बच्चों को इंटरनेट का सही उपयोग सिखाएं

इंटरनेट पर हमारी निर्भरता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इंटरनेट हमारे लिए जितना जरूरी है, अगली पीढ़ी के लिए उससे कहीं ज्यादा। दूसरी ओर देखा जाए तो इस इंटरनेट के लाभ के साथ ही कुछ नुकसान भी हैं। 
इंटरनेट यदि आपके बेहद काम की चीज है तो आपके बच्चे के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है। किताब में जब बच्चा इंटरनेट के इस्तेमाल के बारे में पढ़ता है तो वहां भले ही इंटरनेट के कुछ गिने-चुने इस्तेमाल ही लिखे होते हैं, लेकिन हकीकत में यह जीवन की अहम जरूरतों में से एक हो चुका है। फिर आप अपने लाडले को इससे भला कैसे दूर रख सकती हैं? आपकी चिंता अपनी जगह जायज है, लेकिन उसकी जरूरत को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता। आपको उसे दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना भी तो सिखाना है। थोड़ी सतर्कता और सही, सीख देकर आप बच्चे को निश्चिंत होकर इस ई-दुनिया का हिस्सा बना सकती हैं।
ज्यादा देर इस्तेमाल न करनें दें 
सुविधाओं के लाभ के साथ हानियां भी जुड़ी होती हैं। इंटरनेट के साथ भी यही बात लागू होती है और शायद यही पक्ष आपको भी चिंतित करता है। इंटरनेट हम फोन या कंप्यूटर के माध्यम से इस्तेमाल करते हैं। इससे निकलने वाली रोशनी के आगे ज्यादा देर बैठने से आंखों पर बुरा असर पड़ता है, वहीं रात में इसका इस्तेमाल नींद प्रभावित करता है। ज्यादा देर इंटरनेट के इस्तेमाल से बच्चे का खेलना-कूदना कम हो जाता है और उसके शारीरिक विकास पर असर पड़ता है। वहीं, इंटरनेट की फ्रिक्वेंसी उसके दिमाग को भी प्रभावित करती है। 
उम्र के अनुसार तय करें 
दस साल की उम्र तक के बच्चे को इंटरनेट का इस्तेमाल आप अपने सामने ही करने की अनुमति दें। यदि वो कार्टून, ई-स्टोरी या पढ़ाई से संबंधित कुछ भी इंटरनेट पर देखना चाहता है तो खुद उसके साथ बैठकर दिखाइए। ई-गेम्स खेलने में भी यह सतर्कता जरूरी है। खुद तय करें कि बच्चा किस तरह के खेल खेल सकता है। 11 से 14 साल तक के बच्चे में थोड़ी समझ विकसित हो चुकी होती है और वो सही-गलत का कुछ अंतर समझने लगते हैं। ऐसे में आपको पहले अपने बच्चे का मिजाज समझना जरूरी है। यदि वो समझदार है तो कुछ देर अपनी मर्जी से इंटरनेट चलाने की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन यदि आप निश्चिंत नहीं हैं तो खुद की देखरेख में ही उसे इंटरनेट का इस्तेमाल करने दें। बच्चे से इंटरनेट से जुड़ी बातें करती रहें और उनके सवालों के जवाब तलाशने में मदद करती रहें। कोई भी ऐसी परिस्थिति न खड़ी होने दें, जिससे बच्चा छिपकर इंटरनेट चलाने लगे। इससे ज्यादा उम्र के बच्चे खुद ही इंटरनेट चलाने लगते हैं, ऐसे में आप उन्हें इंटरनेट पर सुरक्षित रहने के टिप्स देती रहें। साथ ही बच्चों से उनकी इंटरनेट की गतिविधियों की जानकारी लेती रहा करें, जैसे कितने दोस्त बने, आज क्या बात हुई आदि। ये भी पूछें कि बच्चे को किसी व्यक्ति से असहजता तो नहीं हो रही।
समय सीमा निर्धारित हो
इंटरनेट के दुष्प्रभावों से बच्चे को दूर रखने के लिए डॉ. कुमार बच्चे को निश्चित समय के लिए ही इंटरनेट का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। ये ठीक उसी प्रकार होना चाहिए जैसे आपने उनके खेलने और टीवी देखने का समय निर्धारित कर रखा है। इस समय को टुकड़ों में बांटना भी उन्हें नुकसान से बचा सकता है। इसके अलावा आप बच्चे को महीने के बजट की तरह ही निश्चित डाटा इस्तेमाल करने की अनुमति दें। डाटा खत्म हो जाने पर जब उसे इंटरनेट नहीं मिल पाएगा तो वो खुद ही इसका उपयुक्त इस्तेमाल करना सीख जाएगा।
कदमों को गति देता है इंटरनेट
इंटरनेट और डिजिटल दुनिया यदि पूरी तरह से बच्चों के लिए हानिकारक होती, तो स्कूलों के मॉड्यूल में ई-लर्निंग और डिजिटल सेशन को शामिल नहीं किया जाता। इस बात से सहमति रखते हुए मनोचिकित्सक कहते हैं कि इंटरनेट वरदान है और इसका सही इस्तेमाल बच्चों को आगे बढ़ने में मदद करता है। किसी भी विषय को समझने में डिजिटल मीडिया बेहद काम आ रहा है। इसके साथ ही इंटरनेट पर मौजूद जानकारियां बच्चों की बौद्धिक क्षमता और तकनीकी जानकारी को बढ़ा रही हैं।
गेम की आदत न लगने दें 
इंटरनेट के लगातार इस्तेमाल से बच्चे को सिर्फ सोशल मीडिया की ही लत नहीं लग सकती। इंटरनेट व मोबाइल आदि पर खेले जाने वाले कई तरह के गेम बच्चे की न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक सेहत के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। पिछले कुछ समय में मोमो चैलेंज, ब्लू व्हेल चैलेंज गेम व पबजी जैसे मोबाइल गेम बच्चों के लिए खतरनाक साबित हुए हैं। इन खेलों की न सिर्फ बच्चों को लत लग जाती है, बल्कि इसमें से कुछ खेल बच्चों को आत्महत्या तक करने के लिए उकसाते हैं। मोमो चैलेंज व ब्लू व्हेल चैलेंज गेम के कारण दुनिया भर में कई बच्चे आत्महत्या कर चुके हैं। इसलिए इस प्रकार के नुकसानदेह गेम न खेलने दें। 
मोमो चैलेंज व ब्लू व्हेल चैलेंज जैसे जानलेवा खेलों से अपने बच्चे को बचाने के लिए आपको न सिर्फ बच्चे को इंटरनेट के सही इस्तेमाल के बारे में बताते रहना होगा, बल्कि उसके अंदर यह विश्वास भी पैदा करना होगा कि वह आपसे बेझिझक होकर अपनी परेशानी साझा कर सकता है। 
बच्चे को यह सिखाएं कि फेसबुक, वाट्सएप या मैसेंजर आदि पर अगर कोई व्यक्ति खुद को हानि पहुंचाने के लिए उसे उकसाता है, तो बच्चे को तुरंत उस व्यक्ति को ब्लॉक कर देना चाहिए।
यदि कुछ गलत या असामान्य दिखे तो नेट चलाना बंद कर वह तुरंत किसी बड़े को इसकी सूचना दे।
बच्चे की सुरक्षा के लिए एक अभिभावक के रूप में आपको भी सतर्क रहने की जरूरत है। बच्चे के स्वभाव व गतिविधियों पर नजर रखें। अगर बच्चा असामान्य व्यवहार कर रहा है या फिर खुद को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचा रहा है तो तुरंत उससे बात करें। जरूरत हो तो बाल मनोविशेषज्ञ की मदद लें।

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