जानिए क्या है वक्फ बोर्ड ? जिसने देश की राजनीति की गर्म, नरसिम्हा राव ने बढ़ाई थी वक्फ बोर्ड की पावर, अब मोदी सरकार कतरेगी पर, समझिए इसकी समस्याएं और विवाद

मोदी सरकार वक्फ बोर्ड में बड़े संशोधन करने जा रही है। केंद्र सरकार इसी सत्र में संसद में संशोधन विधेयक लाने पर विचार कर रही है। इससे पहले शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में वक्फ अधिनियम में 40 संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। बीजेपी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक संशोधन बिल सरकार आज (5 अगस्त) इसे संसद में पेश कर सकती है। संसद में वक्फ एक्ट संशोधन विधेयक पारित होने के बाद वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियां कम हो जाएंगी। बोर्ड किसी भी संपत्ति पर बिना सत्यापन आधिपत्य घोषित भी नहीं कर सकेगा।

वक्फ बोर्ड की पावर को 1995 में नरसिम्हा राव की सरकार में बढ़ाया गया था। उस दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने इस अधिनियम में कई बदलाव किए थे। सबसे पहली बार वक्फ बोर्ड अधिनियम 1954 में संसद से पारित किया गया था। इसके बाद 1995 में इसके अंदर बदलाव किए गए थे। 2013 में इसमें फिर संशोधन किए गए, जिसके बाद वक्फ को असीमित शक्ति और पूर्ण स्वायत्तता मिल गई। आम मुस्लिम, गरीब मुस्लिम महिलाएं, तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के बच्चे, शिया और बोहरा जैसे समुदाय लंबे समय से कानून में बदलाव की मांग कर रहे थे। इन लोगों का कहना था कि वक्फ में आज आम मुसलमानों की जगह ही नहीं है। सिर्फ पावरफुल लोग हैं। वहीं रेवन्यू पर भी सवाल है।

वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उसकी कार्यप्रणाली में संशोधन से संबंधित बिल सरकार इस हफ्ते संसद में ला सकती है। सरकार ने लगभग 40 बदलावों का प्रस्ताव रखा है। विधेयक में वक्फ अधिनियम की धारा 9 और धारा 14 में संशोधन का भी प्रस्ताव है। इस विधेयक को शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इसके तहत वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करना है। बोर्ड की संरचना में परिवर्तन का भी प्रस्ताव है। निकायों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का प्रस्ताव है।

वक्फ बोर्ड क्या है?

वक्फ एक्ट मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों और धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन और नियमन के लिए बनाया गया कानून है। इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का उचित संरक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित करना है ताकि धार्मिक और चैरिटेबल उद्देश्यों के लिए इन संपत्तियों का उपयोग हो सके। वक्फ चूंकि अरबी शब्द है जिसका अर्थ है ‘रोकना’ या ‘समर्पण करना’। इस्लाम में वक्फ संपत्ति एक स्थायी धार्मिक और चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में समर्पित की जाती है, जिसका उपयोग धार्मिक उद्देश्यों, गरीबों की मदद, शिक्षा आदि के लिए किया जाता है। वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड का गठन किया गया है। यह बोर्ड वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण, संरक्षण और प्रबंधन करता है।

वक्फ एक्ट के तहत सभी वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य है। यह पंजीकरण संबंधित राज्य वक्फ बोर्ड में किया जाता है। वक्फ बोर्ड को वक्फ संपत्तियों की देखरेख, मरम्मत और विकास की जिम्मेदारी दी गई है। बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग धार्मिक और चैरिटेबल उद्देश्यों के लिए हो रहा है।

वक्फ बोर्ड को कब अधिकार मिले?

2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 1995 के बेसिक वक्फ एक्ट में संशोधन लाया और वक्फ बोर्डों को और ज्यादा अधिकार दिए थे। अभी बोर्ड के पास वर्तमान में किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार है। तर्क यह दिया जाता है कि ये संपत्ति किसी जरूरतमंद मुस्लिम की भलाई के लिए होगी। हालांकि देखा गया कि प्रभावशाली लोग इन संपत्ति को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। कई संपत्तियों को जबरन वक्फ संपत्ति घोषित करने का विवाद भी सामने आया। वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा दिया गया है, जो किसी ट्रस्ट आदि से ऊपर है। यह अधिनियम ‘औकाफ’ को रेगुलेट करने के लिए लाया गया था। एक वकीफ द्वारा दान की गई और वक्फ के रूप में नामित संपत्ति को ‘औकाफ’ कहते हैं. वकीफ उस व्यक्ति को कहते हैं, जो मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त उद्देश्यों के लिए संपत्ति समर्पित करता है।

वक्फ बोर्ड कैसे काम करता है?

वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करता है. इसको दान का एक रूप माना जाता है। वक्फ मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए दी गई संपत्ति है। संपत्ति और संपत्ति से हुए मुनाफे को हर राज्य के वक्फ बोर्ड प्रबंधन करते हैं। 1954 में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने वक्फ अधिनियम पारित किया था। सरकार ने 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना की थी। 1995 में, प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्ड के गठन की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन किया गया। वक्फ बोर्ड यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि वक्फ संपत्ति से उत्पन्न आय का उपयोग मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए किया जाए। बिहार जैसे राज्यों में अलग-अलग शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड है। वक्फ बोर्ड के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है. देश भर में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 30 वक्फ बोर्ड हैं।

क्या गड़बड़ियां सामने आ रहीं?

सरकार को पता चला है कि राज्य वक्फ बोर्डों को किसी भी संपत्ति पर दावा करने के व्यापक अधिकार मिले हैं, जिसकी वजह से अधिकांश राज्यों में ऐसी संपत्ति के सर्वेक्षण में देरी हो रही है सरकार ने संपत्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए वक्फ संपत्तियों की निगरानी में जिला मजिस्ट्रेटों को शामिल करने की संभावना पर भी विचार किया है। वक्फ बोर्ड के किसी भी फैसले के खिलाफ अपील सिर्फ कोर्ट के पास हो सकती है, लेकिन ऐसी अपीलों पर फैसले के लिए कोई समय-सीमा नहीं होती है. कोर्ट का निर्णय अंतिम होता है। अगर बोर्ड किसी संपत्ति पर अपना दावा कर दे तो इसके उलट साबित करना काफी मुश्किल हो सकता है। वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि इसके फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती। अब तक वक्फ प्रॉपर्टी की ना तो राज्य, ना केंद्र सरकार और ना अदालत जांच कर पाती है। मांग उठाई गई कि इस तरह की कमेटी होनी चाहिए जो रेवन्यू की जांच करे, वक्फ में ट्रांसेरेन्सी हो. वक्फ प्रॉपर्टी सिर्फ मुस्लिमों के भले के लिए होनी चाहिए।

वक्फ से जुड़ी शिकायतें

WAMSI पोर्टल पर 58000 से ज्यादा शिकायतें
राज्य बोर्डों में 12700 से ज्यादा लंबित मामले
न्यायाधिकरणों में 18400 से ज्यादा मामले
SC/HC में 165 से ज्यादा मामले.

क्यों इसे हिंदुओं की संपत्ति छीनने वाला अधिनियम कहा जाता है

  • वक्फ अधिनियम सर्वप्रथम 1954 में पारित किया गया था, लेकिन बाद में 1995 में इसे नए संस्करण द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया, जिससे वक्फ बोर्डों को अधिक शक्तियां प्रदान की गईं।
  • 2013 में अधिनियम में और संशोधन करके वक्फ बोर्डों को कानूनी चुनौती के बिना संपत्ति अर्जित करने के व्यापक अधिकार प्रदान किये गये।
  • 2014 में कांग्रेस पार्टी ने इसी कानून का इस्तेमाल करके दिल्ली में 123 प्रमुख संपत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप हिंदुओं की जमीन चली गई।
  • वक्फ बोर्ड को अब मुस्लिम चैरिटी के नाम पर संपत्तियों पर दावा करने का अधिकार है।
  • यह अधिनियम मूलतः पाकिस्तान से आये हिन्दुओं और विभाजन के दौरान भारत छोड़ने वाले मुसलमानों के बीच संपत्ति विवादों से उत्पन्न हुआ था।
  • वर्तमान में, वक्फ बोर्ड के अधीन 8,54,509 से अधिक संपत्तियां हैं, जिनमें आठ लाख एकड़ से अधिक भूमि शामिल है।
  • वक्फ बोर्ड ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी संपत्ति में काफी विस्तार किया है, हालांकि देश में कुल भूमि का आकार वही है।
  • बोर्ड अक्सर कब्रिस्तानों और अवैध धार्मिक स्थलों के आसपास की भूमि को अपनी संपत्ति मान लेता है, जिसके कारण अतिक्रमण होता है।
  • वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 3 बोर्ड को बिना किसी सबूत की आवश्यकता के केवल अपनी “सोच” के आधार पर भूमि पर दावा करने की अनुमति देती है।
  • यदि बोर्ड किसी संपत्ति पर दावा करता है, तो मालिक अदालत नहीं जा सकता, बल्कि उसे वक्फ न्यायाधिकरण न्यायालय में जाना होगा।
  • अधिनियम की धारा 85 न्यायाधिकरण के निर्णय को अंतिम बनाती है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय भी चुनौती नहीं दे सकता।
  • अधिनियम की धारा 40 के तहत साक्ष्य प्रस्तुत करने का भार भूमि स्वामी पर डाल दिया गया है, जिससे बोर्ड के दावों का विरोध करना अत्यंत कठिन हो गया है।
  • भारत में वक्फ अधिनियम अद्वितीय है, क्योंकि हिंदुओं, ईसाइयों या सिखों के लिए समान कानून नहीं हैं।
  • इसके विपरीत, 1991 का उपासना स्थल अधिनियम धार्मिक स्थलों को उसी रूप में संरक्षित करता है, जैसा वे भारत की स्वतंत्रता के समय थे।
  • भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में वक्फ अधिनियम का अस्तित्व संदिग्ध है, क्योंकि यह एक धार्मिक समूह को विशेष अधिकार देता है।
  • उल्लेखनीय बात यह है कि कई मुस्लिम देशों में समतुल्य वक्फ बोर्ड या वक्फ कानून नहीं हैं।
  • कुछ लोगों का तर्क है कि भारत में वक्फ अधिनियम को निरस्त कर दिया जाना चाहिए क्योंकि इसे असंवैधानिक माना जाता है।
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