
20 जुलाई को इस वर्ष की देवशयनी एकादशी का व्रत पड़ रहा हैै। यूं तो वर्ष में पड़ने वाली प्रत्येक एकादशी का अधिक महत्व होता है किंतु आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी अधिक महत्व रखती है। इसका कारण ये है कि क्योंकि इस दिन से जुड़ी मान्यताओं और किंवदंतियों के अनुसार इस दिन से पूरे 4 मास के लिए भगवान विष्णु के साथ-साथ सभी देव शयन करने के लिए चले जाते हैं। जिसके साथ ही समस्त प्रकार के शुभ कार्यों पर विराम लग जाता है। जिस कारण इस एकादशी पर विशेष प्रकार से पूजा अर्चना की जाती है। इसके अलावा इस दिन विष्णु भगवान को प्रसन्न करने व उनकी कृपा पाने के लिए खास मंत्रों का जप करना चाहिए। यहां जानें विष्णु जी से खास मंत्र और स्तुति के बारे में-
विष्णु-स्तुति
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम्।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्।।
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:।
सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:।
ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो
यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:।।
देवशयनी एकादशी संकल्प मंत्र
सत्यस्थ: सत्यसंकल्प: सत्यवित् सत्यदस्तथा।
धर्मो धर्मी च कर्मी च सर्वकर्मविवर्जित:।।
कर्मकर्ता च कर्मैव क्रिया कार्यं तथैव च।
श्रीपतिर्नृपति: श्रीमान् सर्वस्यपतिरूर्जित:।।
देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का मंत्र –
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत सुप्तं भवेदिदम।
विबुद्धे त्वयि बुध्येत जगत सर्वं चराचरम।
देवशयनी एकादशी विष्णु क्षमा मंत्र
भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:।
कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।