उत्तर प्रदेश की जिन 8 सीटों कानपुर, अकबरपुर, उन्नाव, फर्रुखाबाद, शाहजहांपुर, मिश्रिख, हरदोई और खीरी की आज हम बात कर रहे हैं,
वहां यादव-जाटव और मुस्लिम वोटों की बहुलता है। लोधी, कुर्मी, सैनी, राजपूत, ब्राह्मण जाति के वोटों की संख्या भी असरदार है। जातीय समीकरणों के बावजूद स्थानीय मुद्दे दबे हुए नजर आ रहे हैं। कानपुर का डीएवी कॉलेज, जहां अटलजी पढ़ते थे, वहां राजनीति के प्रोफेसर पुष्कर पांडे कहते हैं कि संसद का चुनाव प्रधानमंत्री चुनने के लिए है, इसलिए स्थानीय मुद्दे दबे हुए हैं और राष्ट्रीय मुद्दों पर ही चुनाव हो रहा है।
कानपुर, मिश्रिख, शाहजहांपुर और हरदोई में भाजपा ने अपने मौजूदा सांसदों के टिकट काटे हैं। मौजूदा स्थिति को देखें तो भाजपा कानपुर, शाहजहांपुर, हरदोई और अकबरपुर में मजबूत दिखती है। वहीं उन्नाव और फर्रुखाबाद में कांग्रेस तो खीरी और मिश्रिख में गठबंधन भारी पड़ सकता है। वहीं प्रत्याशी न होने के बावजूद हाल ही में भाजपा में आए नरेश अग्रवाल की हरदोई और मिश्रिख में साख दांव पर है। उन्होंने अपने नजदीकी लोगों को टिकट दिलवाए हैं।
पद्मश्री से सम्मानित साहित्यकार गिरिराज किशोर हंसते हुए कहते हैं- देखिए नेहरूजी का देहांत हुए 50 साल हो गए और वे अभी भी मोदीजी को काम नहीं करने दे रहे। मुरली मनोहर जोशी जी का कार्यकाल कानपुर के लिए बेकार रहा। ट्रैफिक से लेकर शिक्षा-उद्योग तक में बदहाली। उत्तरप्रदेश में चौथे चरण का चुनाव 29 अप्रैल को जिन सीटों पर है, कानपुर उनमें से एक है। यहां एक-दो सीटों को छोड़ दें तो बाकी सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला है।
कानपुर में सपा उम्मीदवार रामकुमार पिछड़ते दिख रहे हैं। भाजपा ने यहां वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी का टिकट काटकर प्रदेश सरकार में मंत्री सत्यदेव पचौरी को मौका दिया है। दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल फिर मैदान में है। जायसवाल कानपुर से तीन बार लगातार सांसद रह चुके हैं। जायसवाल ने बताया- हमारा मुख्य मुद्दा कानपुर के बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर को सही करना है। अकबरपुर में भाजपा से देवेंद्र सिंह भोले मैदान में है। क्षेत्र में करीब सवा पांच लाख सवर्ण वोट भोले की ताकत हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव राजाराम पाल से है। 2009 में राजाराम यहीं से कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं, उनकी पिछड़ी जातियों पर अच्छी पकड़ हैं। मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही हैं बसपा की निशा सचान। सपा-बसपा गठबंधन का मजबूत वोट बैंक और महिला होने का उनको फायदा मिल सकता है। उन्नाव में सपा ने अरुण शंकर शुक्ल उर्फ अन्ना को टिकट दिया है। सपा यहां पिछड़ी हुई दिखती है। अन्ना पिछली बार 3.1 लाख वोटों से हारे थे। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा के साक्षी महाराज और कांग्रेस की अन्नू टंडन के बीच है। बता दें- सपा ने पहले पूजा पाल को टिकट दिया था, लेकिन अंत समय में अन्ना को उतार दिया।
फर्रुखाबाद में 2.10 लाख ठाकुर वोट निर्णायक
लोधी बहुल फर्रुखाबाद में भाजपा के मुकेश राजपूत को लोधी होने का फायदा मिलेगा। इस सीट पर 2.10 लाख ठाकुर वोट निर्णायक हैं। यहां कांग्रेस से सलमान खुर्शीद मैदान में हैं। गठबंधन के मनोज अग्रवाल मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। हरदोई में पांच बार सांसद रहे जय प्रकाश रावत फिर भाजपा से दावेदार हैं। जय प्रकाश को नरेश अग्रवाल की सिफारिश पर टिकट मिला है। जय प्रकाश लगातार दल बदलते रहे हैं। इसलिए उनके प्रति नाराजगी दिखती है। उनका मुकाबला प्रदेश सरकार में मंत्री रहीं ऊषा वर्मा से हैं। उन्हें बड़ी चुनौती कांग्रेस के वीरेंद्र वर्मा से हैं। वर्मा की छवि अच्छी है, लेकिन कमजोर पब्लिक कनेक्ट खिलाफ जा सकता है। मिश्रिख में भाजपा ने सांसद अंजू बाला का टिकट काटकर पिछले चुनाव में सपा से लड़े अशोक रावत को टिकट दिया है। कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और चार बार यहां से सांसद रहे रामलाल राही की बहू मंजरी को टिकट दिया है। मंजरी पारिवारिक विरासत का फायदा ले रहीं हैं लेकिन कांग्रेस का संगठन न होने से परेशानी है। गठबंधन से नीलू सत्यार्थी मैदान में है। लेकिन उनका अनजान होना सबसे बड़ी बाधा है।
शाहजहांपुर में भाजपा ने केंद्रीय मंत्री रहीं कृष्णाराज का टिकट काटकर अरुण सागर को दिया है। यहां संघ का संगठन मजबूती के साथ सागर के पक्ष में है। बसपा के अमर चंद्र जौहर को मुस्लिम वोट का सहारा है। कांग्रेस के ब्रह्म स्वरूप सागर न्याय योजना के भरोसे हैं। खीरी में भाजपा ने सांसद अजय मिश्रा टेनी को मौका दिया है। कांग्रेस ने जफर अली नकवी को टिकट दिया है। जो 3.34 लाख मुस्लिम वोट के भरोसे हैं। गठबंधन से सपा ने डॉ. पूर्वी वर्मा उतारा है। उनके दादा बालगोविंद वर्मा, दादी ऊषा वर्मा यहां से सांसद रहे हैं। उनके पिता रविप्रकाश तीन बार यहां से सांसद रहे हैं।
पिछले चुनाव में आठों सीटें भाजपा ने जीती थी
गठबंधन: सपा, बसपा गठबंधन में है। वहीं भाजपा और कांग्रेस अकेले मैदान में हैं।
मुद्दों की स्थिति: विकास, किसानों की बदहाली प्रमुख मुद्दा है। एयर स्ट्राइक, प्रधानमंत्री आवास योजना, कांग्रेस की न्याय योजना की भी खूब चर्चा। हिंदू-मुस्लिम धुव्रीकरण हो रहा है।
जातीय समीकरण: यादव-जाटव और मुस्लिम वोटों की बहुलता। लोधी, कुर्मी, सैनी, राजपूत, ब्राह्मण जाति के वोटों की संख्या भी असरदार है।