श्रीनगर । जम्मू-कश्मीर में तंगमर्ग के जहूर अहमद मीर पिछले शुक्रवार 38 किमी सफर कर एक दोस्त के ऑफिस श्रीनगर पहुंचे। उन्हें अपने बेटे को कॉल करनी थी, जो जम्मू की एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है। जहूर को एक फोन कॉल के लिए इतनी दूर जाने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि पट्टन के एक दुकानदार ने उनका लैंडलाइन इस्तेमाल करने के बदले जहूर से एक मिनट के 50 रुपए मांगे थे, जिसे सुनकर उनके होश उड़ गए। घाटी पिछले 51 दिनों से दुनिया से कटी है, जिस कारण ऐसे कई लोग जिनके पास लैंडलाइन फोन काम कर रहे हैं, वे पैसे कमाने का मौका नहीं छोड़ रहे। कई जगहों पर पीसीओ भी खुलने लगे हैं। जहूर जैसे कुछ लोग तो ज्यादा कीमत देने से इनकार कर देते हैं, लेकिन और भी कई लोगों को लूटना कोई बड़ी बात नहीं है। बारामुला के पलहल्लन गांव में रहनेवाले गुलाम हसन डार ने बेंगलुरु में रह रहे अपने बेटे मुख्तार से बात करने के लिए एक मिनट के 30 रुपए चुकाए।
उन्होंने बताया कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने अपने बेटे से कई हफ्तों से बात नहीं की थी। वह यह जानने के लिए बेचैन हो रहे थे कि उनका बेटा ठीक है। इसलिए उन्होंने उसकी आवाज सुनने के लिए छोटी सी कीमत चुकाना मंजूर कर लिया। श्रीनगर के रैनावरी में रहने वाले सईद अफजल थोड़े-थोड़े दिन पर लाल चौक एक दोस्त के ऑफिस जाते हैं, अपनी बेटी शबाना और नातिनों से बात करने के लिए जो दिल्ली में रहती हैं।
उन्होंने बताया शबाना मेरी बात दूसरी बेटी अरूसा से कराती है, जो दुबई में रहती है। कई बार कुछ मिनटों के लिए कॉन्फ्रेंस कॉल होती है। मैंने अपने छोटे बेटे सई अफरोज से पिछले 6 हफ्ते से बात नहीं की है। वह भी दुबई में रहता है। अफजल इंतजार कर रहे हैं कि मोबाइल फोन सेवा चालू हो और वे सामान्य लोगों की तरह जिंदगी जी सकें।
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