रायबरेली में मिली बड़ी जीत ने राहुल गांधी की चुनौतियों को बढ़ा दिया है। 2019 में जीत के बाद से सोनिया गांधी ने पांच साल तक स्वास्थ्य कारणों से रायबरेली से दूरी बनाए रखी। उनके प्रतिनिधि केएल शर्मा ने किसी तरह स्थानीय लोगों को गांधी परिवार से जोड़े रखा।दूरी की वजह से रायबरेली में सांगठनिक रूप से कांग्रेस कमजोर हुई। यही कारण रहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों को करारी हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में राहुल के सामने संगठन को मजबूत करने के साथ ही जनता के वादों पर खरा उतरने की कड़ी चुनौती भी है। जिले के लोगों के सीधे संपर्क की आस को भी राहुल को पूरा करना होगा।
विस चुनाव में हो गया था सूपड़ा साफ, करना होगा बहुत काम
लोकसभा चुनाव में तो हर बार गांधी परिवार के साथ जिले की जनता खड़ी रही, लेकिन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को लगातार हार मिल रही है।जिले से लेकर गांव स्तर तक संगठन की कमजोरी के कारण 2022 के चुनाव में सभी विधानसभा सीटों पर न केवल कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ, बल्कि प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई। 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राहुल को कड़ी मेहनत करनी होगी। रायबरेली में पहले की तरह विधानसभा की सभी सीटों पर परचम लहराना राहुल गांधी के लिए बड़ी चुनौती है।