इंदौर के एमआर-10 ब्रिज के टोल टैक्स से 18 साल बाद वाहन चालकों को मुक्ति मिली और अब टोल नाके को भी तोड़ा जा रहा है। टैक्स खत्म होने के बाद कंपनी ने यहां कर्मचारी हटा लिए थे। उसके बाद नाका ट्रैफिक में बाधक बन रहा था। इंदौर विकास प्राधिकरण ने ठेकेदार कंपनी को नाका तोड़ने के लिए कहा था।
शनिवार से नाका तोड़ने का काम शुरू हो गया। इस कारण मध्य लेन से ट्रैफिक का आवाजाही पर रोक दी गई हैै। नाका तोड़ने में सात दिन का समय लगेगा,क्योकि नाके का पक्का निर्माण किया गया था। पहली मंजिल पर दो बड़े हाॅल भी बनाए गए थे। इसके अलावा छत पर बड़ा होर्डिंग भी लगाया गया था।
टैक्स वसूलने की समयसीमा खत्म होने के बाद प्राधिकरण अफसरों ने एक माह के भीतर नाका तोड़ने के निर्देश दिए थे,क्योकि ट्रैफिक के बढ़ते के कारण प्राधिकरण पुराने ब्रिज के पास एक और फोरलेन ब्रिज का निर्माण कर रहा है। इसका फिजिबिलिटी सर्वे कराया जा रहा है। तीन साल के भीतर नया ब्रिज बनकर तैयार हो जाएगा, क्योकि वर्ष 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ मेले लगने वाला है। तब सबसे ज्यादा ट्रैफिक का दबाव इस मार्ग पर ही रहेगा।
वर्ष 2004 में सिंहस्थ मेले को देखते हुए इंदौर विकास प्राधिकरण ने चंद्रगुप्त मोर्य प्रतिमा से सांवेर रोड तक सड़क बनाई थी। रेलवे ट्रेक पर तब प्राधिकरण ने ब्रिज बनाने की अनुमति ली थी। तब प्राधिकरण के पास ज्यादा राशि नहीं थी। इस कारण ब्रिज का जिम्मा महू की जिस कंपनी को दिया गया।
उसे 18 साल तक टोल टैक्स वाहन चालकों से लेने का अनुबंध प्राधिकरण ने किया था। आठ साल पहले ब्रिज नगर निगम सीमा का हिस्सा बन गया था। इस कारण इंदौर के वाहनों से टोल टैक्स नहीं लिया जाता था, लेकिन बाहरी वाहनों से टैक्स लिया जा रहा था।