उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस की राह आसान नहीं

भोपाल । खंडवा लोकसभा, पृथ्वीपुर, जोबट और रैगांव के विधानसभा उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस की राह आसान नहीं है। दोनों पार्टियों के रणनीतिकारों ने शुस्र्आत में अनुमान के जिन आंकड़ों के आधार पर जीत-हार का गुणा-भाग किया था, अब वह मुश्किल हो गया है। उपचुनाव के लिए मतदान की तारीख नजदीक आते-आते कई समीकरण बदले और अब हालात यह हैं कि सार्वजनिक रूप से अपनी-अपनी जीत के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन अंदरखाने कुछ भी हो सकता है, वाला भाव है।
दिवंगत नेताओं के स्वजन को टिकट देने से कहीं सहानुभूति का भरोसा है तो कहीं मतदाताओं की बदलाव वाली मानसिकता से प्रत्याशी परेशान हैं। जोबट में दलबदल पर चर्चा आम है। यहां इसी मुद्दे पर आरोप और सफाई दी जा रही है। सभी सीटों पर चुनाव प्रचार की कमान भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने संभाल रखी है।
खंडवा में 16 प्रत्याशी मैदान में
खंडवा लोकसभा उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस सहित 16 प्रत्याशी मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला भाजपा के ज्ञानेश्वर पाटील और कांग्रेस के ठाकुर राजनारायण सिंह पुरनी में है। भितरघात की आशंका दोनों को है। यहां अब तक कांग्रेस नौ और भाजपा व सहयोगी दल आठ बार जीते हैं। उपचुनाव में कांग्रेस के लिए वापसी तो भाजपा के सामने कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है। कांग्रेस ने 70 वर्षीय राजनारायण सिंह पुरनी को राजपूत वोटों के भरोसे हैं तो भाजपा ने पिछड़ा वर्ग के ज्ञानेश्वर पाटिल को उम्मीदवार बनाकर ओबीसी कार्ड खेला है। यहां से अब तक सबसे ज्यादा छह बार जीतने का रिकार्ड भाजपा के नंदकुमारसिंह चौहान का रहा है। उनके निधन से ही उपचुनाव हो रहा है। खंडवा लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने का 10 बार मौका बुरहानपुर के प्रत्याशी को मिला है। दो बार बाहर के प्रत्याशी भी विजयी हुए हैं।
रैगांव में भाजपा को घेरने में जुटी कांग्रेस
विंध्य क्षेत्र की रैगांव विधानसभा अजा-अजजा बाहुल्य क्षेत्र है। 16 प्रत्याशी मैदान में हैं। मतदाताओं का एक खेमा बदलाव चाह रहा है जबकि एक खेमा विकास को अहमियत दे रहा है। यहां सर्वाधिक भाजपा से स्व. जुगल किशोर बागरी ने चुनाव में जीत दर्ज कराई थी। निर्दलीय, बसपा, कांग्रेस से भी विधायक चुने गए हैं। कांग्रेस और भाजपा में बेहद नजदीकी टक्कर है। यहां मौजूदा भाजपा सरकार के विकास कार्य और पूर्व में की गई घोषणाओं का फायदा मिल सकता है। कुछ का मत भाजपा से स्व. बागरी के बाद बदलाव का है। यहां भाजपा से प्रतिमा बागरी और कांग्रेस से कल्पना वर्मा मैदान में हैं। कांग्रेस यहां पूरा दम लगा रही है।
जोबट में स्थानीय मुद्दे गायब
आलीराजपुर जिले के जोबट विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस छोड़ भाजपा खेमे में आई पूर्व मंत्री सुलोचना रावत उम्मीदवार हैं, तो कांग्रेस से महेश पटेल मैदान में हैं। उपचुनाव में अब तक स्थानीय मुद्दे दोनों दलों ने प्रमुखता से नहीं उठाए हैं। 50 साल तक कांग्रेस से राजनीति करने वाले रावत परिवार की बहू सुलोचना के पाला बदलकर भाजपा में आने को कांग्रेस सबसे बड़ा मुद्दा बना रही है। पार्टी नेता कहते हैं कि जिन्होंने पांच दशक की निष्ठा को छोड़ दिया, उन पर जनता कैसे विश्वास करे। दूसरी ओर भाजपा प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाएं गिना रही है। पार्टी के नेता कहते हैं कि कांग्रेस का अब कोई भविष्य नहीं है। इसलिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी अब भाजपा में आ रहे हैं। जोबट विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी का व्यक्तिगत व्यवहार भी निर्णायक होता है। सुलोचना यहां स्थानीय हैं, जबकि पटेल आलीराजपुर विधानसभा क्षेत्र से हैं। इसे भी चुनाव में एक फैक्टर माना जा रहा है।
पृथ्वीपुर में कांग्रेस सहानुभूति लहर के सहारे
निवाड़ी जिले की पृथ्वीपुर विधानसभा सीट में कांग्रेस प्रत्याशी की सहानुभूति के सहारे मोर्चा संभाले हुए है। सहानुभूति लहर से निपटना भाजपा के लिए चुनौती बना हुआ हैै। इस सीट पर कई वर्षों से कांग्रेस ही काबिज थी। यहां पर पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर के निधन के बाद खाली हुई सीट पर कांग्रेस से प्रत्याशी के रूप में उनके बेटे नितेंद्र सिंह राठौर मैदान में हैं। भाजपा ने ललितपुर जिले के तालबेहट के पास रहने वाले डा. शिशुपाल सिंह यादव को मैदान में उतारा है। भाजपा की ओर से मंत्रियों और संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों ने मैदान संभाल लिया है।

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