रक्षाबंधन कब है 11 या 12 को, जानें कब और किस मुहूर्त में बहनें भाई को बांधेंगी राखी?

रक्षाबंधन कब है 11 या 12 को, जानें कब और किस मुहूर्त में बहनें भाई को बांधेंगी राखी?

रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में राखी त्योहार का बहुत महत्व है।राखी का त्योहार भाई बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है। राखी भाई बहन के स्नेह का पर्व है। राखी के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है।

कहते है जब राखी का शुभ मुहूर्त होता है तभी बांधनी चाहिए क्योंकि शुभ मुहूर्त में राखी बांधना अच्छा होता है। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी राखी दो दिन दिखा रहा है। 11और 12 को राखी पड़ रहा है लेकिन 11 अगस्त को भद्रा का समय शाम तक रहेगा है,जो राखी के लिए शुभ मुहूर्त समय को कम समय अवधी के लिए दिखा रहा है. भाई को राखी बांधने की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। स्कंद पुराण,पद्मपुराण और श्रीमद्भागवत में वामनावतार नामक कथा में रक्षा बंधन का प्रसंग मिलता है।

कब और किस मुहूर्त में बहनें बांधे राखी
किसी भी त्योहार का शुभ मुहूर्त होता है। उसी शुभ मुहूर्त में सारे काम किए जाते है।सावन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10 : 38 पर शुरू हो रहा है जो 12 अगस्त को सुबह 7:06 मिनट तक रहेगा। बताया जा रहा है इस बार राखी दो दिन लग रहा है। 11और 12 अगस्त को ,लेकिन 11 को भद्रा लग रही है, जो 11 अगस्त को रात में 8:35 मिनट तक रहेगी। शास्त्रो द्वारा बताया जाता है कि भद्रा पक्ष में राखी बांधना शुभ नहीं होता है।अगर आपको राखी के दिन बहुत जरूरी काम से कही बाहर जाना पड़ जाए तो आप भद्रा के पुच्छ के समय में राखी बांध सकते है। 12 अगस्त का दिन भी राखी के लिए शुभ है। इस दिन भद्रा नहीं लग रही। साथ ही उदया तिथि के अनुसार पूरे दिन पूर्णिमा तिथि का कुछ मान व्याप्त होगा. राखी के लिए 12 अगस्त का दिन भी अनुकूल माना गया है।

इस समय नहीं लगेगा भद्रा का दोष

रक्षा बंधन के दिन घटित होने वाली भद्रा पातालनिवास करेगी. चंद्रमा के मकर राशि में होने के कारण से भद्रा पाताल लोक में होने पर यहां भद्रा का परिहार भी होता है. बहुत आवश्यक होने पर भद्रा मुख के बजाय भद्रा पुच्छ का समय ही चुनना उपयुक्त होता है. भद्रा पुच्छ का समय सांय 17:18 से 18:20 तक रहेगा.

भाई को राखी बांधने की सही विधि

उस दिन स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनेएक थाली में रोली, चंदन, अक्षत, दही, मिठाई, शुद्ध घी का दीपक और अपने भाई के राशि के अुनसार धागे से बनी या फिर रेशम या सूत से बनी राखी रखें।इसके बाद अपने भाई को पूर्व या उत्तर दिशा में खड़ा कर दें। इसके बाद उसे तिलक लगाकर दाएं हाथ की कलाई में रक्षासूत्र या फिर कहें राखी बांधें।इसके बाद भाई की आरती उताकर मिठाई खिलाकर उसके उज्जवल भविष्य और दीर्घायु की कामना करें।

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