मथुरा से मैनपुरी आते समय प्रदेश के राजनीतिक रूप से सबसे शक्तिशाली परिवार की मौजूदगी का अहसास होने लगता है। तीन दशक से उत्तरप्रदेश पर दबदबा रखने वाले मुलायम परिवार ने 2014 की मोदी लहर में भी पांच सीटें जीती थीं। 2019 का चुनाव इस परिवार के प्रभाव की असली परीक्षा भी है क्योंकि पहली बार इस परिवार में दरार पड़ी है। परिवार के सदस्य ही आमने-सामने हैं।
कन्नौज सीट पर चुनाव चौथे चरण में 29 अप्रैल को है।
परिवार के मुखिया और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से मैदान में हैं। उनके छोटे भाई शिवपाल बगावत कर इस बार अपनी पार्टी बनाकर फिरोजाबाद से लड़ रहे हैं। वहां उनका सामना भतीजे अक्षय यादव से है। बदायूं में मुलायम सिंह के एक और भतीजे धर्मेंद्र यादव तो बहू डिंपल कन्नौज से मैदान में हैं। उधर, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहली बार मैनपुरी से 520 किमी दूर अपने पिता की आजमगढ़ सीट पर चुनाव लड़ने गए हैं। वहीं क्षेत्र में परिवारवाद को और आगे बढ़ा रहे हैं एटा में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह। वे भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
गल्लामंडी में अनाज व्यापारी परमार कहते हैं- कहने को तो विकास, रोजगार के साथ-साथ एयरस्ट्राइक और न्याय अहम मुद्दे हैं, लेकिन सबसे ऊपर मुलायम ही है। मैनपुरी के भाजपा के कैंप कार्यालय में बैठे भाजपा प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य कहते हैं कि जातियों का गठबंधन और परिवारवाद को इस बार मोदी लहर हराएगी। विकास का कोई भी बड़ा काम यहां नहीं हुआ है, सिर्फ सैफई को छोड़कर। सपा राज की गुंडागर्दी लोग भूले नहीं हैं।
कांग्रेस ने तीन सीटों पर नहीं उतारे प्रत्याशी उत्तरप्रदेश में समाजवादी और बसपा साथ हैं। सभी पांच सीटों पर सपा लड़ रही है। कांग्रेस ने कन्नौज, मैनपुरी और फिरोजाबाद में यादव परिवार को देखते हुए प्रत्याशी नहीं उतारा है। वहीं एटा-कासगंज सीट सहयोगी दल जनअधिकार पार्टी को दी है।
भाजपा का क्षेत्र में किसी से गठबंधन नहीं है। इन पांचों सीटों पर परिवार ही सबसे बड़ा मुद्दा है। विकास, रोजगार, किसानों की बदहाली और आवारा पशुओं, एयर स्ट्राइक और राष्ट्रीय मुद्दों के साथ ही स्थानीय मुद्दे हावी हैं। जैसे-फिरोजाबाद में कांच तो कन्नौज में इत्र कारोबार बदहाल है। लेकिन इनकी चर्चा कम है।
2014 की स्थिति
सीट | जीत |
मैनपुरी | समाजवादी पार्टी |
कन्नौज | समाजवादी पार्टी |
एटा | भाजपा |
फिरोजाबाद | समाजवादी पार्टी |
बदायूं | समाजवादी पार्टी |
मैनपुरी में सपा मजबूत, बदायूं, एटा कन्नौज और फिरोजाबाद में संघर्ष
- मुलायम परिवार का सबसे मजबूत गढ़ मैनपुरी है। यहां मुलायम खुद उम्मीदवार हैं। वे चार बार यहां से सांसद रह चुके हैं। माया-मुलायम के मंच साझा करने से आसपास की सीटों पर भी गठबंधन प्रत्याशियों की उम्मीद बढ़ी है।
- कन्नौज में डिंपल यादव उम्मीदवार हैं। चाचा ससुर शिवपाल की पार्टी ने पहले प्रत्याशी घोषित किया, बाद में वापस ले लिया। भाजपा के सुब्रत पाठक स्वच्छ छवि के बूते चुनौती देते दिख रहे हैं। क्षेत्र की 5 विधानसभा सीटों में से 4 पर भाजपा विधायक हैं।
- 6 चुनाव से बदायूं सपा के पास है। यहां मुलायम के भाई अभयराम के बेटे धर्मेंद्र चुनाव में हैं। दो बार से सांसद धर्मेंद्र का सामना कांग्रेस के टिकट पर पुराने सपाई सलीम शेरवानी से है। भाजपा ने मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा को उतारा है।
- एटा-कासगंज में भाजपा के राजवीर सिंह को 2.6 लाख लोधी वोटों का भरोसा है। वहीं दबंग छवि वाले सपा के देवेंद्र सिंह को 2.3 लाख यादव और 1.42 लाख मुस्लिम वोटों का सहारा है। जन अधिकार पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है।
जातीय समीकरण
पांचों सीटों पर यादव-जाटव और मुस्लिम वोटों की बहुलता है। लोधी, कुर्मी, सैनी, राजपूत और ब्राह्मण वोटों की संख्या भी अहम है। इसी वोट बैंक के बूते फिरोजाबाद में मुकाबला संघर्ष का दिख रहा है।