भोपाल।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उपभोक्ताओं प्रदेश सहित देश में कहीं भी अपने हिस्से का खाद्यान्न ले सकते हैं। केंद्र सरकार की वन नेशन-वन राशनकार्ड की मंशा को शिवराज सरकार ने पूरा करते हुए एक करोड़ 15 लाख परिवारों (चार करोड़ 90 लाख हितग्राही) में से 98 फीसद के आधार नंबर लेकर डाटा सीडिंग का काम पूरा कर लिया है।
इसकी वजह से प्रदेश के तीन हजार 543 परिवारों के अन्य प्रांतों में पात्रता अनुसार खाद्यान्न् मिल सकता है। वहीं, अन्य राज्यों के एक हजार 868 परिवारों ने प्रदेश में इस सुविधा का लाभ उठाया है। 40 लाख परिवारों ने प्रदेश के अंदर दूसरे जिले और दूसरी दुकानों से राशन लिया है। इस कदम से न सिर्फ उपभोक्ताओं को खाद्यान्न् लेने में आसानी हुई है बल्कि गड़बड़ियां भी रुकी हैं।
कोरोना काल में प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति देने और व्यवस्थागत सुधार के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुनियादी सुधार का मंत्र प्रदेशों को दिया था। इसमें वन नेशन-वन राशनकार्ड की अवधारणा भी एक थी। इसके लिए जरूरी कदम उठाने पर प्रदेश को लगभग दो हजार 700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण मिल सकता था। इस मौका का लाभ उठाते हुए शिवराज सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए सभी उपभोक्ताओं के आधार नंबर लेकर डाटा बेस तैयार किया।
केंद्र सरकार के डाटा बेस से ऐसे नामों को चि-त कराया, जिनके नाम दो जगह थे। एक जगह से नाम हटाकर सूची तैयार की गई। 25 हजार 400 उचित मूल्य की राशन दुकानों में से आठ सौ दुकानों (नेटवर्क की समस्या के कारण) को छोड़कर सभी को ऑनलाइन किया गया ताकि कोई भी व्यक्ति कहीं से भी राशन ले सके। इसका फायदा यह हुआ कि रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य गए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उपभोक्ताओं को पात्रता अनुसार दूसरे राज्यों में राशन मिल गया। ऐसा ही प्रदेश में दूसरे राज्यों के उपभोक्ताओं के साथ भी हुआ।
साथ 40 लाख परिवारों ने निर्धारित उचित मूल्य की दुकान या जिले की जगह दूसरे स्थानों से राशन प्राप्त किया। इस व्यवस्था का एक फायदा यह और हुआ कि उपभोक्ता की पहचान सुनिश्चित हो गई क्योंकि सबके आधार नंबर डाटा बेस में दर्ज हैं। इसमें अब कोई व्यक्ति किसी और का राशन नहीं ले सकता है। खाद्य संचालक तरुण कुमार पिथोड़े का कहना है कि मध्य प्रदेश ने प्राथमिकता के आधार पर व्यवस्था में सुधार का काम किया है।