कर्नाटक में मिली जीत के बाद फोकस अब राजस्थान पर, रंधावा ने खरगे को सौंपी रिपोर्ट

राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को सचिन पायलट के कांग्रेस पार्टी से अलग जन संघर्ष पदयात्रा निकालने और उनके रुख को लेकर रिपोर्ट सौंप दी है। कर्नाटक चुनाव की जीत के जश्न के तुरंत बाद यह रिपोर्ट सौंपी गई है। राजस्थान में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की जन संघर्ष पदयात्रा, प्रेस वार्ता, धरने और अपनी ही कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर वसुंधरा राजे से मिलीभगत के आरोपों, राजस्थान कांग्रेस सरकार पर बीजेपी के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के आरोपों और इससे चुनाव में कांग्रेस पार्टी को होने वाले संभावित नुकसान के बारे में भी बता दिया गया है। पूर्व विवाद की एक रिपोर्ट सौंपी गई है। खरगे को यह भी बताया गया है कि किस तरह केंद्रीय गृह मंत्रालय सचिन पायलट को जन संघर्ष पदयात्रा के दौरान राजस्थान में सीआरपीएफ प्रोटेक्शन दे रहा है। पदयात्रा के ठीक एक दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश में सचिन पायलट का पूरा पांच दिन का कार्यक्रम कैसे आया, शैड्यूल और पायलट की जयपुर से अजमेर ट्रेन यात्रा की जानकारी किस तरीके से केंद्र की बीजेपी सरकार तक पहुंची। यह सब मंथन का विषय हो गए हैं। 

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस संगठन ने तैयार की है रिपोर्ट
कांग्रेस हाईकमान को गहलोत-पायलट विवाद पर जो संगठनात्मक रिपोर्ट सौंपी गई है, वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और तीनों सह प्रभारियों- अमृता धवन, वीरेंद्र सिंह राठौड़, काजी निजामुद्दीन ने मिलकर तैयार की है। इस पर दो दिन पहले दिल्ली पहुंचे इन सभी नेताओं ने बंद कमरे में चर्चा भी की। इसके बाद रंधावा ने कहा था कि खरगे से कर्नाटक चुनाव से दिल्ली आने के बाद मैं उन्हें अपनी राय बता दूंगा।

कांग्रेस मजबूत, कड़े कदम उठा सकती है पार्टी
हिमाचल के बाद कर्नाटक में हुई शानदार जीत से कांग्रेस पार्टी मजबूत हुई है। कांग्रेस पार्टी सख्त और कड़े फैसले ताकत के साथ ले सकती है। सचिन पायलट को पार्टी नोटिस जारी कर सकती है और उनसे पूरे घटनाक्रम पर जवाब मांग सकती है। अनुशासन के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी सख्ती दिखा सकती है। पार्टी सचिन पायलट जैसे युवा और जनाधार वाले नेता को विधानसभा चुनाव से पहले तुरंत खोना नहीं चाहती है। कोशिश रहेगी पायलट को अंतिम बार समझाया जाए। राहुल गांधी ,प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी से भी पायलट की मुलाकात हो सकती है। कांग्रेस पार्टी स्पष्ट कर चुकी है इसकी सीएम अशोक गहलोत और उनकी सरकार की मजबूत योजनाओं के बूते ही पार्टी चुनाव में उतरेगी। राजस्थानी नहीं मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भी यह महत्वपूर्ण रहेगा। इसलिए अशोक गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट को बयान देने से रोकने की पूरी कोशिश रहेगी। अगर पायलट फिर भी नहीं मानते हैं तो पार्टी अनुशासन की कार्यवाही करते हुए सख्त एक्शन ले सकती है। कांग्रेस पार्टी की यह भी कोशिश रहेगी कि पायलट खेमे के जो नेता है, उन्हें पूरी तरह विश्वास में लिया जाए। यदि पायलट पार्टी से अलग होते हैं तो कांग्रेस को बड़ा डैमेज ना हो। 

कांग्रेस पार्टी पायलट को निष्कासित करेगी, तो दौड़ेगी सहानुभूति लहर
कांग्रेस पार्टी नेतृत्व को यह अच्छे से मालूम है कि पार्टी सचिन पायलट को निष्कासित करेगी, तो सहानुभूति लहर उनके पक्ष में दौड़ेगी। कांग्रेस पार्टी चाह रही है कि पायलट खुद कांग्रेस छोड़ें। ताकि पायलट पर बीजेपी से मिलीभगत और बगावत के आरोप साबित किए जा सकें। मंझे हुए राजनेता सचिन पायलट इसके लिए तौयार नहीं हैं। पायलट को पता है कि उन पर प्रदेश कांग्रेस और आलाकमान से पैनी निगाह रखी जा रही है। इसलिए बहुत संभलकर सचिन पायलट बयान दे रहे हैं। वह सिर्फ अशोक गहलोत और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को भ्रष्टाचार और मिलीभगत के खेल पर टारगेट कर रहे हैं।

पायलट की जन संघर्ष यात्रा को मिल रहा बड़ा जनसमर्थन चिंता का विषय
दूसरी ओर लू और भीषण गर्मी में भी पायलट के साथ जन संघर्ष यात्रा में सड़कों पर जनसैलाब उमड़ रहा है। पायलट का युवाओं में जबरदस्त क्रेज है। तिरंगा थामकर युवा पायलट के साथ देशभक्ति गीतों पर यात्रा निकाल रहे हैं। इसलिए इतने बड़े जनाधार को पार्टी खोना नहीं चाहती है। गांधी परिवार की सहमति से ही सचिन पायलट और अशोक गहलोत को लेकर फाइनल फैसला होगा, यह तय है।

कर्नाटक का ब्लू प्रिंट लेकर आगे बढ़ेगी कांग्रेस
कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस पार्टी की शानदार जीत को पार्टी ब्लूप्रिंट के तौर पर अब आगे लेकर चलेगी। दक्षिण में कांग्रेस की जो साख बढ़ी है। राहुल गांधी भी मजबूत हुए हैं। गांधी परिवार और खरगे अब राजस्थान में भी सचिन पायलट और अशोक गहलोत विवाद को ज्यादा ताकत के साथ निपटा सकेंगे। कांग्रेस पार्टी के अंदर ग्रुप-23 जैसे ग्रुप बनाने वाले नेताओं के हौसले टूटेंगे और राहुल गांधी के लिए अंदरूनी कलह से निपटना अब और आसान हो जाएगा।

गहलोत-पायलट साथ रहे तो कर्नाटक जैसा फायदा 
कांग्रेस पार्टी सचिन पायलट और अशोक गहलोत दोनों को साथ लेकर चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम करती है, तो यह पार्टी को नुकसान नहीं होगा। दोनों चेहरों को चुनाव में भुनाया जा सकेगा। कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी ने सीएम के दो चेहरों से फायदा उठाया है। डीके शिवकुमार ने 11 प्रतिशत वोक्कालिग्गा वोटों में अपनी पैठ जमाकर उसे कांग्रेस के पक्ष में डलवाया। वहीं सिद्धारमैया और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 17 प्रतिशत पिछड़े और दलित वोटों को कांग्रेस की ओर आकर्षित किया। रही-सही कसर बजरंग बली के नारे ने पूरी कर दी। इससे माइनॉरिटी का बड़ा वोट बैंक कांग्रेस के पक्ष में गया। इन तीनों समीकरणों से कांग्रेस की बड़ी जीत हो गई। राजस्थान में भी कांग्रेस पार्टी इसी थीम पर आगे बढ़ सकती है।

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