दिवाली का त्यौहार पांच दिनों का है और इसका समापन भाई दूज के दिन होता है। वहीं हिंदू पंचांग के मुताबिक, भाई दूज या भैया दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। आप सभी को बता दें कि रक्षा बंधन की तरह ही यह त्यौहार भी भाई-बहन के प्रति एक-दूसरे के स्नेह को दर्शाता है। ज्योतिष शास्त्र की माने तो इस दिन भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से दोपहर 3 बजकर 21 मिनट तक है। आपको बता दें कि शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 2 घंटे 11 मिनट की है।
आपको यह भी बता दें कि भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। जी दरअसल इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। वहीं भाई दूज पर बहनें भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं और इस तिथि को भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि भाई दूज के दिन बहनें भाई को तिलक करके उनके उज्जवल भविष्य और लंबी आयु की कामना करती हैं।
आपको यह भी बता दें कि भाई दूज के दिन भाई की हथेली पर बहनें चावल का घोल लगाती हैं और उसके बाद उसके ऊपर सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे धीरे पानी हाथों पर छोड़ते हुए कहती हैं जैसे ‘गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े’। ऐसा करने से भाई की आयु बढ़ती है। वहीं इस दिन शाम के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं और इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है।