देवी सिंह भाटी ने टाला विधानसभा घेराव, सीएम भजनलाल से मुलाकात के बाद बनी सहमति

 राजस्थान के पूर्व सिंचाई मंत्री देवी सिंह भाटी ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात के बाद विधानसभा घेराव का फैसला टाल दिया। बुधवार देर शाम करीब एक घंटे चली इस बैठक में भाटी की सभी प्रमुख मांगों पर सहमति बनी, जिसके बाद उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कोलायत की जनता को बताया कि मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों को स्वीकार कर लिया है, इसलिए अब विधानसभा घेराव की जरूरत नहीं है।

बैठक में किन मांगों पर बनी सहमति?
बता दें कि भाटी लंबे समय से बीकानेर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) प्यारेलाल शिवरान की नियुक्ति का विरोध कर रहे थे। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की थी कि शिवरान को छुट्टी पर भेजा जाए, जिस पर सरकार ने सहमति जताई।

सिंचाई और किसानों की समस्याओं का समाधान
भाटी ने सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने की मांग की, जिस पर मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का आश्वासन दिया। मूंगफली तुलवाई के दौरान बार-बार बारदाना खत्म होने और अन्य कारणों से किसानों को हो रही परेशानियों को दूर करने के लिए भी निर्देश जारी किए गए।

ओरण संरक्षण और खेजड़ी वृक्ष की कटाई पर रोक
पश्चिमी राजस्थान में रेगिस्तान विस्तार रोकने वाले राज्य वृक्ष खेजड़ी की कटाई को रोकने की मांग की गई। भाटी ने ओरण (परंपरागत गोचर भूमि) के संरक्षण का मुद्दा उठाया, जिस पर मुख्यमंत्री ने सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया। सोलर प्लेट्स को नहरों के ऊपर लगाने का सुझाव भी दिया गया, जिस पर सरकार ने जरूरी कदम उठाने की बात कही।

अपनी ही सरकार से क्यों थे नाराज भाटी ?
3 फरवरी को बीकानेर सर्किट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाटी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार जनप्रतिनिधियों की बातों को नजरअंदाज कर रही है और पुलिस प्रशासन को राजनीति से प्रभावित किया जा रहा है।

विशेष रूप से आईपीएस अधिकारी प्यारेलाल शिवरान की नियुक्ति को लेकर भाटी नाराज थे। उन्होंने आरोप लगाया कि शिवरान को बीकानेर में वर्षों से विभिन्न पदों पर तैनात रखा गया, जबकि किसी भी राजपत्रित अधिकारी को तीन साल से अधिक एक ही जिले में तैनात नहीं किया जा सकता।

भाटी और कोलायत विधायक अंशुमान सिंह भाटी ने इस मामले में चुनाव आयोग, राज्य सरकार और पुलिस विभाग को कई बार शिकायतें दीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इस कारण उन्होंने 6 फरवरी को विधानसभा के सामने अनिश्चितकालीन धरना देने की चेतावनी दी थी।

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