नई दिल्ली: मुंडका अग्निकांड में मारे गए 27 लोगों में से केवल 8 लोगों की शिनाख्त ही पुलिस कर सकी है. बचे हुए 19 शवों की शिनाख्त करना बेहद ही मुश्किल है क्योंकि वह पूरी तरह से जल चुकी हैं. ऐसे में पुलिस इन शवों की शिनाख्त के लिए डीएनए टेस्ट की मदद लेने जा रही है. डीएनए टेस्ट से किस तरह इनकी शिनाख्त होगी और यह तकनीक कितनी कारगर है इस बारे में जानकारी दे रहे हैं फॉरेंसिक एक्सपर्ट एवं मेडिको-लीगल कंसल्टेंट डॉ. अमरनाथ मिश्रा.
फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. अमरनाथ मिश्रा ने बताया कि “जिन लोगों की शिनाख्त इस अग्निकांड में नहीं हो सकी है, उसके लिए डीएनए फिंगरप्रिंटिंग का सहारा लिया जाएगा. इस तकनीक से उनकी पहचान बताई जा सकेगी. आमतौर पर डीएनए टेस्ट के रिपोर्ट एक से दो दिन के भीतर आ जाती है. लेकिन इस मामले में लगभग 20 सैम्पल लिए जा रहे हैं जिनकी जांच होगी. उनका मानना है कि एक सप्ताह से 10 दिन तक का समय इन शवों की शिनाख्त में लग सकता है.
डॉ. अमरनाथ मिश्रा ने बताया कि “डीएनए प्रोफाइलिंग इस कॉन्सेप्ट पर काम करती है कि जेनेटिक मटेरियल एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर हुआ है. इस दौरान अज्ञात शवों की शिनाख्त के लिए उनके डीएनए सैंपल लिए जाएंगे. इनके सैंपल का मिलान करने के लिए उनके माता-पिता, भाई-बहन या बच्चों का डीएनए सैंपल लिया जाएगा. डीएनए निकालने के बाद पीसीआर से उसे इम्प्रूव किया जाता है. उसको गुना कर उसकी मात्रा को बढ़ाया जाता है. इसके बाद जेनेटिक एनालाइजर से उसकी समीक्षा की जाती है. दोनों सैंपल का यहां पर मिलान करते हैं. इससे पता चलता है कि दोनों के डीएनए मेल खाते हैं या नहीं. इससे पता चलता है कि जला हुआ शव किसका है.
उन्होंने बताया कि “डीएनए प्रोफाइलिंग मुख्य रूप से तीन मामलों में की जाती है. अज्ञात शवों की शिनाख्त के लिए उनका डीएनए सैंपल सुरक्षित रखा जाता है ताकि उसकी पहचान भविष्य में हो सके. जले हुए शव की शिनाख्त के लिए भी डीएनए प्रोफाइलिंग की मदद ली जाती है क्योंकि आंख से शव की शिनाख्त करना संभव नहीं होता है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानते हुए यौन शोषण मामले में भी डीएनए टेस्ट किया जाता है. उन्होंने बताया कि अदालत में डीएनए टेस्ट के परिणाम माने जाते हैं. डीएनए टेस्ट के परिणाम 99.99 फीसदी तक सही पाए जाते हैं.”