थावर चंद गहलोत OUT, सिंधिया IN, रूठे नेताओं को भी मिलेगी जगह

भोपाल। थावर चंद गहलोत राज्यसभा कोटे से मंत्री हैं, साल 2012 में पहली बार और फिर साल 2018 में दूसरी बार उन्हें मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजा गया था. थावर चंद गहलोत बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य भी हैं, लेकिन पीएम मोदी ने एक तीर से चार निशाने साधते हुए, उन्हें कर्नाटक का गवर्नर बना दिया है, जहां वह पार्टी को एकजुट करने का काम करेंगे, इसके अलावा गवर्नर बनने के बाद अब वह न राज्यसभा सांसद रह जाएंगे, न केंद्रीय मंत्री और न ही बीजेपी संसदीय बोर्ड के सदस्य, ऐसे में तीन पद खाली हो जाएंगे.

सिंधिया को मिलेगी मोदी कैबिनेट में जगह !

केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिल्ली में एंट्री ले ली हैं, मोदी कैबिनेट में सबसे ज्यादा चर्चा सिंधिया की ही है, ऐसा माना जा रहा है, कि थावर चंद गहलोत को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाने के बाद तीन पद एक साथ खाली हो जाएंगे, जिससे नाखुश नेताओं को इन पदों पर काबिज किया जाएगा. वहीं मंत्रिमंडल में फेरबदल कर उन्हें बड़ा पद दिया जा सकता है.

फोन की घंटी बजी और सिंधिया दिल्ली के लिए हो गए रवाना

सूत्रों की मानें तो केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार 8 जुलाई को किया जा सकता है. नए मंत्रियों की लिस्‍ट लगभग फाइनल हो चुकी है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुरुवार तक सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं, कई नेता जिनके मंत्री बनने की चर्चा है, दिल्‍ली पहुंच रहे हैं, ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी अचानक फोन आया, जिसके बाद वो मध्य प्रदेश से दिल्ली के लिए रवाना हो गए.

थावर चंद गहलोत कर्नाटक में पार्टी को करेंगे एकजुट

राजनीति के अखाड़े के मंझे हुए खिलाड़ी थावर चंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया है, उनके वहां जाने के बाद अंदरूनी कलह से जुझ रही पार्टी को भी एकजुट करने का काम करेंगे. क्योकि मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के सामने पार्टी का एक धड़ा चुनौती बनता रहा है.

मजदूर से मंत्री तक का सफर

18 मई 1948 में मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित नागदा तहसील के गांव रुपेटा में थावर चंद गहलोत का जन्म हुआ था. गहलोत ने विक्रम यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की थी, उन्होंने 1965-70 में ग्रासिम इंडस्ट्रीज में मजदूरी की और फिर ग्रासिम इंजीनियरिंग श्रमिक संघ के खजांची बन गए, 1967 से 75 तक वो भारतीय मजदूर संघ से जुड़े केमिकल श्रमिक संघ के सचिव बने.

इसके बाद उन्होंने उज्जैन में कई श्रमिक आंदोलनों की अगुआई की, साल 1975 के आपातकाल में जेल भी गए, उन्होंने 1962 से 77 के बीच भारतीय जनसंघ के सदस्य भी रहे, फिर उज्जैन जिले में जनता पार्टी के उपाध्यक्ष और महासचिव बनाए गए.

इसलिए कर्नाटक भेजे गए गहलोत ?

साल 1980 में एमपी के सिर्फ दो सांसद थे, तब गहलोत भारतीय युवा मोर्चा के प्रमुख पद पर तैनात थे, साल 1986 में गहलोत बीजेपी के रतलाम जिलाध्यक्ष बने, तब से उन्होंने संगठन में कई बड़े ओहदों से होते हुए मोदी सरकार में दो बार कैबिनेट मंत्री बने, अब उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल बना दिया गया है. गहलोत ने 1996 से 2009 के बीच शाजापुर लोकसभा से लगातार लोकसभा चुनाव जीतते रहे.

साल 2009 के चुनाव में गहलोत कांग्रेस पार्टी के सज्जन सिंह वर्मा से हार गए, 2012 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए और फिर 2018 में उनका दूसरी बार चुनाव हुआ, थावरचंद गहलोत पार्टी की तरफ से कर्नाटक में काम कर चुके हैं. उन्हें दिल्ली और कर्नाटक का प्रभारी महासचिव बनाया गया था. उन्होंने बीजेपी की अनुसूचित जाति शाखा के अध्यक्ष भी रहे, वो अभी बीजेपी संसदीय बोर्ड के सदस्य भी हैं. उन्हें पार्टी ने गुजरात में केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाकर भी भेजा था.

इसलिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिल सकती है केंद्र में जगह ?

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश सरकार को गिराने और बाद में बीजेपी की ओर से उपचुनाव में जीत दिलाने की भूमिका निभाई थी. मध्य प्रदेश में 15 साल शासन के बाद साल 2019 में शिवराज सिंह की सरकार गिर गई थी और कांग्रेस ने जीत हासिल कर अपनी सरकार बनाई थी, लेकिन सिंधिया ने कमलनाथ की सरकार 15 महीने में ही गिरा दी थी, 20 मार्च 2021 को मुख्यमंत्री ने अपने पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया था.

ऐसा माना जा रहा है कि सिंधिया ने जिस तरह मध्य प्रदेश से कांग्रेस की सरकार गिराई और बीजेपी सरकार बनवाई उसका फल इस मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें मिल सकता है, इसलिए उन्हे दिल्ली तलब किया गया है. जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार होगा.

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