नईदिल्ली:इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर का आकलन है कि विश्व में 2040 तक कैंसर के सबसे ज्यादा नए मरीज भारत समेत एशिया में मिलेंगे। दुनिया में जितने नए कैंसर मरीज सामने आएंगे, उनमें 59% एशिया में ही होंगे। 2020 के आंकड़ों के अनुसार एशिया में साल में कैंसर के 95 लाख 3710 नए मरीज मिले। यह संख्या 2040 तक बढ़कर एक करोड़ 51 लाख 30778 हो जाएगी। नए कैंसर मरीज बढ़ने की दर अफ्रीका के बाद एशिया में सबसे ज्यादा होगी। पुरुष कैंसर मरीजों की संख्या 2020 के 5.2% की तुलना में 2040 में 8.29% की दर से बढ़ेगी। इसी तरह, नए महिला कैंसर मरीजों की संख्या हर साल 6.84% बढ़ जाएगी, 2020 में यह दर 4.48% थी। आईएआरसी (IARC) ने 2020 से 2040 के दौरान दुनिया में कैंसर के नए मरीजों की संख्या को लेकर अनुमान लगाया है।
भारत कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की सुनामी का सामना करेगा : विशेषज्ञ
अमेरिका के ओहायो में क्लीवलैंड क्लिनिक के हेमेटोलॉजी और मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ जेम अब्राहम ने कहा कि भारत के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि जब ये प्रौद्योगिकियां कैंसर की देखभाल में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगी तो इसे अपने लाखों लोगों के लिए कैसे सस्ता और सुलभ बनाया जाए. कैंसर रोग विशेषज्ञ ने आगाह किया, वैश्वीकरण, बढ़ती अर्थव्यवस्था, आबादी और बदलती जीवन शैली के कारण भारत कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की सुनामी का सामना करेगा.
2040 में दुनिया भर में कैंसर रोगियों की संख्या हो जाएगी 2.84 करोड़
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के अनुमानों के अनुसार, जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के कारण 2040 में दुनिया भर में कैंसर रोगियों की संख्या 2.84 करोड़ होने की आशंका है, जो 2020 की तुलना में 47 प्रतिशत अधिक होगी. यह संख्या वैश्वीकरण और बढ़ती अर्थव्यवस्था से जुड़े जोखिम कारकों में वृद्धि से बढ़ सकती है. वर्ष 2020 में दुनिया भर में अनुमानित तौर पर कैंसर के 1.93 करोड़ नए मामले आए और करीब एक करोड़ लोगों की कैंसर से मौतें हुईं.
डॉ जेम अब्राहम ने कैंसर से लड़ने के 6 उपाय बताये
अमेरिका के ओहायो में क्लीवलैंड क्लिनिक के हेमेटोलॉजी और मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ जेम अब्राहम ने कहा है कि कैंसर की रोकथाम और उपचार के लिए टीके, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और डेटा डिजिटल तकनीक का विस्तार और ‘लिक्विड बायोप्सी’ से निदान उन छह रुझानों में शामिल हैं, जो इस सदी में कैंसर के उपचार को नया रूप देंगे. ‘मनोरमा ईयर बुक 2023’ के एक आलेख में अब्राहम ने कहा है कि अन्य तीन रुझान ‘जीनोमिक प्रोफाइलिंग’, जीन संपादन प्रौद्योगिकियों के विकास और अगली पीढ़ी के ‘इम्युनोथैरेपी’ और ‘सीएआर टी सेल थेरेपी’ का इस्तेमाल हैं. उन्होंने कहा है, डिजिटल तकनीक, सूचना प्रौद्योगिकी व टेलीहेल्थ से मरीजों और विशेषज्ञों के बीच की खाई कम होगी. यह संभावित रूप से हमारे देश के दूरदराज के हिस्सों में विशेषज्ञों की देखभाल की उपलब्धता में वृद्धि करेगा, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र भी शामिल है, जहां हमारी अधिकांश आबादी रहती है.