संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए समन जारी कर सकती है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है.
रिपोर्ट के मुताबिक, नियामक संस्था के कामकाज की जांच हिंडनबर्ग द्वारा अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों और इस मामले में सेबी प्रमुख का नाम शामिल होने के कारण हो रही है.
पीएसी इस मामले में वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालयों के अधिकारियों से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है. बुच को इस मामले में जांच के लिए सितंबर के अंत तक पीएसी के समक्ष पेश होने के लिए बुलाया जा सकता है।
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल की अध्यक्षता वाली पीएसी ने कहा कि वह 2024-25 सत्र के दौरान नियामक संस्थाओं और सेबी के कामकाज की समीक्षा करेगी। इस दौरान माधबी बुच से भी पूछताछ हो सकती है।
कर्मचारी सेबी प्रमुख के इस्तीफे की मांग
इससे पहले, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के सैकड़ों कर्मचारियों ने कल (5 सितंबर) सुबह शीर्ष प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन किया। कर्मचारियों का आरोप है कि शीर्ष प्रबंधन काम पर दबाव डालता है। कर्मचारी सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
पिछले महीने सेबी कर्मचारियों ने इस मामले में वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर विषाक्त कार्य संस्कृति पर चिंता जताई थी। कर्मचारियों ने नेतृत्व पर कठोर भाषा का इस्तेमाल करने, अवास्तविक लक्ष्य निर्धारित करने और माइक्रोमैनेजमेंट का आरोप लगाया था।
ZEE संस्थापक ने सेबी प्रमुख पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया
मंगलवार (3 सितंबर) को जी संस्थापक सुभाष चंद्रा ने सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर पक्षपात, भ्रष्टाचार और अनैतिक व्यवहार का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि सेबी अध्यक्ष भ्रष्ट हैं, क्योंकि सेबी में पदभार ग्रहण करने से पहले बुच और उनके पति की संयुक्त आय करीब 1 करोड़ रुपये प्रति वर्ष थी, जो अब बढ़कर 40-50 करोड़ रुपये प्रति वर्ष हो गई है.