तो क्या इस बार संख्याबल के आधार पर मोदी मंत्रिमंडल में जेडीयू को मिलेगी जगह?

पटना | एक तरफ दिल्ली में नए मंत्रिमंडल का गठन और मंत्रियों के शपथ ग्रहण की तैयारी चल रही थी तो दूसरी तरफ नीतीश ने सांकेतिक भागीदारी के आधार पर मंत्रिमंडल में जेडीयू (JDU) के शामिल होने से इंकार किया था और पटना लौट गए थे. पटना लौटने पर खुलकर संख्या बल के आधार पर भागीदारी की बात कही थी. दो साल बाद एक बार फिर मोदी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा गरम है और जेडीयू इस बार उम्मीद लगाए बैठा है कि उसे मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी लेकिन इस बार जेडीयू के सुर बदले बदले लग रहे हैं.
आरसीपी सिंह बोले
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने लगातार दूसरी बार मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिलने का दावा किया लेकिन इस बार किसी फार्मूले की बात पर ज़ोर नहीं दिया. उन्होने कहा कि हरेक चीज में फॉर्मूला नहीं होता है. अलग-अलग परिस्थिति होती है. उसके अनुरुप फैसला लिया जाता है. यहां तक कि आरसीपी सिंह ने संख्या बल की सोच को अव्यावहारिक बताते हुए इसे रिश्ते में तनाव पैदा करने वाला बता दिया. हालांकि जेडीयू कोटे से कौन मंत्री बनेगा और क्या आरसीपी सिंह मंत्री बनेंगे इस सवाल को आरसीपी सिंह ने नीतीश के अधिकार क्षेत्र की बात कहकर टाल दिया.
दो साल पहले ऑफर ठुकरा चुका है जेडीयू
आरसीपी सिंह के बयान पर विपक्ष जहां चुटकी ले रहा हैं, वहीं बीजेपी जेडीयू के मंत्रिमंडल में शामिल होने की बात तो कह रही है लेकिन संख्या बल के आधार पर आरसीपी के बयान का ही हवाला देकर संख्या बल के आधार को खारिज कर रही है, तो सवाल है कि क्या दो साल पहले सांकेतिक भागीदारी वाले ऑफर को ठुकराने वाले जेडीयू को इस बार मंत्री पद की कुर्सी के लिए हर फार्मूला स्वीकार है? सवाल का जवाब समझने के लिए ज़रा संख्या बल के गणित को समझिए.
क्या हो सकता है जेडीयू का गणित

वर्तमान में जेडीयू के 16 सांसद हैं ऐसे में संख्या बल के आधार पर दो कैबिनेट और एक राज्यमंत्री का दावा बैठता है. हालांकि 2019 में 303 सीटों के साथ बीजेपी अकेले पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में है, यही वजह है कि 2019 में सहयोगी दलों को बीजेपी ने मंत्रिमंडल में सांकेतिक हिस्सेदारी दी थी लेकिन 2019 में सांकेतिक हिस्सेदारी को जेडीयू ने ठुकरा दिया था. इसके पीछे की वजह को लेकर दो प्रमुख दावेदारों के होने की भी चर्चा चली थी. ये दोनो दावेदार आरसीपी सिंह और ललन सिंह हैं. तब कयास ये लगाए गए कि अगर दोनो में से कोई एक मंत्री बनता और दूसरा नहीं बनता तो नाराजगी उभर सकती थी, इसीलिए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का फैसला लिया गया.
ये तीन चेहरे रेस में
इस बार भी इन्हीं दोनो की दावेदारी मानी जाती है. आरसीपी सिंह ने भी कहा कि उनका नाम 2019 से ही मंत्री पद के लिए चल रहा है हालांकि आरसीपी सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष बन चुके हैं लेकिन ये बात उन्हें मंत्री बनने से नहीं रोक सकती है, ऐसे में इस बार भी जेडीयू कम से कम दो कैबिनेट मंत्री से कम पर नहीं मानेगा. राजनीतिक गलियारों में जो चर्चा है उसके मुताबिक आरसीपी सिंह, ललन सिंह के साथ साथ पूर्णिया के सांसद संतोष कुशवाहा का नाम भी (राज्य) मंत्री की रेस में लिया जा रहा है. संतोष कुशवाहा का नाम 2019 में भी उछला था हालांकि सब कुछ निर्भर करता है नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले पर.
कितनी हो सकती है केंद्र में मंत्रियों की संख्या
पीएम मोदी के बारे में कहा जाता है कि उन्हें ऐसे सहयोगियों की मंत्री के रूप में जरूरत है जो अपना काम मुश्तैदी से कर सकते हैं. जहां जिनका काम-काज संतोषजनक नहीं था उन्हें ड्रॉप भी किया गया, जिनका काम सराहनीय था उन्हें राज्य मंत्री से कैबिनेट मंत्री के रूप में प्रमोशन भी मिला. केंद्र सरकार में अधिकतम 83 मंत्री हो सकते हैं, पर कभी भी मोदी ने किसी को खुश करने के लिए मंत्रियों की बड़ी जमात खड़ी नहीं की. अभी भी मोदी सरकार में 24 और नए मंत्री शामिल करने की गुंजाइश है.
मोदी सरकार में फिलहाल कितने मंत्री
मोदी सरकार में फिलहाल 21 कैबिनेट मंत्री, नौ राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 29 राज्य मंत्री हैं, हालांकि अलग-अलग राज्यों में बीजेपी के कई चेहरे, जिसमें दूसरी पार्टी से आए नेता भी शामिल हैं, वो भी मंत्री पद की रेस में हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या इस बार जेडीयू को सांकेतिक भागीदारी से संतोष करना पड़ेगा या संख्या बल के आधार पर भागीदारी मिलेगी?
 

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