हरियाली तीज का त्योहार 7 अगस्त 2024 को है। हिंदू धर्म में सिंधारा दूज हरियाली तीज से एक दिन पहले मनाई जाती है। सावन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाने वाली सिंधारा दूज और हरियाली तीज का गहरा संबंध है। इसे सिंजारा भी कहते हैं। हरियाली तीज से एक दिन पहले सिंधारा में मायके से बेटी के लिए कुछ खास सामान भेजा जाता है। सिंधारा दूज का महत्व विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। आइए जानते हैं सिंधारा दूज की तिथि, हरियाली तीज पर सिंजारा का महत्व और सामग्री।
सिंधारा दूज 2024 तिथि
इस वर्ष सिंधारा दूज का त्यौहार हरियाली तीज से एक दिन पहले 6 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। इसमें अगर बेटी ससुराल में है तो उसके मायके से सिंधारा भेजा जाता है और अगर बहू मायके गई हुई है तो उसके ससुराल से सिंधारा भेजा जाता है।
हरियाली तीज पर सिंधारा दूज का महत्व
सिंधारा की परंपरा विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में निभाई जाती है। हरियाली तीज से एक दिन पहले विवाहित महिलाओं के मायके या ससुराल से सोलह श्रृंगार का सामान भेजा जाता है, इसे सिंधारा कहते हैं। इसमें कपड़े, श्रृंगार का सामान, मिठाई भेजी जाती है। मान्यता है कि सिंधारा की परंपरा निभाने से बहू और बेटी को हमेशा अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।
सिंधारा दूज कैसे मनाई जाती है (सिंधरा दूज विधि)
सिंधरा दूज नवविवाहिता के लिए बेहद खास त्योहार है। कई जगहों पर शादी के बाद नवविवाहिताएं अपने मायके में पहली हरियाली तीज मनाती हैं। उनके लिए ससुराल से सिंधारा आता है, जिसमें सुहाग का सामान, कपड़े, आभूषण होते हैं। इन्हें पहनकर वह हरियाली तीज की पूजा करती हैं। सिंधोरा में मिले उपहार भी एक-दूसरे को बांटे जाते हैं। फल, मिठाई, उपहार, कपड़े और सुहाग का सामान बांटने का भी रिवाज है।
सिंजारा में ये खास सामान होते हैं
हरी चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, काजल, मेहंदी, नथ, गजरा,
मांग टीका, कमरबंद, बिछिया, पायल, झुमके, बाजूबंद,
अंगूठी, कंघी आदि दिए जाते हैं। सोने के आभूषण
मिठाई – घेवर, रसगुल्ला, मावा बर्फी भी भेजी जा सकती है।
बहू और बेटी के अलावा परिवार के लिए कपड़े।
क्या है सिंधारा दूज ?
सिंधारा दूज हरियाली तीज से एक दिन पहले आती है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के साथ-साथ गौरी पूजा भी पूरे विधि-विधान से की जाती है। सिंधारा दूज को गौरी द्वितीया, सौभाग्य दूज या स्थान वृद्धि के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, इसे मुख्य रूप से नई दुल्हन या बहुओं का त्योहार माना जाता है। इस दिन सास अपनी बहुओं को उपहार देती हैं। सिंधारा दूज के दिन बहुएं अपने माता-पिता द्वारा दिए गए धन को लेकर ससुराल लौटती हैं। शाम को गौरी माता/देवी पार्वती की पूजा करने के बाद मायके से लाए गए धन को अपनी सास को देती हैं।
सिंधारा दूज पर उपाय
- सिंधारा दूज पर गरीबों को गुड़ दान करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
- सिंधारा दूज पर किसी गरीब को सफेद कपड़े दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही चंद्र देव और भगवान शिव की कृपा भी मिलती है।
- सिंधारा दूज पर महिलाएं मंदिर में जाकर देवी पार्वती को 16 श्रृंगार अर्पित करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
- सिंधारा दूज पर चावल और दूध से बनी खीर का दान करना शुभ माना जाता है। इससे जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सफलता के रास्ते खुलते हैं।