जबलपुर ।
असेंसियल सर्विस मैनेजमेंट एक्ट यानि एस्मा लागू होने के बाद भी हड़ताल पर गए प्रदेश भर के 470 स्नातकोत्तर चिकित्सा छात्रों (जबलपुर के 37) के नामांकन मप्र चिकित्सा विश्विविद्यालय ने निरस्त कर दिए हैं। उक्त कार्रवाई गुरुवार को विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. टीएन दुबे के निर्देश पर की गई। नामांकन निरस्त की कार्रवाई नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल जबलपुर, महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर, गांधी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल, गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय ग्वालियर के चिकित्सा छात्रों (जूनियर डॉक्टर) के खिलाफ की गई है।
इधर, कार्रवाई के विरोध में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल के करीब साढ़े तीन सौ जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार को डीन डॉ. प्रदीप कसार को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया है। जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ की गई कार्रवाई से आक्रोशित मेडिकल के जूनयिर व सीनियर रेसीडेंस डॉक्टर भी हड़ताल के समर्थन में आ गए हैं। डीन को सौंपे पत्र में उन्होंने शुक्रवार से हड़ताल पर जाने की चेतावनी जारी की है। विदित हो कि अपनी छह सूत्रीय मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टर 31 मई से हड़ताल पर हैं।
दबाव बनाने का प्रयास, जाएंगे सुप्रीम कोर्ट: नेताजी सुभाष चंद्र बोस चिकित्सा महाविद्यालय जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. पंकज सिंह ने बताया कि प्रदेशभर में जूडा की संख्या 3500 के करीब है। चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा 470 के नामांकन निरस्त कर दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि जूनियर डॉक्टर हड़ताल खत्म कर कार्य पर वापस लौट जाएं। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा जारी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी की जा रही है। सामूहिक इस्तीफा देने के बाद वे हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं।
200 चिकित्सकों के भराेसे सैकड़ों मरीज: इधर, जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। लगभग 200 चिकित्सकों, चिकित्सा विशेषज्ञों पर सैकड़ों मरीजों का भार आ गया है जिसमें कोरोना के मरीज भी शामिल हैं। मेडिकल में परंपरागत व्यवस्था के तहत जूनियर डॉक्टर ओपीडी से लेकर वार्ड में सेवाएं देते हैं। वार्ड में 24 घंटे जूनियर डॉक्टर ही ड्यूटी करते हैं। उनके हड़ताल पर चले जाने से मरीजों की सेहत पर विपरीत असर पड़ रहा है।
नॉन क्लीनिकल डाॅक्टर भी करेंगे वार्ड ड्यूटी: मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन डॉ. प्रदीप कसार ने नॉन क्लीनिक डॉक्टरों, प्राध्यापकों को भी वार्ड में ड्यूटी करने का निर्देश जारी किया है। डॉ. कसार ने कहा कि जूडा की हड़ताल से मरीजों की उपचार प्रक्रिया को बाधित नहीं होने दिया जाएगा। आवश्यक होने पर आयुष चिकित्सकों की सेवाएं भी ली जाएंगी।