
नई दिल्ली । सरकार 2012 के उस विवादित पूर्वव्यापी टैक्स कानून को खत्म करने जा रही है जिसके कानून के कारण केयर्न और वोडाफोन जैसी फर्मों ने मुकदमा दायर किया था। कैबिनेट ने 2012 के इस विवादास्पद कानून को पूर्ववत करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी है। केंद्र भुगतान की गई राशि को बिना ब्याज के वापस करने के लिए तैयार है। भारत वोडाफोन के खिलाफ मुकदमा हार गया था और उसने पिछले साल दिसंबर में एक अपील दायर की थी।
पूर्वव्यापी कर प्रावधान को हटाने के लिए नए विधेयक पर राजस्व सचिव तरुण बजाज ने एक समाचार चैनल से कहा कि टैक्सेशन लॉ अमेंडमेंट बिल भारत को एक बेहतर इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के तौर पर तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। पूर्वव्यापी इफेक्ट से टैक्स न लगाने से जुड़े इस नए बिल के पारित होने पर हमें टैक्स विभाग से जुड़े 17 टैक्स विवाद से जुड़े मामले सुलझाने में मदद मिलेगी। इनमें से चार टैक्स विवाद के मामलों में अब तक करीब 8000 करोड़ रुपए कलेक्ट किए गए हैं। इस बिल के पारित होने के बाद भारत सरकार की टोटल फाइनेंशियल लायबिलिटी करीब आठ हजार करोड़ की होगी।
ज्ञात रहे कि सितंबर में हेग में एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाया था कि वोडाफोन पर भारत की कर देयता, साथ ही ब्याज और दंड, भारत और नीदरलैंड के बीच एक निवेश संधि समझौते का उल्लंघन है।
प्रस्तावित कानून यह भी बताता है कि केंद्र 2012 के कानून के तहत भुगतान की गई राशि बिना ब्याज के वापस करने के लिए तैयार है। इस मामले के कारण केयर्न और वोडाफोन जैसी फर्मों ने अंतरराष्ट्रीय अदालतों में मुकदमों का नेतृत्व किया था। सभी मुकदमों में भारत को हार का सामना करना पड़ा था।
दोनों निर्णयों में, नीदरलैंड में अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने कहा कि भारत को “कथित कर देयता या किसी ब्याज और या दंड” की वसूली के लिए कोई और प्रयास नहीं करना चाहिए। भारत पिछले साल सितंबर में नीदरलैंड में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में वोडाफोन के खिलाफ मामला हार गया था।