बयान पर विवाद: जानें क्या कहती है IPC की धारा 295/A , कानून तोड़ कर भी आखिर क्यों बच जाते हैं सितारे

भोपाल। ‘शो स्टॉपर’ वेब सीरीज के प्रमोशन के दौरान भोपाल पहुंची श्वेता तिवारी ने विवादित बयान देकर सुर्खियां तो खूब बटोरीं, लेकिन धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मामले में FIR दर्ज होने और गृहमंत्री के सख्त कार्रवाई करने के निर्देश के बाद उन्होंने चुप्पी तोड़ी है. श्वेता तिवारी ने ‘ब्रा’ और ‘भगवान’ को लेकर दिए बयान पर माफी मांगी है. लिखित में मांगी गई इस माफी का वेब सीरीज के मीडिया डायरेक्टर ने वर्बल कम्युनिकेशन भी जारी किया है. श्वेता तिवारी के विवादित बयान पर सरकार ने धारा 295 (A) के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए थे.

माफी में क्या कहा
एक्ट्रेस श्वेता तिवारी ने अपने लिखित बयान में कहा है कि जिस संदर्भ में उन्होंने यह टिप्पणी की थी वह अलग करके ध्यान से बाहर कर दिया गया. श्वेता तिवारी ने कहा है कि उन्होंने यह बयान अपने एक सहयोगी की पिछली भूमिका के संदर्भ में दिया था ,जिसे गलत समझा गया.

क्या था बयान
बुधवार को वेब सीरीज शो स्टापर की अनाउंसमेंट के लिए भोपाल पहुंची श्वेता ने मीडिया से बात करते हुए भगवान को लेकर आपत्तिजनक बयान दे दिया. उन्होंने कहा कि “मेरी ब्रा का साइज भगवान ले रहे हैं.” श्वेता के इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया.

किसने की शिकायत

बुधवार को श्वेता तिवारी के प्रोग्राम में राजधानी के पीरगेट इलाके में रहने वाले सोनू प्रजापति भी शामिल थे. सोनू को श्वेता तिवारी का बयान देना और बयान के बाद हंसना ठीक नहीं लगा. गुरूवार देर रात सोनू अपने साथी निहाल के साथ श्यामला हिल्स थाने पहुंचा इस मामले में केस दर्ज कराया. उन्होंने श्वेता की गिरफ्तारी या बयान पर माफी मांगने की मांगने की मांग की. सोनू प्रजापति पुलिस की नगर सुरक्षा समिति के सदस्य हैं. उन्होंने माफी मांगने पर केस वापस लेने की बात भी कही.

गृहमंत्री ने दिया कार्रवाई के निर्देश

टीवी एक्ट्रेस श्वेता तिवारी के बयान को आपत्तिजनक मानते हुए और इस मामले में आईपीसी सेक्शन 295/A में केस दर्ज होने पर प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पुलिस आयुक्त को कार्रवाई के निर्देश दिए.

धारा 295/A में कितनी सजा
– भोपाल के वरिष्ठ वकील के मुताबिक इंडियन पीनल कोड 1860 के सेक्शन 295/A में यह प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह से अपने शब्दों या बयान से किसी की भावना को आहत करता है. तब धारा 295/A के तहत मामला बनता है.

– दोष साबित होने पर इसमें 3 साल तक की सजा हो सकती है.

– इस धारा में CRPC-41 के तहत थाने से बेल देने का नियम है.

क्या कहती है भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 295A?

– धारा 295A यह कहती है कि, ऐसा विमर्शित (Deliberate) और विदेषपूर्ण (Malicious) काम जो किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वास का अपमान कर उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आशय से किए गए हो. – जो कोई भारत के नागरिकों के किसी वर्ग की धार्मिक – किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान, बोलकर, लिखकर या संकेतों या विजुअल रूप में करने की कोशिश करेगा. वह दोनों में से किसी भी तरह के कारावास से, जिसकी अवधि 3 वर्ष तक , या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा.

– आरोपी का यह ठोस इरादा होना चाहिए कि उसके कृत्य से, एक वर्ग की धार्मिक भावनाएं आहत हों और फिर जब उसके द्वारा धर्म या धार्मिक भावना आहत की जाती हैं या ऐसा करने का प्रयत्न किया जाता है तो यह धारा लागू होती है.

– अनजाने में या लापरवाही के चलते धर्म का अपमान किया जाना, बिना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के किसी ठोस एवं विद्वेषपूर्ण आशय से, इस धारा के अंतर्गत दण्डित नहीं किया जा सकता है.

धारा 295 /A की संवैधानिकता पर लग चुका है प्रश्नचिन्ह
धारा 295/A की संवैधानिकता पर प्रश्नचिन्ह भी लग चुका है.भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 295 ए की संवैधानिकता पर रामजी लाल मोदी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य AIR 1957 SC 620 के मामले में प्रश्नचिन्ह लगा था. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि यह धारा संविधान के विरुद्ध नहीं है. यह धारा, केवल धर्म के अपमान के गंभीर रूप को दण्डित करती है, जब वह अपमान किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए विद्वेषपूर्ण आशय से किया जाता है.

विवादित बयान देने के बाद भी इसलिए बच जाते हैं सितारे

-धारा 295/A में सीआरपीसी की धारा 41 के तहत थाने से बेल मिल जाती है.

-शिकायतकर्ता माफी मांग लेने पर केस वापस लेने की बात कहता है.

-बयान देने का कोई ठोस आधार न होने या साबित न कर पाने की वजह से भी केस कमजोर होता है.

-ऐसा अपराध अनजाने या लापरवाही में होने पर दंडित करने का प्रावधान नहीं.

-अपराध के पीछे के आधार को कोर्ट में साबित करना काफी मुश्किल होता है.

लॉकडाउन के दौरान प्रशांत भूषण के खिलाफ भी दर्ज हुआ था मामला
लॉकडाउन के दौरान केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने “रामायण” धारावाहिक देखने की खुद की एक तस्वीर ट्वीट की थी. इस ट्वीट पर वकील प्रशांत भूषण ने ट्विटर पर ही कथित रूप से एक आलोचनात्मक टिपण्णी की गयी थी, जिसके चलते उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. प्रशांत भूषण ने अपने ट्विटर पर तस्वीर के सम्बन्ध में लिखा था, “लॉकडाउन के कारण करोड़ों लोग भूखे और सैकड़ों मील घर के लिए चल रहे हैं, हमारे मंत्री लोगों को रामायण और महाभारत की अफीम का सेवन करने के लिए मना रहे हैं!” ट्वीट पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाते हुए भक्तिनगर पुलिस स्टेशन, राजकोट, गुजरात में धारा 295 ए के तहत उनके खिलाफ शिकायत दर्ज हुई थी.

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