भोपाल। शादी हो या घर में कोई फंक्शन खाने की बर्बादी अक्सर देखी जाती है. कुछ सामाजिक संगठन ऐसा समारोहों में खाने की बर्बादी पर लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावा वन टाइम यूज प्लास्टिक के खिलाफ भी लोगों में जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. इन लोगों का प्रयास ये है कि शादी या फिर किसी भी फंक्शन में कुछ भी वेस्ट ना जाए. यानि अब जीरो वेस्ट वेडिंग पर जोर दिया जा रहा है.
शादियों में खाने की बर्बादी रोकने की पहल
शहर में अब कई शादियों में आपको वॉलेंटियर्स दिखाई देंगे. ये लोगों से खाने की बर्बादी नहीं करने की अपील करते नजर आते हैं. कई लोगों ने वन टाइम प्लास्टिक को ही शादियों में बैन कर दिया है. कुछ युवा शादियों में बचे हुए खाने को जरूरतमंद लोगों तक पहुंचा रहे हैं. ये लोग लोगों से अनुरोध करते नजर आते हैं कि शादी ऐसी हो कि कुछ भी बर्बाद नहीं हो. ज्यादातर लोग इनकी बातों से काफी खुश हैं.
बड़ी मात्रा में खाना होता है वेस्ट
शादियों में खाने की बर्बादी कोई नई बात नहीं है. हमारे यहां शादियों में मेहमान खाने की प्लेट फुल भर लेते हैं. जितना खाया सो खाया, बाकी कचरे के डिब्बे में फेंक देते हैं. इस तरह एक सामान्य शादी में हजारों रुपए का खाना वेस्ट हो जाता है. कूड़ेदान में फेंका ये खाना किसी के भी काम नहीं आता. कई बार ये इतना ज्यादा गंदा हो जाता है कि जानवर भी इसे नहीं खाते.
जीरो वेस्ट शादी के लिए जागरूकता
शादियों में धड़ल्ले से डिस्पोजल गिलास से लेकर चम्मच, कटोरी और प्लेटों का इस्तेमाल होता है. ये वन टाइम यूज प्लास्टिक भी कम गंदगी नहीं फैलाते. ऐसे प्लास्टिक और बचए हुए खाने की बर्बादी रोकने के लिए कुछ सामाजिक संगठन सामने आए हैं.
स्वच्छता सर्वेक्षण में भी जीरो वेस्ट शादी के लिए मिलेंगे नंबर
देश में स्वच्छता सर्वेक्षण में हर शहर को कुछ पॉइंट्स पर काम करना होता है. ऐसे में मध्यप्रदेश में इस बार जीरो वेस्ट वेडिंग को अपनाने का फैसला किया गया है. इसके लिए स्वच्छता सर्वेक्षण में 40 अंक तय किए गए हैं. नगर निगम भी इसके लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रहा है. सामाजिक संस्थाएं भी आगे आ रही हैं.
समाज के कुछ लोगों ने की पहल
नामदेव छींपा वैष्णव समाज के पदाधिकारी सुरेंद्र वाडिका बताते हैं कि उनका समाज भी इस दिशा में काम कर रहा है. हम शादियों में हर काउंटर के बाहर वॉलिंटियर्स रखेंगे. लोगों से अनुरोध करेंगे कि जितनी जरूरत हो उतना खाना ही प्लेट में लें. इससे खाना वेस्ट नहीं होगा
जरूरतमंदों तक पहुंचाते हैं बचा हुआ भोजन
शहर के कुछ युवा शादियों में बचने वाले खाने को गरीब और असहाय लोगों को बांटकर इसका सदुपयोग कर रहे हैं. इनका कहना है कि अक्सर शादियों में खाना बच जाता है. लोग इसे कचरे में फेंक देते हैं.ऐसे ही एक युवा संतोष बताते हैं कि मैं अपने साथियों के साथ शादियों में पहुंच जाता हूं. लोगों से गुजारिश करता हूं कि बचा हुआ खाना एक साफ सुथरी जगह इकट्ठा कर दें, ताकि हम इसे जरूरतमंदों में बांट सकें.
वन टाइम प्लास्टिक के इस्तेमाल के खिलाफ जागरूकता
भोपाल में नगर निगम के असिस्टेंट इंजीनियर आर. के. सक्सेना ने अपने बेटे पर्थ के विवाह में वन टाइम प्लास्टिक को ही बेन कर दिया. उन्होंने डिस्पोजल ग्लास से लेकर प्लास्टिक के चम्मच, कटोरी की जगह स्टील और मेटल की वस्तुएं इस्तेमाल की थी. ये जागरूकता धीरे धीरे समाज में फैल रही है. उम्मीद है कि एक दिन वो भी आएगा जब जीरो वेस्ट शादी का बोलबाला होगा.
हर साल 93 करोड़ टन से ज्यादा भोजन होता है बर्बाद
दुनियाभर में खाने की बेइंतिहा बर्बादी हो रही है. संयुक्त राष्ट्र की एक (wastage of food in world ) रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल पूरी दुनिया में अनुमानित रूप से 93.10 करोड़ टन खाना बर्बाद हो गया. जो वैश्विक स्तर पर कुल खाने का 17 फीसदी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय घरों में हर साल करीब 6.87 करोड़ टन खाना वेस्ट हो जाता है. 93.10 करोड़ टन बर्बाद खाने में से 61 फीसदी हिस्सा घरों से, 26 फीसदी खाद्य सेवाओं और 13 फीसदी खुदरा जगहों से आता है. इस रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में हर साल प्रति व्यक्ति 121 किलो खाना बर्बाद हो रहा है.
करीब 50 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार
संयुक्त राष्ट्र की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के मुताबिक, 2019 में 69 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार थे. 300 करोड़ लोगों को सेहतमंद भोजन नहीं मिल पाया था.