मौलाना शाहबुद्दीन रिजवी ने किया सीएए का समर्थन; विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंची मुस्लिम लीग

केंद्र सरकार ने सोमवार को सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। भाजपा समर्थक जहां सरकार के इस फैसले पर खुशी जता रहे हैं, वहीं विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मुखर हो गया है। कांग्रेस ने चुनाव से ऐन पहले सीएए लागू करने को बंटवारे की राजनीति करार दिया। कांग्रेस ने कहा कि सीएए, भेदभाव को बढ़ावा देता है और यह भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों के विपरीत है

‘हम धार्मिक आधार पर तुष्टीकरण के खिलाफ’

असम कांग्रेस महिला मोर्चा की अध्यक्ष मीरा बोर्थकुर ने कहा कि ‘हम धार्मिक तुष्टीकरण के खिलाफ हैं। असम के लोग सीएए का समर्थन नहीं करेंगे और वह लोकसभा में सरकार के खिलाफ वोट करेंगे।’

मुस्लिम लीग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

सुप्रीम कोर्ट में सीएए कानून के खिलाफ याचिका दायर की गई है। यह याचिका इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की तरफ से दायर की गई है, जिसमें सीएए कानून पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में नागरिकता संशोधन कानून 2019 के प्रावधानों को देश में लागू करने पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि नागरिकता कानून के तहत कुछ धर्मों के लोगों को ही नागरिकता दी जाएगी, जो संविधान का उल्लंघन है।

‘घुसपैठियों का समर्थन करती है टीएमसी’
पश्चिम बंगाल से भाजपा विधायक शंकर घोष ने सीएए लागू होने पर कहा कि ‘भाजपा ने पहले ही इसका एलान कर दिया था। लोग इन्हीं एजेंडों पर वोट करते हैं। सीएए और कुछ नहीं बल्कि संविधान के तहत भारतीय नागरिकता देने का दस्तावेज है। इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है। टीएमसी ऐसी पार्टी है, जोघुसपैठियों का समर्थन करती है।

क्या है सीएए और क्यों हो रहा है इसका विरोध?
सीएए कानून के तहत भारत के तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक तौर पर प्रताड़ना के शिकार होकर भारत आने वाले गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। इस कानून के तहत हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई वर्ग के लोगों को ही भारत की नागरिकता दी जाएगी। सीएए में किसी की नागरिकता छीनने का प्रावधान है। मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह कानून उनके साथ भेदभाव करता है, जो देश के संविधान का उल्लंघन है।

असम में विपक्ष के नेता बोले- सीएए, असम समझौते के खिलाफ
असम के विपक्ष के नेता और कांग्रेसी नेता देबब्रत सैकिया ने कहा कि ‘केंद्र ने सीएए पूरे देश में लागू कर दिया है। हमारी मांग है कि असम में सीएए को लागू न किया जाए क्योंकि यहां पहले से असम समझौता लागू है। सीएए कानून के मुताबित 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले लोगों को भारत की नागरिकता मिलेगी और वे यहां जमीन और संपत्ति खरीद सकते हैं। यह असम समझौते के खिलाफ है।’

मौलाना शाहबुद्दीन रिजवी बरेलवी ने किया समर्थन
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन रिजवी बरेलवी ने सीएए नोटिफिकेशन जारी होने का स्वागत किया और कहा कि ‘यह बहुत पहले लागू हो जाना चाहिए था। इस कानून को लेकर मुस्लिमों में बहुत गलतफहमी है। इस कानून का मुस्लिमों से कोई लेना-देना नहीं है। पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले गैर-मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने का कोई प्रावधान नहीं था। यही वजह है कि ये कानून बनाया गया। देश के करोड़ों मुसलमान इस कानून से प्रभावित नहीं होंगे और इससे किसी की नागरिकता नहीं जाएगी। बीते वर्षों में गलतफहमी की चलते विरोध प्रदर्शन हुए। कुछ राजनेताओं ने मुस्लिमों में गलतफहमी को बढ़ावा दिया और देश के हर मुसलमान को इस कानून का स्वागत करना चाहिए।’

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