1 फरवरी को पेश होने वाले बजट पर भाजपा और कांग्रेस में तकरार बढ़ गई है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि मोदी सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी। ऐसा कोई नियम नहीं कि चुनाव से पहले सरकार पूर्ण बजट पेश नहीं कर सकती। चुनाव के बाद आने वाली सरकार चाहे तो बदलाव कर सकती है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार को सात दशक की परंपरा का पालन करते हुए अंतरिम बजट ही लाना चाहिए। 5 साल के लिए चुनकर आई सरकार 6 पूर्ण बजट नहीं पेश कर सकती। ऐसा हुआ तो संसद के भीतर और बाहर कांग्रेस विरोध करेगी।
भाजपा जनता को गुमराह करना चाहती है: कांग्रेस
- वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि भाजपा बड़ी-बड़ी घोषणाएं करके जनता को गुमराह करना चाहती है। बजट के साथ फाइनेंस बिल भी होता है। इसे 75 दिनों में पास करना जरूरी है। बजट के प्रस्ताव संबंधित विभागों की समिति को भेजे जाते हैं। उनकी रिपोर्ट के बाद ही फाइनेंस बिल पास होता है। चुनाव के कारण यह संभव नहीं होगा।
- शेट्टी का पहला अंतरिम बजट 7.5 महीने का थाआजाद भारत का पहला बजट अंतरिम ही था। तत्कालीन वित्त मंत्री षणमुखम शेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था। यह 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 तक साढ़े सात माह के लिए था। 28 फरवरी 1948 को जब उन्होंने पूर्ण बजट पेश किया तब बताया कि पिछले साल अंतरिम बजट पेश किया गया था।
- मोरारजी देसाई ने सबसे ज्यादा 10 बजट पेश किएअरुण जेटली 22वें वित्त मंत्री हैं। जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, आईके गुजराल और मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए भी बजट पेश किया था। मोरारजी देसाई ने सबसे ज्यादा 10 बजट पेश किए। उनके बाद पी. चिदंबरम ने 9 और प्रणब मुखर्जी ने 8 बजट पेश किए।
- संविधान में बजट शब्द का इस्तेमाल ही नहीं हुआ हैसंविधान में बजट की जगह ‘एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट’ का इस्तेमाल हुआ है। परंपरा रही है कि आम चुनाव से पहले सरकार अंतरिम बजट पेश करती है। पुरानी सरकार का कार्यकाल पूरे वित्त वर्ष के लिए नहीं होता इसलिए अंतरिम बजट कुछ महीने के लिए पेश किया जाता है।
- अंतरिम और सामान्य मिलाकर 88 बजट पेश
- अब तक 14 बार अंतरिम बजट पेश किए गए हैं। अंतरिम और सामान्य मिलाकर 88 बजट आए हैं।
- 9 बार उन सरकारों का बजट आया जिन्होंने वित्त वर्ष समाप्ति से पहले या बाद में चुनाव का फैसला किया।
- 5 बार उनका अंतरिम बजट आया जो वित्त वर्ष खत्म होने से पहले गठित हुईं, पूर्ण बजट का समय नहीं था।
- सामान्य और अंतरिम बजट में क्या अंतर होता है ?सामान्य बजट: सरकार पिछले साल के खर्च और आमदनी का हिसाब देती है। नए साल के खर्चों और टैक्स के जरिए कमाई का अनुमान होता है।
अंतरिम बजट: पिछले साल के खर्च और आमदनी का रिपोर्ट कार्ड होता है। अगले कुछ महीनों के लिए खर्चों का प्रस्ताव भी किया जाता है। आमदनी का प्रस्ताव नहीं होता। -
नवंबर 1947 में पेश आजाद भारत का पहला बजट भी अंतरिम ही था