राहुल गांधी का 2024 का प्लान, राह कितनी आसान, आखिर क्यों नागपुर से भरी गई चुनावी हुंकार?

कांग्रेस ने स्थापना दिवस के दिन रैली के लिए नागपुर को चुना. ये शहर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का गढ़ कहा जाता है. नागपुर में कांग्रेस ने रैली से लोकसभा चुनाव के लिए शंखनाद किया है. साफ है कि राहुल गांधी कांग्रेस और देश को ये संदेश देना चाहते हैं कि तीन राज्यों में मिली हार के बाद भी पार्टी का कॉन्फिडेंस हाई है और वो 2024 के चुनाव के लिए पूरी तैयार हैं.

नागपुर में हुई कांग्रेस की ये रैली पूरे देश में सुर्खियां बन गई, क्योंकि आरएसएस के गढ़ से राहुल ने हुंकार भरी है. ऐसे में आइए राहुल के नागपुर डॉक्यूमेंट का विश्लेषण करते हैं और इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश करते हैं कि राहुल गांधी लोकसभा चुनाव के लिए सेट हैं या फिर लेट हैं?

RSS मुख्यालय के पास हुई रैली

जिस मैदान में कांग्रेस की इस मेगा रैली का आयोजन किया गया है. उस ग्राउंड का नाम भारत जोड़ो ग्राउंड रखा गया है. खास बात ये है कि महाराष्ट्र के जिस मैदान में कांग्रेस ने अपने 139वें स्थापना दिवस के दिन लाखों लोगों की भीड़ जुटाई, वहां से आरएसएस का मुख्यालय सिर्फ 6.5 किलोमीटर दूर है. लोगों के मन में सवाल है कि राहुल गांधी ने रैली के लिए आखिर नागपुर को ही क्यों चुना? क्या राहुल गांधी ये बताना चाहते हैं वो RSS के गढ़ में घुसकर चुनौती देंगे?

नागपुर में ही है दीक्षाभूमि

हालांकि संवादाता ने जब कांग्रेस के नेताओं से बात की तो उन्होंने साफ कहा कि नागपुर किसी और का नहीं कांग्रेस का गढ़ है. नागपुर में सिर्फ आरएसएस का मुख्यालय ही नहीं है. इस शहर में ऐतिहासिक स्थल दीक्षाभूमि भी है. दीक्षाभूमि में ही डॉ बी आर आंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया था. नागपुर से लोकसभा चुनाव के कैंपेन का आगाज कांग्रेस की चुनावी रणनीति का खास हिस्सा माना जा रहा है.

कांग्रेस संदेश दे रही है कि वो वहां से चोट करना चाहती है जहां से बीजेपी के लिए एजेंडा तय होता है और बीजेपी इसका अपने ही अंदाज में जवाब दे रही है. राहुल गांधी का नागपुर डॉक्यूमेंट कितनी लंबी लकीर खींच पाता है इसके लिए तो काफी इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं है कि नागपुर का चुनाव करके कांग्रेस कैडर का मनोबल बढ़ाने में वो कामयाब जरूर हुए हैं.

नागपुर क्यों है कांग्रेस का गढ़?

नागपुर को कांग्रेस अपना गढ़ क्यों बता रही है, उसे समझने की जरूरत है. 1952 से लेकर अब तक नागपुर लोकसभा सीट पर 18 बार चुनाव हुए हैं और इनमें 13 बार कांग्रेस की जीत हुई है. बीजेपी ने तीन बार नागपुर लोकसभा सीट पर चुनाव जीता है. दरअसल 2014 और 2019 में लगातार दो बार नितिन गडकरी के नागपुर से जीत दर्ज करने के बाद नागपुर बीजेपी का गढ़ माने जाना लगा.

हालांकि, वो शहर नागपुर ही था जब इमरजेंसी के ठीक बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रैली की थी और विदर्भ रीजन की सारी सीटें कांग्रेस ने जीत ली थीं. नागपुर से 2024 के चुनावी कैंपेन का आगाज करने के पीछे सिर्फ आरएसएस फैक्टर नहीं है. कांग्रेस महाराष्ट्र के उस हिस्से को और मजबूत करना चाहती है जो उसके लिए बड़ी ताकत साबित होता रहा है.

नागपुर चुनने की ये भी रही वजह

लोकसभा चुनाव के लिए नागपुर चुना गया, क्योंकि यूपी के बाद महाराष्ट्र वो राज्य है जहां सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें हैं. 48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र को कांग्रेस और मजबूत करना चाहती है. 2024 के चुनाव को लेकर सीवोटर ने जो पहला ओपिनियन पोल किया, उसमें महाराष्ट्र का मूड क्या कहता है वो समझिए. 48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में 37 फीसदी वोट शेयर के साथ बीजेपी गठबंधन को 19 से 21 सीटें मिलती दिख रही हैं, जबकि 41 फीसदी वोट शेयर के साथ कांग्रेस गठबंधन को 26 से 28 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं.

ओपनियिन पोल के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में कांग्रेस बीजेपी के मुकाबले मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है और राहुल गांधी महाराष्ट्र पर फोकस करके अपनी मजबूत स्थिति और भी ज्यादा चाकचौबंद करने के प्लान पर काम कर रहे हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में पहली बार होगा जब कांग्रेस और उद्धव ठाकरे एक साथ चुनाव लड़ेंगे.

राम मंदिर को काउंटर करने के लिए भारत न्याय यात्रा

राहुल गांधी का फोकस महाराष्ट्र पर कितना ज्यादा है उसे इस बात से समझिए कि 2024 लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के मकसद से राहुल 14 जनवरी को जो भारत न्याय यात्रा शुरू करने जा रहे हैं उसका समापन मार्च महीने में मुंबई में ही होगा. सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या बीजेपी के राम मंदिर वाले मास्टरस्ट्रोक को काउंटर करने के लिए समारोह से ठीक पहले राहुल भारत न्याय यात्रा पर जा रहे हैं?

पूरे देश में इस वक्त राम मंदिर की चर्चा है. 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की चर्चा है. रामलला की मूर्ति कैसी होगी, कार्यक्रम कितना भव्य होगा, रामलला का दरबार कैसा होगा? राम भक्त इन सवालों के जवाब के लिए 22 तारीख का इंतजार कर रहे हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी इसे भुना रही है. देश को बता रही है कि मंदिर को लेकर किया वादा बीजेपी ने पूरा कर दिया है. बीजेपी इसे आजाद भारत की सबसे बड़ी घटना के तौर पर पेश करने का प्लान बना रही है.

19 दिसंबर को उत्तर से लेकर दक्षिण तक की तमाम विपक्षी पार्टियों का इंडिया गठबंधन बीजेपी के खिलाफ जीत की रणनीति बना रहा था और इस बैठक में इस बात पर सबसे ज्यादा चर्चा हुई थी कि बीजेपी के राम मंदिर की काट विपक्ष को ढूंढनी होगी? बुधवार को राहुल गांधी ने भारत न्याय यात्रा शुरू करने का एलान किया है और खास बात ये है कि राहुल गांधी भारत न्याय यात्रा राम मंदिर समारोह से ठीक पहले शुरू करने जा रहे हैं. 15 जनवरी से पूजा पाठ का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा और राहुल भारत न्याय यात्रा 14 जनवरी से शुरू करने जा रहे हैं.

राहुल की भारत न्याय यात्रा

करीब एक साल पहले राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा की थी. राहुल गांधी आगाज दक्षिण से किया था और कन्याकुमारी से चलकर 136 दिन बाद कश्मीर तक का सफर तय किया था. भारत जोड़ो यात्रा को राहुल गांधी के पॉलिटिकल करियर में एक बड़ी उपबल्धि के तौर पर गिना गया और अब ठीक एक साल बाद राहुल ने लोकसभा चुनाव से पहले यात्रा पार्ट टू के तौर पर भारत न्याय यात्रा का एलान किया है.

भारत न्याय यात्रा 14 जनवरी को पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर से शुरू होगी. 67 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा के जरिए लगभग 6200 किलोमीटर का सफर तय किया जाएगा. राहुल की भारत न्याय यात्रा 14 राज्य और 85 जिलों से होते हुए गुजरेगी. ये यात्रा मणिपुर, नगालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, यूपी, एमपी, राजस्थान, गुजरात और आखिर में महाराष्ट्र पहुंचेगी.

न्याय यात्रा नाम कांग्रेस ने इसलिए रखा है क्योंकि न्याय से मतलब नारी युवा और अन्नदाता है यानि राहुल की भारत न्याय यात्रा में नारी, युवा और अन्नदाता यानि किसानों पर फोकस रहेगा. पिछली और इस बार की यात्रा में फर्क बस इतना है कि भारत न्याय यात्रा सिर्फ पैदल नहीं होगी. बस से भी जन जन तक पहुंचा जाएगा. कांग्रेस के इस यात्रा को मणिपुर से शुरू करने के पीछे भी खास मकसद है.

मणिपुर इसलिए क्योंकि पिछले साल वहां हुई हिंसा सड़क से लेकर संसद का मुद्दा बनी रही. भारत न्याय यात्रा का जो रूट मैप बनाया गया है उसमें शुरुआत में वो राज्य रखे गए हैं जो गैर बीजेपी शासित हैं. अब सवाल ये है कि भारत न्याय यात्रा का लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को कितना फायदा मिलेगा और इस यात्रा से राहुल क्या बीजेपी के राम मंदिर वाले मुद्दे की काट बन पाएंगे.

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