जबलपुर। प्रदेश सरकार ने नर्मदा को स्वच्छ रखने के जो तमाम दावे किए हैं वह पूरी तरह से फेल नजर आ रहे है. दरअसल, विश्व बैंक और जर्मन केएफडब्ल्यू बैंक की मोटी मदद से कागजों पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लंबे-चौड़े तमाम दावे और करार नर्मदा स्वच्छता के नाम पर दम तोड़ते नजर आ रहे हैं, पर जमीनी हालत जस की तस है. नर्मदा में दिन-प्रतिदिन मल जल की बढ़ती मात्रा चिंताजनक बन रही है, इसके बावजूद भी जबलपुर के भेड़ाघाट और लम्हेटाघाट में ट्रीटमेंट प्लांट का काम 4 साल में महज 50 फ़ीसदी भी पूरा नहीं हुआ.
संकल्प के बाद भी नहीं हुआ नर्मदा का कायाकल्प
करोड़ों की लागत से बन रहा है ट्रीटमेंट प्लांट
जबलपुर में नर्मदा सेवा मिशन के तहत करीब 10 करोड़ रु की लागत से भेड़ाघाट-लम्हेटाघाट में 0.89 एमएलडी क्षमता के पांच सीवर ट्रीटमेंट बनाए जा रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि, ट्रीटमेंट के बाद इस पानी से सिंचाई की जाएगी, पर जो तस्वीरें सामने हैं वह ऐसी हैं कि गंदे नालों का पानी आज भी नर्मदा नदी में मिल रहा है.
करोड़ों खर्च होने के बाद भी मिल रहा गंदा पानी
सीएम के क्षेत्र में फिल्टर होकर पहुंच रहा पानी
जबलपुर के भेड़ाघाट और लम्हेटाघाट में ट्रीटमेंट प्लांट अभी अधूरा है, जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के क्षेत्र बुधनी में जल निस्तारण व उपचार योजना में होने वाला काम लगभग पूरा हो गया है. यहां पर पांच स्थानों पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए हैं, घरों से निकलने वाले गंदे पानी को सीवरेज पाइप लाइन के जरिए ट्रीटमेंट तक पहुंचाया जा रहा है, प्लांट में पानी फिल्टर होने के बाद नर्मदा नदी में प्रवाहित किया जाता है.
करोड़ों की लागत से बन रहा है ट्रीटमेंट प्लांट
वर्तमान में नर्मदा की स्थिति
- नर्मदा में दिन-प्रतिदिन मल जल की मात्रा बढ़ती जा रही है.
- पर्यावरणविद और साधु संत भी गंभीर चिंता जता चुके हैं.
- प्रशासनिक लापरवाही पर एनजीटी भी सख्ती दिखा चुका है.
- भेड़ाघाट और लम्हेटाघाट में ट्रीटमेंट प्लांट का काम चार साल बाद भी अधूरा है.
- सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम 50 फीसदी भी पूरा नहीं हुआ है.