
अक्षय तृतीया का पर्व हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 30 अप्रैल, बुधवार को है। यह त्योहार पूजा, जप-तप और दान करने का होता है। पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 29 अप्रैल को शाम 5 बजकर 29 मिनट से होगी और इसका समापन 30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर होगा। अक्षय तृतीया का यह त्योहार एक अबूझ मुहूर्त है, जिसमें बिना मुहूर्त के कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। अक्षय तृतीया के दिन बने योगों की बात करें तो इस दिन सूर्य मेष राशि में जबकि मन के कारक चंद्रमा वृषभ रासि में मौजूद रहेंगे। इसके अलावा इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग, रोहिणी नक्षत्र, शोभन योग और बुधवार के संयोग में अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सोने-चांदी से बनी हुई चीजों की खरीदारी करने की मान्यता है। इस दिन खरीदारी, पूजा-पाठ, दान और भगवान के दर्शन करने से कई गुने पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
अक्षय तृतीया पर क्या करें और महत्व
– अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें और मंत्रों का जाप करें।
– अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीसूक्त और रामरक्षा स्त्रोत का पाठ करना बहुत ही शुभ होगा।
– इस दिन पितरों को तर्पण, दान और स्नान का विशेष महत्व होता है।
– शुभ कार्यों के लिए जैसे नया मकान, जमीन खरीदने, नया व्यापार शुरू करने के लिए अक्षय तृतीया का दिन बहुत ही शुभ होता है।
– धर्मग्रंथों के अनुसार स्वर्ण में देवी लक्ष्मी का वास माना गया है, इसलिए इस दिन सोने-चांदी के आभूषण खरीदना काफी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे पूरे साल घर में सुख और समृद्धि आती है।
इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से इनकी कृपा बरसती है।
– बिना पंचांग देखे भी इस दिन कोई भी शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, घर, भूखंड या वाहन आदि की खरीदारी से सम्बंधित कार्य किए जा सकते हैं। व्यापार आरम्भ, गृह प्रवेश, वैवाहिक कार्य, सकाम अनुष्ठान, दान-पुण्य, पूजा-पाठ अक्षय रहता है अर्थात वह कभी नष्ट नहीं होता।