इंदौर : मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर बनाने के लिए कांग्रेस सरकार चार साल पहले संजीवनी क्लीनिक का प्रोजेक्ट लाई थी। दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर इसे डिजाइन किया गया था ताकि लोगों को अपने क्षेत्र में ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। इंदौर में कांग्रेस सरकार का लक्ष्य था कि एक साल के भीतर 85 संजीवनी क्लीनिक खोलना हैं। अभी यह योजना अटकी पड़ी है और चार साल के बाद भी सिर्फ 14 संजीवनी क्लीनिक ही बन सके हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इस पर काम चल रहा है। कोविड की वजह से तीन साल तक काम अटका रहा और संजीवनी क्लीनिक नहीं बन पाए।
सात के लिए जगह मिली, दो का काम शुरू किया
जिला स्वास्थ्य अधिकारी पूर्णिमा गडरिया ने बताया कि संजीवनी क्लीनिक बनाने का काम नगर निगम कर रहा है। अभी सात जगह पर स्थान तय हो चुके हैं और दो अन्य जगह का काम शुरू हो चुका है। यह दो संजीवनी क्लीनिक जल्द ही मिल जाएंगे। जगह तलाशने में समय लगता है इसलिए प्रोजेक्ट में विलंब हो रहा है। निगम हमें जैसे ही बनाकर दे देगा हम स्वास्थ्य सुविधाएं शुरू कर देंगे।
एक साल का लक्ष्य था, चार साल निकल गए
कांग्रेस सरकार ने लक्ष्य बनाया था कि एक साल के भीतर ही इंदौर में 85 संजीवनी क्लीनिक बनाए जाएंगे लेकिन चार साल निकलने के बाद भी 14 ही बन सके हैं।
यह सुविधाएं
120 तरह की दवाएं निःशुल्क मिलेंगी
68 तरह के टेस्ट निःशुल्क होंगे
महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों सभी को इलाज मिलेगा
टीकाकरण की सुविधा होगी
प्रदेश में 268 संजीवनी क्लीनिक बनेंगे
इस प्रोजेक्ट के तहत पूरे प्रदेश में 268 संजीवनी क्लीनिक बनेंगे। पहले चरण में इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर समेत सात शहरों में क्लीनिक बनाए जाएंगे। बाद में अन्य जिलों में भी इस योजना का लाभ दिया जाएगा।
डाक्टर समेत पांच लोगों का स्टाफ रहेगा
संजीवनी क्लीनिक सुबह 10 से शाम को 6 बजे तक खुलेंगे। इनमें पांच लोगों का स्टाफ रहेगा। एक एमबीबीएस डाक्टर, दो पैरामेडिकल स्टाफ, दो नर्सिंग स्टाफ, एक आपरेटर रहेगा। कोशिश रहेगी कि शहर के हर वार्ड में एक संजीवनी क्लीनिक खोलकर पूरा शहर कवर किया जाए।
ओवरलोड में काम कर रहे बड़े सरकारी अस्पतालों के डाक्टर
इंदौर में एमवायएच, जिला अस्पताल, पीसी सेठी समेत 9 बड़े सरकारी अस्पताल हैं जहां पर नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं बेहद कम दाम पर उपलब्ध हैं। चूंकि शहर की आबादी तेजी से बढ़ रही है और शहर के हर कोने से लोगों को इन अस्पतालों तक आना संभव नहीं है इसलिए यह प्रोजेक्ट लाया गया है। इन अस्पतालों में भी अधिक भीड़ होने से स्टाफ ओवरलोड में काम कर रहा है। संजीवनी क्लीनिक खुलने से लोगों को सामान्य बीमारियों के लिए वहीं पर इलाज मिल जाएगा जिससे इन अस्पतालों का लोड भी कम होगा।