बुरहानपुर जिले के आरटीआई कार्यकर्ता डाॅ आनंद दीक्षित द्वारा आरटीआई के माध्यम से बुरहानपुर जनपद में हुए 70 लाख के गबन का खुलासा 22 जवनवरी 2019 को किया था, मामला था वृद्धावस्था पेंषन योजना में 70 लाख का गबन करने का, जिसमें तत्कालीन सहायक लेखा अधिकारी दीपक दीक्षित ने उसके भांजे शुभम त्रिवेदी जो कि खरगोन में निवासरत है और स्वयं के पुत्र कुष दीक्षित के निजी खातों में शासकिय पैसा डालकर उसका गबन किया करता था, जिसका खुलासा आरटीआई के माध्यम से किया गया, जिसके बाद अब इसमें कोतवाली थाना में एफआईआर दर्ज की गई हैं, किंतु वर्तमान जनपद सीईओ जो एफआईआर की गई है उसमें केवल इन तीनों लोगों पर ही एफआईआर दर्ज कराई गई हैं जबकि इनमें जनपद पंचायत के दो तत्कालीन मुख्यकार्यपालन अधिकारीयों के नाम भी दिए गए थे जिन्हे हटाया दिया गया हैं।
बुरहानपुर जनपद में वर्ष 2012 से मार्च 2017 के बीच वृद्धावस्था पेंषन की शासकिय राषि गबन करने के संबंध में डाॅ. आनंद दीक्षित द्वारा आरटीआई के माध्यम से निकाले गए दस्तावेजों के साथ शिकायत की गई थी कि वृद्धावस्था पेंषन योजना में 70 लाख का गबन तत्कालीन सहायक लेखा अधिकारी दीपक दीक्षित ने उसके भांजे शुभम त्रिवेदी जो कि खरगोन में निवासरत करता हैं के बैंक एकाउंट के जमा कर उसका गबन किया गया हैं, जिस पर जिला पंचायत द्वारा भी एक जांच कमेटी बैठाई गई थी जिसमें इस गबन को सत्य पाया गया और वर्तमान बुरहानपुर जनपद सीईओ कमलकुमार खेडे को स्पष्ट रूप से लिखा गया हैं कि बुरहानपुर जनपद में पदस्थ तत्कालीन सीईओ अनिल पवार, राकेष शर्मा और तत्कालीन लेखा अधिकारी दीपक दीक्षित तथा अशासकिय लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही किए जाए किंतु वर्तमान जनपद सीईओ कमलकुमार खेडे द्वारा जो एफआईआर की गई है उसमें केवल तत्कालीन सहायक लेखा अधिकारी दीपक दीक्षित, उसके भांजे शुभम त्रिवेदी जो कि खरगोन में निवासरत है और स्वयं के पुत्र कुष दीक्षित इन तीनों लोगों पर ही एफआईआर दर्ज कराई गई हैं जबकि इनमें जनपद पंचायत के दो तत्कालीन मुख्यकार्यपालन अधिकारी अनिल पवार और राकेश शर्मा नाम हटाया दिया गया, जिस पर आपत्ति लेते हुए डाॅ. आनंद दीक्षित ने इन दोनों अधिकारीयों पर भी एफआईआर दर्ज करने की मांग की है, तथा उनकी षिकायत के साथ छेडछाड करने का भी आरोप लगाया है।
डाॅ. आनंद दीक्षित का कहना है कि आरटीआई कार्य वहीं जब इस संबंध में वर्तमान जनपद सीईओ कमलकुमार खेडे से चर्चा की गई तो वे गोलमोल जवाब देते नजर आए और कहने लगे अभी विभागीय जांच नहीं हुई हैं इसलिए इन दोनों अधिकारीयों पर एफआईआर नहीं की जा रही हैं किंतु इन दोनों के नाम एफआईआर में दर्ज जरूर किए गए हैं, जबकि जिला पंचायत द्वारा जांच कमेटी बैठकर गबन करना सिद्ध पाया गया है, जिसका प्रतिवेदन जनपद सीईओ को भी भेजा गया हैं जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा गया हैं कि बुरहानपुर जनपद में पदस्थ तत्कालीन दोनों सीईओ अनिल पवार, राकेष शर्मा और तत्कालीन लेखा अधिकारी दीपक दीक्षित तथा अशासकिय लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही किए जाए, अब देखना यह होगा कि इन दोनों अधिकारीयों पर एफआईआर कब होती हैं और कब तक इनकी गिरफतारी की जाएगी ?