भारत में हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। वहीं पाकिस्तान हर साल 14 अगस्त को यानी एक दिन पहले ही अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है। जबकि दोनों मुल्क एक ही दिन आजाद हुए थे। सवाल उठता है कि आखिर क्यों पाकिस्तान 15 अगस्त की जगह 14 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाता है? ऐसा भी कहा जाता है कि पाकिस्तान ने अपना पहला स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को ही मनाया था लेकिन बाद में फिर क्यों ये तारीख 15 अगस्त से 14 अगस्त हो गई। यहीं नहीं पाकिस्तान के ‘कायदे-आजम’ मुहम्मद अली जिन्ना ने देश के नाम पहले संबोधन में 15 अगस्त की बधाई दी थी। उन्होंने कहा था, ‘ढेर सारी खुशियों के साथ मैं आपको बधाइयां देता हूं। 15 अगस्त स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र पाकिस्तान का जन्मदिन है।’ मीडिया रिपोर्ट्स और इतिहासकार द्वारा लिखी गई किताबों में पाकिस्तान के 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाने के पीछे दो वजहें बताई जाती रही हैं।
– दरअसल इंडियन इंडिपेंडेंस बिल 4 जुलाई को ब्रिटिश संसद में पेश हुआ था और इसने 15 जुलाई को कानून की शक्ल ली थी। इस बिल के मुताबिक 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को भारत का बंटवारा होना था। आधी रात को भारत और पाकिस्तान नाम के दो नए देश वजूद में आने थे।पाकिस्तानी इतिहासकार केके अजीज अपनी किताब मर्डर ऑफ हिस्ट्री में लिखते हैं कि इन दोनों देशों को सत्ता का हस्तांतरण वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को करना था। माउंटबेटन एक ही वक्त पर यानी 15 अगस्त को नई दिल्ली और कराची में मौजूद नहीं हो सकते थे। दोनों जगहों पर उनका होना जरूरी था। ऐसे में लॉर्ड माउंटबेटन ने वायसराय रहते हुए 14 अगस्त को पाकिस्तान को सत्ता हस्तांतरित कर दी। रिपोर्ट्स बताती हैं कि 14 अगस्त को वायसराय के सत्ता हस्तांतरित करने के बाद ही कराची में पाकिस्तानी झंडा फहरा दिया गया था। इसलिए बाद में पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस की तारीख 14 अगस्त ही कर दी गई। कई इतिहासकार बताते हैं कि तथ्यात्मक साक्ष्यों के मुताबिक हिन्दुस्तान और पाकिस्तान को एक ही दिन आजादी मिली थी। लेकिन, बस उन्हें दस्तावेज एक दिन पहले मिले थे, यही वजह है कि वहां एक दिन पहले स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 1947 में 14 अगस्त को रमजान का 27वां दिन यानी शब-ए-कद्र था। इस्लामिक मान्यता के मुताबिक धार्मिक ग्रंथ कुरआन इसी रात उतारा गया था। इसके बाद पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त को ही मनाया जाने लगा।