जबलपुर। भोपाल गैस त्रासदी मामले में मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर केन्द्र सरकार की तरफ से परिपालन रिपोर्ट पेश की गयी. हाईकोर्ट युगलपीठ ने रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद केन्द्र सरकार को जमकर फटकार लगाई. युगलपीठ ने कहा है कि कागजी रिपोर्ट और निर्देश बहुत हो गये. पीड़ितों के समुचित इलाज के लिए केन्द्र सरकार ने क्या निर्णय लिया है. युगलपीठ ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा है कि सरकार जल्द फैसला ले, वरना न्यायालय को ठोस आदेश जारी करने होंगे.
भोपाल गैस पीड़ितों पर केन्द्र सरकार को फटकार
सर्वाेच्च न्यायालय ने 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार और पुनार्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किये थे. मॉनिटरिंग कमेटी को हर तीन महीने में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने को कहा था.
पीड़ितों को राहत दे सरकार, नहीं तो हम सख्त आदेश देंगे
याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का राज्य सरकार द्वारा परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका दायर की गयी थी. दायर अवमानना में कहा गया था कि सर्वाेच्चय न्यायालय द्वारा जारी निदेर्शों का परिपालन केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है. गुरूवार को हुई सुनवाई के बाद युगलपीठ ने रिपोर्ट का अवलोकन करने पर पाया कि कैंसर के अलावा अन्य बीमारियों का समुचित उपचार भी पीड़ितों नहीं मिल रहा है. युगलपीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हम यह आदेश पारित कर दें कि पीड़ित अपनी मर्जी से किसी भी अस्पताल में उपचार करवाए,उनका खर्च सरकार उठायेगी. युगलपीठ ने कहा कि उपचार के संबंध में आवश्यक निर्देश और कागजी रिपोर्ट नहीं, ठोस निर्णय लेकर केन्द्र सरकार अवगत करवाए. युगलपीठ ने इसके लिए केन्द्र सरकार को तीन सप्ताह का समय दिया है.
नकली रेमडेसिविर केस में सबरजीत सिंह मोखा को मिली जमानत
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले में लगभग सात माह से जेल में निरूध्द सिटी हॉस्पिटल के संचालक सबरजीत सिंह मोखा को हाईकोर्ट से राहत मिली है।.हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल ने अभियुक्त को सशर्त जमानत दी है. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा में अभियुक्त को निर्देशित किया है वह अपना पासपोर्ट निचली अदालत में जमा करवाएं. सिटी अस्पातल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा पर आरोप है कि कोरोना महामारी के दौरान उसने गुजरात से नकली रेमडेसिविर की खेप मंगवाई थी. उपचार के नाम पर अस्पताल में भर्ती मरीजों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए और शेष बचे नकली इंजेक्शन को नष्ट कर दिया था. ओमती पुलिस ने अस्पताल संचालक सबरजीत सिंह मोखा,उसकी पत्नी,बेटे,अस्पताल मैनेजर सोनिया सिंह,मेडिकल स्टोर मैनेजर देवेश चौरसिया सहित अन्य व्यक्तियों के खिलाफ कई धाराओं में FIR दर्ज की थी.
खुले में अनाज भंडारण पर सुनवाई
खुले में आनाज के भंडारण को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका पर गुरूवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि खाद्यान्न के सुरक्षित भंडारण के मापदण्ड निर्धारित करने के लिए बनी कमेटी ने 15 सालों का रिकॉर्ड जांच लिया है. मापदण्ड निर्धारित करते के संबंध में कमेटी की कई बैठकें हुई हैं. अंतिम निर्णय से अवगत करवाने के लिए सरकार ने समय मांगा है. मामले में अगली सुनवाई 1 फरवरी को होगी.