नई दिल्ली- अगले कुछ दिनों या हफ्तों में सुप्रीम कोर्ट अयोध्या जमीनविवाद में फैसला सुनाने वाला है। इससे पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी फैसले के बाद की परिस्थितियों के मद्देनजर समाज में सौहार्दपूर्ण माहौल कायम रखने के लिए अपनी तैयारियां शुरू कर चुका है। इसके लिए संघ के नेता भाजपा नेताओं और केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मिलकर बातचीत कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद क्या करना है और क्या नहीं करना है इसका हल ढूंढ़ने की कोशिश की जा रही हैं। 30 अक्टूबर से 1 नवंबर तक दिल्ली के छतरपुर इलाके में आयोजित इस उच्चस्तरीय बैठक अयोध्या के अलावा जम्मू-कश्मीर से लेकर सीटीजनशिप अमेंडमेंट बिल तक को लेकर विचार-विमर्श किए जाने की जानकारी है। इस बैठक कई अहमियत का अंदाजा इसी से लग सकता है कि इसमें गृहमंत्री अमित शाह और संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल हुए हैं।
अयोध्या पर फैसले से पहले मंथन
दिल्ली के छतरपुर इलाके में स्थित अध्यात्म साधना केंद्र में संघ के वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक हुई। ये बैठक बुधवार को ही शुरू हुई थी और पहले दिन इसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी पहुंचे थे। बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा इसमें बुधवार और गुरुवार दोनों दिन मौजूद रहे। सूत्रों के मुताबिक इसमें मुख्यतौर पर अयोध्या पर आने वाले फैसले को लेकर ही चर्चा की गई। आरएसएस को कहीं न कहीं लगता है कि फैसला उसके पक्ष में ही आ सकता है इसलिए संघ के अधिकारी मानते हैं कि फैसले के बाद लोगों में उत्साह का माहौल पैदा हो सकता है, इसलिए हर व्यक्ति की यह जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करें कि दूसरे समुदाय की भावना आहत न होने पाए। संघ के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि फैसले के बाद अति उत्साह में किसी खास समुदाय के प्रभाव वाले इलाकों में किसी तरह के जुलूस निकालने से बचना चाहिए।
शांति सुनिश्चित करने को लेकर चर्चा
आरएसएस के एक अधिकारी ने कहा कि भाजपा और संघ दोनों मिलकर यह प्रयास करेंगे कि किसी भी स्थिति में शांति भंग न होने पाए। उन्होंने कहा कि फैसले पर निर्भर करता है कि लोग मशाल जुलूस निकालकर या उपासना स्थलों पर जाकर अपनी भावनाएं जाहिर कर सकते हैं, लेकिन इससे किसी व्यक्ति या समुदाय की भावना आहत नहीं होनी चाहिए। उनके मुताबिक चर्चा के दौरान इन्हीं सब बातों पर विचार-विमर्श किया गया। इससे पहले बुधवार को संघ की ओर से कहा गया था कि यह सबकी जिम्मेदारी है कि सौहार्द का माहौल सुनिश्चित हो। गुरुवार को हुई बैठक में आरएसएस सर संघचालक मोहन भागवत और वरिष्ठ अधिकारी सुरेश भैय्याजी जोशी, दत्तात्रेय होसाबले और मनमोहन वैद्य, वीएचपी के जस्टिस वीएस कोकजे और आलोक कुमार के अलावा दूसरे अधिकारी और क्षेत्रीय प्रचारक मौजूद थे।
जम्मू-कश्मीर की हालात को लेकर भी हुई बात
माना जा रहा है कि इस चर्चा में जम्मू-कश्मीर और सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल को लेकर भी बातचीत हुई। यह भी एक संयोग ही है कि 31 अक्टूबर को ही जम्मू-कश्मीर का दो केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में गठन हुआ है। माना जा रहा है कि इस बैठक के दौरान बीजेपी नेतृत्व ने संघ नेतृत्व को जम्मू-कश्मीर में जारी गतिविधियों की भी जानकारी दी।