चारा घोटाले में जेल में बंद लालू साढ़े तीन साल बाद बाहर आएंगे, कोर्ट ने रखी शर्त- पता और मोबाइल नंबर नहीं बदल सकेंगे
दुमका ट्रेजरी से अवैध निकासी मामले में लंबी सुनवाई केे बाद लालू यादव को जमानत दी गई है।
चारा घोटाले में सजायाफ्ता RJD सुप्रीमो लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। जस्टिस अपरेश सिंह की अदालत में शनिवार को हुई सुनवाई में उन्हें जमानत दे दी गई। उन्हें एक लाख रुपए का मुचलका और 10 लाख रुपए जुर्माना देना होगा। बेल बॉन्ड भरने के बाद वे एक-दो दिन में जेल से बाहर आ जाएंगे।
हाईकोर्ट ने कहा है कि जमानत के दौरान लालू प्रसाद यादव देश से बाहर नहीं जाएंगे। देश से बाहर जाने से पहले उन्हें कोर्ट से परमिशन लेनी होगी। इसके साथ ही अपना मोबाइल नंबर और अपना पता नहीं बदलेंगे। लालू को ये जमानत दुमका ट्रेजरी मामले में आधी सजा पूरी होने के बाद दी गई है। इससे पहले लालू यादव को अक्टूबर 2020 में चाईबासा ट्रेजरी मामले में जमानत मिल गई थी, लेकिन दुमका ट्रेजरी केस की वजह से उनकी रिहाई नहीं हुई थी।
डोरंडा कोषागार मामले में चल रही है सुनवाई
लालू के खिलाफ चारा घोटाले से जुड़े डोरंडा ट्रेजरी से निकासी के मामले की सुनवाई पूरी नहीं हुई है। उस मामले में फिलहाल बहस चल रही थी, लेकिन कोविड की वजह से फिलहाल CBI कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी गई है।
एम्स में भर्ती हैं लालू
लालू यादव फिलहाल एम्स दिल्ली में इलाज करवा रहे हैं। करीब ढाई साल रिम्स रांची में इलाज कराने के बाद जनवरी में उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। सीने में दर्द और सांस लेने में परेशानी के चलते उन्हें 23 जनवरी 2021 को रिम्स से एम्स रेफर किया गया था।
चारा घोटाले के इन 4 मामलों में लालू को सजा सुनाई गई है
पहला मामला
चाईबासा ट्रेजरी केस
37.7 करोड़ रुपए अवैध निकासी का आरोप
लालू प्रसाद समेत 44 अभियुक्त
मामले में 5 साल की सजा
दूसरा मामला
देवघर ट्रेजरी
84.53 लाख रुपए की अवैध निकासी का आरोप
लालू समेत 38 पर केस
लालू प्रसाद को साढ़े तीन साल की सजा
तीसरा मामला
चाईबासा ट्रेजरी
33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी का आरोप
लालू प्रसाद समेत 56 आरोपी
5 साल की सजा
चौथा मामला
दुमका ट्रेजरी
3.13 करोड़ रुपए की अवैध निकासी का मामला
दो अलग-अलग धाराओं में 7-7 साल की सजा
चारा घोटाले में कब-क्या हुआ?
27 जनवरी 1996: पशुओं के चारा घोटाले के रूप में सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये की लूट का पता चला। चाईबासा ट्रेजरी से गलत तरीके से 37.6 करोड़ रुपए निकाले गए थे।
11 मार्च 1996: पटना हाईकोर्ट ने चारा घोटाले की जांच के लिए CBI को निर्देश दिए।
19 मार्च 1996: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश की पुष्टि करते हुए हाईकोर्ट की बेंच को निगरानी करने को कहा।
27 जुलाई 1997: CBI ने लालू प्रसाद यादव पर शिकंजा कसा।
30 जुलाई 1997: लालू प्रसाद ने CBI अदालत के सामने सरेंडर किया।
19 अगस्त 1998: लालू और राबड़ी देवी के खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति का मामला दर्ज कराया गया।
4 अप्रैल 2000: लालू के खिलाफ आरोप पत्र दर्ज हुआ और राबड़ी देवी को सह-आरोपी बनाया गया।
5 अप्रैल 2000: लालू और राबड़ी ने सरेंडर किया, राबड़ी को जमानत मिली।
9 जून 2000: कोर्ट में लालू के खिलाफ आरोप तय हुए।
अक्टूबर 2001: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद मामले को नए राज्य में ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद लालू ने
झारखंड में सरेंडर किया।
18 दिसम्बर 2006: लालू और राबड़ी को आय से अधिक संपत्ति के मामले में क्लीन चिट मिली।
2000 से 2012 तक: मामले में करीब 350 लोगों की गवाही हुई। इस दौरान कई गवाहों की मौत हो गयी।
17 मई 2012: CBI कोर्ट में लालू नए आरोप तय हुए। इसमें दिसम्बर 1995 और जनवरी 1996 के बीच दुमका ट्रेजरी से 3.13 करोड़ रुपए की निकासी का मामला भी शामिल।
17 सितम्बर 2013: चारा घोटाला मामले में रांची की विशेष अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा।
30 सितम्बर 2013: चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव दोषी करार दिए गए।