सागर : 12 अगस्त को सागर आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा को लेकर सागर में अनुकूल जगह नहीं मिल सकी है. नतीजतन अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा का आयोजन ढाना हवाई पट्टी पर किया जाएगा. ढाना हवाई पट्टी पर इससे पहले 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की भी सभा हो चुकी है. अनुसूचित जाति के वोटरों को साधने के लिए प्रदेश की बीजेपी सरकार बुंदेलखंड के सागर में 101 करोड़ रुपए की लागत से संत रविदास जी के मंदिर का निर्माण कराने जा रही है.
इससे पहले प्रदेश भर में संत रविदास समरसता यात्रा निकाली जा रही है. यह यात्रा प्रदेश के पांच जिलों से एक साथ शुरू हुई है. इन यात्राओं का समापन 12 अगस्त को सागर में होगा. यात्रा के समापन और मंदिर निर्माण के भूमि-पूजन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सागर आ रहे हैं.
नहीं मिली अनुकूल जगह
मध्य प्रदेश शासन के मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा के लिए ढाना एयर स्ट्रिप के पास जगह तय की गई है. मंत्री सिंह के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ग्राम बड़तूमा जाएंगे या नहीं इस पर अभी निर्णय नहीं हुआ है. बारिश के हिसाब से ही कार्यक्रम की रूपरेखा तय होगी. उन्होंने बताया कि ढाना हवाई पट्टी पर विशेषज्ञों की देखरेख में व्यवस्था की जा रही है.
मंत्री सिंह ने बताया कि शहर और आर्मी क्षेत्र में कई जगह देखी, लेकिन पार्किंग क्षेत्र एवं सभा के लिए अनुकूल जगह नहीं मिली, इसलिए अब ढाना हवाई पट्टी पर सभा का निर्णय लिया गया है. सभा को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है. उन्होंने बताया कि इसी क्षेत्र में इससे पहले 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सभा सभा भी हो चुकी है.
101 करोड़ की लागत होगा मंदिर निर्माण
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संत रविदास जी की जयंती पर 8 फरवरी को सागर में घोषणा की थी कि वहां 101 करोड़ रुपए की लागत से संत रविदास जी का भव्य मंदिर और स्मारक बनाया जाएगा, जो समाज को शांति, सद्भाव और समरसता का संदेश देगा. सीएम शिवराज सिंह चौहान की घोषणा अनुरूप ही अब मंदिर निर्माण की शुरुआत होने जा रही है.
इससे पहले प्रदेश भर में समरसता यात्राएं निकाली जा रही हैं, जो 12 अगस्त को सागर पहुंचेंगी. यह यात्रा प्रदेश के 46 जिलों और 53 हजार गांवों से होकर निकलेंगे, जिनमें हर गांव की मिट्टी और 315 नदियों का जल शिलान्यास स्थल पर ले जाया जाएगा. रथ में स्वामी रविदास की पादुका, चित्र और कलश होंगे, जिनका जगह.जगह पूजन किया जाएगा. रथ पर सामाजिक समरसता के संदेश उल्लेखित है.