मप्र विधानसभा उपचुनाव :अब BJP के हुए सचिन, कांग्रेस को लगा बड़ा झटका

खंडवा। मध्य प्रदेश में एक लोकसभा समेत तीन विधानसभा उपचुनाव के पहले ही कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. चुनाव प्रचार के बीच ही खरगोन जिले की बड़वाह विधानसभा से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला बीजेपी में शामिल हो गए. उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सभा में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. सचिन बिरला को बीजेपी में लाने के लिए कृषि मंत्री कमल पटेल ने सक्रिय भूमिका निभाई है. कमल पटेल को इस क्षेत्र में पार्टी ने प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी थी.

पूरे राजनीतिक घटनाक्रम के बाद कृषि मंत्री कमल पटेल और कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए सचिन बिरला से बातचीत की. कमल पटेल और सचिन बिरला ने कहा ताली एक हाथ से नहीं बजती, दोनों की जरूरत थी. दोनों के दिल मिले और आज सचिन हमारे साथ है. सचिन बिरला अरुण यादव के समर्थक विधायक रहे हैं, जिनके भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस को गुर्जर बहुल क्षेत्र में नुकसान की आशंका बन गई है।
क्षेत्र के विकास के लिए थामा बीजेपी का दामन
सचिन बिरला ने बातचीत करते हुए बताया कि क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने बीजेपी का दामन थामा है. सचिन बिरला ने कहा कि वे कांग्रेस शासनकाल में काम करवाने जाते थे लेकिन उनके काम नहीं होते थे. सीएम शिवराज ने कांग्रेस में होने के बाद उनके क्षेत्र के विकास कार्यों को करने पर सहमति दी. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने का मन बना लिया।

सीएम शिवराज के सामने ली बीजेपी की सदस्यता

शिवराज सिंह चौहान की बेड़ियां में लोकसभा उम्मीदवार ज्ञानेश्वर पाटिल के समर्थन में सभा की थी. इस दौरान कृषि मंत्री कमल पटेल और पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह पहले से ही पूर्व निर्धारित स्क्रिप्ट के तहत सचिन बिरला को लेकर मुख्यमंत्री की सभा में पहुंचे थे. यहां मंच पर ही शिवराज ने सचिन का स्वागत किया और इसके बाद ही सचिन बिरला ने भाजपा का दामन थाम लिया. सचिन बिरला के भाजपा में शामिल होने के कयास काफी पहले से चल रहे थे जिसे लेकर भाजपा के तमाम नेता उनके साथ सक्रिय थे. अब जबकि विधानसभा उपचुनाव के मतदान सामने हैं तो भारतीय जनता पार्टी ने आगे रहकर पहल की इसकी वजह बड़वाह विधानसभा में बड़ी संख्या में गुर्जर वोट बैंक के जो सचिन बिरला के साथ है.

गुर्जर वोटों पर है सचिन बिरला की पकड़

कांग्रेस के टिकट पर जब सचिन बिरला चुनाव लड़े थे, तब उन्होंने गुर्जर वोट बैंक की मदद से ही 30,000 से ज्यादा मतों से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के हितेंद्र सोलंकी को हराया था. इसके बाद कमलनाथ सरकार गिरने के कारण सचिन बिरला को जो क्षेत्र में विकास कराने थे वे अटक गए. हालांकि उन्होंने कांग्रेस के स्तर पर अपनी मांगे पार्टी आलाकमान के सामने रखी लेकिन सरकार नहीं होने के कारण वे भाजपा की ओर झुक गए. अब जबकि उपचुनाव के ऐन पहले भाजपा संगठन और सरकार की ओर से जैसे ही सचिन बिरला को विकास कार्यों को लेकर हरी झंडी मिली वैसे ही उन्होंने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया.

विकास कार्यों के लिए थामा बीजेपी का दाम

सचिन बिरला के कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने के बाद आशंका जताई जा रही है कि कांग्रेस को खंडवा लोकसभा के गुर्जर बहुल इलाकों में अब नुकसान हो सकता है. यही वजह है कि आज पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी सचिन बिरला को बिकाऊ बताते हुए कहा जो लोग बिकाऊ होते हैं वह बिक जाते हैं.हालांकि सचिन बिरला का कहना है कि दिग्विजय सिंह जी चाहे तो नर्मदा का जल उठा ले और मैं भी नर्मदा जल उठा लेता हूं. बिकने जैसी कोई बात नहीं है बात विकास कार्यों की है. जो सरकार विकास कार्य कर आएगी उसे जनता का समर्थन मिलेगा. यही वजह है कि वह क्षेत्र मैं विकास कार्यों को कराने के लिए कहीं ना कहीं अब कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा के साथ हो गए हैं.

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