दुनियाभर में कोरोना महामारी (कोविड-19) के 70 करोड़ से अधिक मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं। अब तक 69.58 लाख से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है। इसी बीच 41 देशों में कोविड-19 के नए वैरिएंट जेएन.1 का पता लगा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक अब तक इस नए वैरिएंट के 7,300 से अधिक मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं। भारत में भी JN.1 वैरिएंट के कई मामले आ चुके हैं।
जेएन.1 कोविड वैरिएंट कितना खतरनाक है? क्या इससे बचाव के लिए अलग कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो करने होंगे? जेएन.1 वैरिएंट के लक्षण पाए जाने पर डब्ल्यूएचओ और डॉक्टरों की राय क्या है? आइए समझते हैं…
कोरोना वायरस JN.1 को WHO ने ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ बताया
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जेएन.1 कोरोना वायरस स्ट्रेन का वर्गीकरण ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के तौर पर किया। WHO ने कहा, ‘इससे आम जनता के स्वास्थ्य को बड़ा खतरा नहीं है। समाचार एजेंसी- रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 का जेएन.1 वैरिएंट शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे सकता है। दूसरे कोविड-19 वैरिएंट की तुलना में यह अधिक आसानी से फैल सकता है। हालांकि, अभी तक बेहद गंभीर बीमारी के कोई संकेत नहीं मिले हैं। वायरस की स्टडी करने वाले वायरोलॉजिस्ट एंड्रयू पेकोज़ ने कहा, ‘भले ही इस वैरिएंट के अधिक मामले रिपोर्ट किए जाएं, लेकिन फिलहाल जेएन.1 के फैलने को लेकर घबराहट या दहशत फैलाने जैसे हालात नहीं। हालांकि, इसके सामान्य लक्षणों में बुखार या ठंड लगना, खांसी, थकान और बदन दर्द होना शामिल हैं। पेकोज जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में काम करते हैं।
JN.1 को पहले इसके मूल वंश BA.2.86 का हिस्सा माना गया।
अब इसका वर्गीकरण अलग ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में किया गया है।
वर्तमान में इस्तेमाल की जा रही कोरोना वैक्सीन जेएन.1 से बचाव में भी प्रभावी है।
जेएन.1 का पहला मामला अमेरिका में तीन महीने पहले मिला
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, 8 दिसंबर तक अमेरिका में रिपोर्ट किए गए कोरोना संक्रमण के कुल मामलों में सबवेरिएंट जेएन.1 के मामले अनुमानित रूप से 15 से 29 फीसद हो सकते हैं। सीडीसी ने भी स्वीकार किया था कि JN.1 वैरिएंट बहुत खतरनाक नहीं है। सुरक्षित रहने के लिए अमेरिका में इस्तेमाल हो रही कोरोना वैक्सीन की एक डोज काफी है। अमेरिका में जेएन.1 का पहला मामला सितंबर में आया था। पिछले हफ्ते, चीन में इसके सात मामले सामने आए। अब यह 41 देशों में फैल चुका है।
जेएन.1 पर भारत में क्या हैं हालात ?
भारत में जेएन.1 वैरिएंट पहली बार केरल में रिपोर्ट किया गया। आठ दिसंबर को केरल की 79 साल की महिला को नए वैरिएंट से संक्रमित पाया गया। आईसीएमआर के पूर्व शीर्ष अधिकारी डॉ समीरन पांडा ने कहा, यह तेजी से फैल सकता है, लेकिन गंभीर रूप से बीमार होने की नौबत नहीं आने वाली।
बीते दो हफ्ते में जेएन.1 संक्रमण देश के 11 राज्यों तक फैल चुका है
15 दिनों में गोवा सबसे अधिक प्रभावित मिले हैं। यहां अब तक 19 मरीज संक्रमित पाए गए हैं।
गुजरात, पुडुचेरी, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में भी जेएन.1 वैरिएंट के संक्रमित पाए गए हैं।
जेएन.1 वैरिएंट के मामले पंजाब, दिल्ली-NCR, गुजरात और राजस्थान में भी मिले हैं।
डॉक्टरों का मानना है कि कड़ाके की ठंड के बावजूद दिसंबर-जनवरी में बड़े पैमाने पर सामूहिक कार्यक्रम होते हैं। क्रिसमस और नए साल के जश्न के बीच लोगों के बीच शारीरिक दूरी नहीं रह पाती। सोशल डिस्टेंसिंग जैसे बुनियादी प्रोटोकॉल का पालन चुनौतीभरा होता है। इस कारण वायरस को आसानी से फैलने का मौका मिलता है।
भारत के किस राज्य में कितने मामले
भले ही जेएन.1 वैरिएंट बीमारी की गंभीरता के मामले में अधिक खतरनाक नहीं है, लेकिन इससे सतर्क रहना बहुत जरूरी है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने, पहले से किसी दूसरी गंभीर बीमारी से पीड़ित होने की सूरत में जेएन.1 वैरिएंट का संक्रमण शरीर को और अधिक कमजोर बना सकता है।
कौन से पांच राज्य अधिक प्रभावित
देशभर में 22 दिसंबर सुबह आठ बजे तक, 4.44 करोड़ से अधिक मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं। अब तक 5.33 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। बचाव के लिए अब तक 2.20 अरब लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई जा चुकी है। आठ दिसंबर के बाद अब तक जेएन.1 वैरिएंट के 26 मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं। इससे प्रभावित 11 राज्यों में पांच सबसे प्रभावित राज्य …
राज्यों के नाम | JN.1 संक्रमण के मामले |
गोवा | 19 |
राजस्थान | 04 |
दिल्ली | 01 |
केरल | 01 |
महाराष्ट्र | 01 |
जेएन.1 वैरिएंट पुराने वैरिएंट की तुलना में काफी अलग
कोविड-19 का जेएन.1 स्ट्रेन इससे पहले रिपोर्ट किए गए वैरिएंट बीए 2.86 से निकला है। बीए 2.86 कोरोना के ओमीक्रॉन वैरिएंट फैमिली का भाग है। ओमीक्रॉन बेहद संक्रामक वैरिएंट है जिसके कारण दुनियाभर में पिछले साल बड़ी संख्या में लोग कोरोना की चपेट में आए थे। डॉक्टरों के अनुसार, हर वायरस का अपना ‘स्पाइक प्रोटीन’ होता है। इससे कोशिकाओं में संक्रमण फैलता है और शरीर में बीमारी के कुछ लक्षण दिखने शुरू होते हैं।
स्पाइक प्रोटीन के डीएनए सीक्वेंस में होने वाले बदलाव को वायरोलॉजी या मेडिकल साइंस में म्यूटेशंस कहा जाता है। इस बदलाव के आधार पर किसी वायरस के नए वैरिएंट का पता लगता है। वैरिएंट कितना गंभीर है? इससे संक्रमण के कौन से लक्षण दिखने शुरू हुए हैं? इन पैमानों पर भी वैरिएंट के बीच अंतरों का पता लगाया जाता है। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक कतर के डब्ल्यूसी मेडिसिन में शोध से जुड़े एलए रदाड़ ने बताया कि जेएन.1 वैरिएंट पुराने वैरिएंट की तुलना में काफी अलग है और इसके जेनेटिक विवरण ओमीक्रॉन और दूसरे वैरिएंट की तुलना में काफी अलग हैं।