
भोपाल ।
कृषि के क्षेत्र में मध्य प्रदेश लगातार रिकॉर्ड बनाता जा रहा है। उत्पादन के क्षेत्र में सात बार कृषि कर्मण अवॉर्ड लेने और रिकॉर्ड गेहूं का उपार्जन करने के बाद अब खरीफ फसलों की बोवनी पिछले साल से एक लाख 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में अधिक हुई है। 23 अगस्त तक 144.87 लाख हेक्टेयर बोवनी हो चुकी है। यह सिलसिला अभी जारी है। हालांकि, इस बार प्रदेश में सोयाबीन की फसल का क्षेत्र दो लाख 62 लाख हेक्टेयर घट गया है। इसकी जगह किसानों ने साढ़े चार लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अधिक धान की फसल ली है। अभी तक 32.89 लाख हेक्टेयर रकबे (क्षेत्र) में धान की बोवनी हो चुकी है।
प्रदेश सरकार ने इस बार 149 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों को बोवनी का लक्ष्य रखा था। यह तो पूरा होता नजर नहीं आ रहा है पर पिछले साल से बोवनी जरूर अधिक हो चुकी है। सोमवार को आई रिपोर्ट के मुताबिक सोयाबीन की 55 लाख 84 हजार हेक्टेयर में बोवनी हो चुकी है। जबकि, पिछले साल 58 लाख 46 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया था। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस कमी की बड़ी वजह बोवनी के बाद बारिश का न होना है। इसकी वजह से बीज भी खराब हुआ। जो फसल लग गई थी वो बढ़ नहीं पाई।
किसानों ने नुकसान की आशंका को देखते हुए दूसरी फसल लेना ही बेहतर समझा। प्रदेश में इस बार धान की बोवनी 32 लाख 89 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है। जबकि, पिछले साल 28 लाख 43 हजार हेक्टेयर में रिकॉर्ड धान की बोवनी हुई थी। धान का क्षेत्र बढ़ने की एक और वजह न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीद भी है। इससे किसानों को यह गारंटी रहती है कि उनकी फसल समर्थन मूल्य पर तो बिक ही जाएगी।
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि धान के क्षेत्र में थोड़ी वृद्धि और हो सकती है। वहीं, किसानों ने इस बार तुअर (अरहर) की फसल भी दस हजार हेक्टेयर क्षेत्र में अधिक ली है। चार लाख 22 हजार हेक्टेयर में तुअर की बोवनी हो चुकी है। बाजरा भी पिछले साल की तुलना में अधिक लगाया है। मूंगफली का क्षेत्र एक लाख हेक्टेयर बढ़कर तीन लाख 79 हजार हेक्टेयर हो गया है। कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि सरकार किसानों के साथ है और उन्हें हरसंभव सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। सोयाबीन का क्षेत्र जरूर कम हुआ है पर धान सहित अन्य फसलों की ओर किसानों का रूझान बढ़ा है।