नईदिल्ली: सेमीकंडक्टर क्लस्टर के विकास और उत्पादन को लेकर केंद्र की मोदी सरकार लगातार कदम उठा रही है. बुधवार को एक्सपो मार्ट, ग्रेटर नोएडा में सेमीकॉन इंडिया 2024 का उद्घाटन करते हुए पीएम मोदी ने साफ कर दिया है कि इस सेमीकॉन इंडिया का उद्देश्य भारत को सेमीकंडक्टर के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है.
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “आज सिलिकॉन कूटनीति का युग है.” दरअसल वह आधुनिक दुनिया में सेमी-कंडक्टर और टेक्नोलॉजी के महत्व का जिक्र कर रहे थे. मोदी ने अगले 10 सालों का लक्ष्य निर्धारित करते हुए कहा कि इस दशक के अंत तक हम अपने इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना चाहते हैं, इससे 60 लाख नौकरियां पैदा होंगी. पीएम ने कहा कि आज भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर 150 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा का हो चुका है.
क्या है सिलिकॉन
मोदी ने आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स में एकीकृत सर्किट (Integrated Circuits) के इस्तेमाल का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत ने उद्योग के लिए एक एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान किया है. पीएम ने कहा कि भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी लगाने के लिए 50 परसेंट सपोर्ट भारत सरकार दे रही है. इसमें राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर और मदद कर रही हैं.
दरअसल, सिलिकॉन एक ऐसी सामग्री है जिसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स और सेमी-कंडक्टर बनाने के लिए किया जाता है. हिंदी में सेमीकंडक्टर को अर्धचालक कहा जाता है. इसे इंटीग्रेटेड सर्किट (IC), ट्रांजिस्टर या माइक्रोचिप्स के रूप में जाना जाता है. यह जर्मेनियम, सिलिकॉन या गैलियम आर्सेनाइड जैसे कंपाउंड से बने होते हैं.
पीएम के हालिया विदेशी दौरों पर हुए इसे लेकर समझौते
सिलिकॉन डिप्लोमेसी का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने बताया कि भारत क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में भागीदार है. उन्होंने याद दिलाया कि हाल ही में हमने जापान और सिंगापुर समेत कई देशों के साथ एग्रीमेंट भी साइन किए हैं, इस सेक्टर में अमेरिका के साथ भी भारत अपना सहयोग लगातार बढ़ा रहा है.
दरअसल, जब पीएम मोदी सिंगापुर दौरे पर थे तो 5 सितंबर को भारत-सिंगापुर के बीच सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम पार्टनरशिप को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इस समझौता ज्ञापन में सेमीकंडक्टर क्लस्टर विकसित करने और सेमीकंडक्टर डिजाइन तथा मैन्युफैक्चरिंग में टेलैंट को निखारने में सहयोग की बात कही गई है.
प्रधानमंत्री ने जिस भारत-अमेरिका गठजोड़ का उल्लेख किया है वह भारत-अमेरिका पहल, ‘क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (आईसीईटी)’ का हिस्सा है. यह “भारत में सेमीकंडक्टर डिजाइन, निर्माण और निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास का समर्थन करने” का वादा करता है. उन्होंने कहा, “हमारी सरकार पूरी आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. हमारा लक्ष्य है कि दुनिया भर के सभी उपकरणों में भारत निर्मित चिप हो.”
भारत में कैसा है सिलिकॉन का फ्यूचर
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल उत्पादक और निर्यातक है और 5G हैंडसेट का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. तो इस लिहाज से देखा जाए तो सिलकॉन के क्षेत्र में भारत का भविष्य शानदार दिख रहा है. कोरोना जैसे महासंकट में जब दुनिया के मजबूत से मजबूत बैंकिंग सिस्टम भी चरमरा गए, तब भारत में बैंक बिना रुके चल रहे थे.
पीएम मोदी ने इसका जिक्र करते हुए कहा, ‘भारत का UPI हो, रूपे कार्ड हो, डिजी लॉकर से लेकर डिजि यात्रा तक अलग-अलग तरह के डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, भारत के लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं/ आज भारत आत्मनिर्भर होने के लिए हर सेक्टर में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ा रहा है. आज भारत बड़े पैमाने पर ग्रीन ट्रांजिशन कर रहा है। आज भारत में डाटा सेंटर्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है. यानि वैश्विक सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को ड्राइव करने में भारत बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है.’
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जिन पांच निजी क्षेत्र की सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी दी गई थी, उनमें से दो ने काम शुरू कर दिया है. वह अमेरिकी कंपनी माइक्रोन और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स इकाई का जिक्र कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अन्य तीन पर काम जल्द ही शुरू हो जाएगा.