
सीहोर।
एनजीटी ने बारिश आते ही नदी संरक्षण के लिए रेत खनन पर रोक लगा दी है, लेकिन जिले में एनजीटी की रोक प्रभावशील नजर नहीं आ रही है। रेतमाफिया नर्मदा नदी के बीच से कश्तियों से बड़ी मात्रा में रोजाना अवैध तरीके से रेत निकाल रहे हैं। इतना ही नहीं अवैध खदान के पास और स्कूल के पास रेत का स्टाक व परिवह अवैध तरीके से किया जा रहा है, वहीं कुछ डंपर नांदीखेड़ा से रायलटी ले रहे हैं। इतना सब होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने से रेतमाफिया के हौसले बुलंद है।
जानकारी के अनुसार 30 जून से एनजीटी ने नर्मदा सहित अन्य नदियों में बारिश के आते ही रोक लगा दी है, लेकिन रेत माफिया पर निर्देश बेअसर साबित हो रहे हैं। क्योंकि बाबरी की अवैध खदान पर 30 से अधिक कश्तियों से बीच नदी में से रेत खनन कर अवैध तरीके से परिवहन की जा रही है। इतना ही नहीं नदी में 3 पोकलेन व 5 अन्य मशीनों सहित रोटर ट्रैक्टर से रेत का खनन व परिवहन किया जा रहा है। यहां से सीहोर, भोपाल, इंदौर, देवास, उज्जैन, राजगढ़, शाजापुर जिले में 50 से 75 हजार रुपये में बेची जा रही है। खास बात यह है कि हर रोज 30 डंपर से अधिक रेत का परिवहन किया जा रहा है, लेकिन कुछ ही डंपर नांदीखेड़ा की रायलटी ले रहे हैं।
हर रोज एक कश्ती से एक डंपर रेत का परिवहन
बाबरी घार पर 30 से अधिक कश्तियां रेत का परिवहन कर रही है, जिस पर 8 से 10 मजदूर रहते हैं, जो दिन भी में 10 ट्रिप लगाते है, जिससे दिन भर में एक डंपर रेत का स्टाक होता है। हर ट्रिप में 900 से 1000 रुपये एक कश्ती के लेते हैं, वहीं डंप करने के लिए ट्रैक्टर 200 रुपये में परिवहन करता है। एक डंपर रेत में करीब 17 हजार रुपये का खर्च आता है, जिसे 50 से 75 हजार रुपये में बेचा जा रहा है। इसे काम में स्थीनय लोग अवैध तरीके से खनन व परिवहन कर रहे हैं।