटी के फाउंडर डॉ. मुजुमदार भी थे मौजूद
मेधावी छात्र-छात्राओं को प्रदान किये गये स्वर्ण पदक
इंदौर: स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी, सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंसेस (एसयूएएस) का पहला दीक्षांत समारोह गरिमामय कार्यक्रम के रूप में आज यहां संपन्न हुआ। प्रदेश के राज्यपाल श्री लालजी टंडन की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री श्री जीतू पटवारी विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे। समारोह में यूनिवर्सिटी के फाउंडर पद्मभूषण डॉ. एस.बी. मुजुमदार, प्रो. चांसलर डॉ. स्वाति मुजुमदार और वाइस चांसलर डॉ. संजय कुमार सहित यूनिवर्सिटी के अन्य स्टाफ एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने कहा कि पुराने समय में देश में शिक्षा के तीन केन्द्र थे। तक्षशिला विश्वविद्यालय जहां था, वो जगह आज पाकिस्तान में हैं। नालंदा विश्वविद्यालय बिहार में था। तीसरी जगह अवंति थी जिसके अंश के रूप में आज मालवा को पहचाना जाता है। आज यदि हम नए भारत के निर्माण की बात करते हैं तो हमें अपने इतिहास को याद रखना होगा। गुलामी वाले इतिहास को नहीं बल्कि नालंदा और तक्षशिला वाले उस इतिहास को जिसके दम पर दुनिया हमें विश्वगुरु मानती थी। उन्होंने कहा कि समय के साथ हमारी संपदाओं को लूटा गया और साहित्य को जलाया गया, लेकिन श्रुति और स्मृति के आधार पर हमारे विद्वानों ने उन्हें पुन: बार-बार लिखा। आज हमें पुरानी नींव पर नए भारत की इमारत खड़ी करना होगी। हमें ऐसे शिक्षण संस्थान बनाने होंगे जहां दूसरे देशों से छात्र पढ़ने आयें। जब वे लौटकर वापस जाएं तो भारत का गुणगान करें। यही हमारे पुन: विश्वगुरु बनने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री श्री जीतू पटवारी ने कहा कि हमें ऐसी शिक्षा व्यवस्था पर जोर देना होगा जो विद्यार्थियों को एक सम्पूर्ण व्यक्ति बनाये। उन्हें शिक्षा के साथ संस्कार दें, देशभक्ति सिखाएं और पर्यावरण के प्रति उन्हें जिम्मेदारी का एहसास करायें। प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को हम उसी ओर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन ये अकेले सरकार के दम पर नहीं हो सकता। इसमें निजी विश्वविद्यालयों की भागीदारी भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी देश का पहला ऐसा संस्थान है जो युवाओं को उद्योगों की जरूरत के मुताबिक शिक्षा दे रहा है और कुशल बना रहा है। हमें ऐसे ही शिक्षण संस्थानों की जरूरत है।
इस अवसर पर यूनिवर्सिटी के फाउंडर पद्मभूषण डॉ. एस.बी. मुजुमदार ने छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि देश की पहली स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी का इतिहास जब भी लिखा जायेगा, आज यहां से डिग्री हासिल कर रहे छात्र उसके पहले पन्ने पर स्थान हासिल करेंगे। आज आपकी शिक्षा भले ही पूरी हो गई हो लेकिन सीखने की शुरूआत अब होगी। आगे चलकर आप समाज का सामना करेंगे। अच्छे और बुरे अनुभव आपको होंगे। ये अनुभव किसी भी प्रोफेसर से ज्यादा शिक्षा देंगे। उन्होंने कहा कि कभी भी उम्मीद न छोड़ें और किसी भी चीज के लिए न नहीं कहें।
समारोह के प्रारंभ में प्रो. चांसलर डॉ. स्वाति मुजुमदार ने कहा कि आज का दिन यूनिवर्सिटी से संबंधित सभी लोगों के लिये यादगार है। वर्ष 2016 में शुरू हुई इस यूनिवर्सिटी की पहली बैच के छात्र-छात्राएं आज अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। यूनिवर्सिटी को आम संस्थानों से अलग बनाने के लिये हमने रेग्यूलर की जगह विशेष कोर्स यहां शुरू किये, क्योंकि हमारा मकसद छात्रों को उद्योगों की मांग के अनुरूप तैयार करना था।
वाइस चांसलर डॉ. संजय कुमार ने यूनिवर्सिटी की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि यहां छात्रों को 70 फीसदी व्यावहारिक ज्ञान दिया जाता है। 30 से ज्यादा प्रयोगशालाओं में अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं। हर 20 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक उपलब्ध है। इसके अलावा उन्होंने अन्य शैक्षणिक गतिविधियों की जानकारी भी दी। कार्यक्रम में राज्यपाल श्री टंडन ने मेधावी छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल प्रदान किये। राष्ट्रगान के साथ गरिमामय समारोह सम्पन्न हुआ।