सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार किया है, जिसमें उन लोगों को भी चुनाव लडने की इजाजत दे दी गई थी जिनके दो से अधिक बच्चे हैं। उत्तराखंड सरकार ने गत 19 सितंबर को हाईकोर्ट द्वारा दिए आदेश को चुनौती दी है।
जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश पर यह कहते हुए रोक लगाने से इनकार किया कि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है लिहाजा इसमें दखल का कोई कारण नहीं बनता। वहीं राज्य सरकार द्वारा यह कहने पर कि उसे इस तरह का नियम बनाने का अधिकार है और भविष्य में इस तरह की चीजें न हो इसलिए अदालत को इस मामले का परीक्षण करना चाहिए। जिस पर पीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है।
उत्तराखंड सरकार ने अपनी याचिका पर हाईकोर्ट के इस आदेश पर रोक लगाने की गुहार की थी। गत 19 सितम्बर को हाईकोर्ट ने उन लोगों को भी पंचायत चुनाव लडने की इजाजत दे दी थी जो 25 जुलाई 2019 से पहले तक दो से अधिक बच्चों के अभिभावक हैं।
वास्तव में राज्य सरकार ने हाल ही में उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम में संशोधन कर दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को पंचायत चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी थी। जस्टिस रमेश रंगनाथ और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने इससे संबंधित सरकार द्वारा कानून में किए गए बदलाव को तो निरस्त करने से इनकार कर दिया था, लेकिन यह कहा था कि संशोधित कानून 25 जुलाई 2019 के बाद से प्रभावी होगी।
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