इंदौर में भूमाफियाओं की वजह से सैकड़ों लोग परेशान हैं और पुलिस, प्रशासन और कोर्ट जल्द से जल्द पीडि़तों को उनकी जमीनें वापस दिलवाने का प्रयास कर रहा है। भूमाफियाओं पर चल रहे केस में उन्होंने इस बात पर जमानत ली थी कि वे बाहर आकर जल्द लोगों को प्लॉट वापस देंगे और सभी मामलों का सेटलमेंट करेंगे। अब इन मामलों के सेटलमेंट पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है। बुधवार को हुई सुनवाई में प्रशासन ने कहा कि सभी भूमाफियाओं ने जमानत लेने के लिए सेटलमेंट की बात कही लेकिन अब सेटलमेंट नहीं कर रहे हैं। वहीं आरोपियों का कहना है कि वे जल्द मामले निपटा रहे हैं लेकिन प्रशासन अलग-अलग रिपोर्ट पेश कर कोर्ट को गलत तथ्य दे रहा है।
प्रशासन बोला भूमाफियाओं की जमानत निरस्त करें
बुधवार को कालिंदी गोल्ड, फिनिक्स डेवकान और सैटेलाइट हिल कॉलोनी के 255 पीडि़तों के लिए हाईकोर्ट इंदौर बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान प्रशासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में तीन अलग-अलग सेटलमेंट रिपोर्ट देने पर भूमाफियाओं ने प्रशासन को घेरा। इन्होंने कहा कि प्रशासन ने यू टर्न लिया और पहले हुए सेटलमेंट केस को अब अनसेटल बता रहे हैं। इस पर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि इन्होंने चालबाजी की और सुप्रीम कोर्ट से जमानत लेने के लिए पीडि़तों को कहा कि वह सेटलमेंट कर देंगे, जमानत हो जाने दो। इन्होंने सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला और सुप्रीम कोर्ट के साथ भी फ्रॉड किया। प्रशासन ने इनके वादे और शपथ पत्र के आधार पर सेटलमेंट रिपोर्ट बनाई लेकिन बाद में सभी मुकर गए। आज भी 200 से ज्यादा पीडि़त कोर्ट के बाहर न्याय की उम्मीद में इंतजार कर रहे हैं। इसलिए इन सभी की जमानत निरस्त की जाए और कम से कम थाने में महीने में एक बार सभी की हाजिरी लगाने का आदेश हो। इनमें से अधिकांश फरार हैं और कभी सामने नहीं आते हैं। हाईकोर्ट ने अगली तारीख 27 मार्च लगाई है जिसमें प्रशासन के जमानत निरस्ती आवेदन व अन्य बिंदुओं पर सुनवाई होगी।
प्रशासन की सेटलमेंट रिपोर्ट पर भूमाफियाओं ने उठाए सवाल
प्रशासन द्वारा अलग-अलग सेटलमेंट रिपोर्ट पेश करने को लेकर भूमाफियाओं की ओर से आपत्ति ली गई। उनकी तरफ से यह तर्क भी दिया गया कि क्या आपने हमारे कहने पर ही यह रिपोर्ट पेश कर दी? क्या सुप्रीम कोर्ट से जमानत होने के बाद और मार्च 2022 में वहां सेटलमेंट रिपोर्ट पेश होने के बाद कोई केस सेटल किया ही नहीं और जो पहले किए थे उससे भी पलट गए। फरवरी 2023 में भी सुनवाई के दौरान जो सेटलमेंट 55 फीसदी करीब बताए जा रहे थे वह 35 फीसदी के करीब ही रह गए हैं। वहीं शासकीय अधिवक्ता ने जोर देकर कहा कि इन आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट को सरासर झूठ बोला और जमानत ली। उनके शपथ पत्रों के आधार पर ही यह रिपोर्ट बनी लेकिन बाद में पीडि़त प्लॉट लेने आए तो उन्होंने बताया कि इनके सब वादे झूठे निकले और उन्होंने उनकी परेशानियों का निराकरण किया नहीं या अधूरा किया।
यह है मामला
इंदौर में भूमाफियाओं ने सैकड़ों लोगों से पैसे लेकर उन्हें प्लॉट नहीं दिए। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। भूमाफियाओं ने सुप्रीम कोर्ट से यह कहकर जमानत ली थी कि वे जल्द से जल्द जमीनों के सभी मामले सुलझा देंगे। जमानत देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला हाईकोर्ट में भेज दिया और सेटलमेंट के मामलों पर निगरानी का कहा। अब प्रशासन ने कहा है कि भूमाफियाओं ने जमानत ले ली लेकिन सेटलमेंट नहीं कर रहे हैं। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ में यह सुनवाई चल रही है।
कौन कौन शामिल हैं इन मामलों में
भूमाफिया चंपू, चिराग, नीलेश अजमेरा, निकुल कपासी, महावीर जैन, योगिता अजमेरा और हैप्पी धवन के मामले कोर्ट में चल रहे हैं। इन्हें पीडि़तों के प्लॉट वापस करना हैं।