इंदौर ।
महामारी से उपजे बुरे हालातों में कोविड के अलावा अन्य बीमारियों से भी मौतों का सिलसिला बढ़ गया है। एक परिवार में तो एक ही दिन में कोरोना के कारण पिता और पुत्र की मौत हो गई। नईदुनिया ने गुरुवार को शहर के पांच बड़े मुक्तिधामों की पड़ताल की तो वहां दिन में 140 से ज्यादा शव पहुंचे। शहर के अन्य शमशानों में हुई अंत्येष्टियों को मिलाकर यह आंकड़ा 175 से अधिक रहा। मालवा मिल मुक्तिधाम में गुरुवार शाम तक 35 शव पहुंचे। इनमें 12 कोविड के थे। पंचकुईया और रीजनल पार्क में भी दिनभर में साठ से ज्यादा अंत्येष्टी हुई। इसके अलावा रामबाग और मेघदूत नगर मुक्तिधाम में 40 से ज्यादा अंत्येष्टी हुई।
जहां मिल रही जगह, वहां बन रही चिता
मालवा मिल मुक्तिधाम में शवों की अंत्येष्टी करने के लिए जगह नहीं मिल रही है। गुरुवार को 35 से ज्यादा शव पहुंचे थे। लोगों को परिसर में जहां जगह मिली, वहीं चिताएं बना दी। बीते 15 दिन में इस मुक्तिधाम में 268 शव आए, जिनमें 73 का दाह संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत किया गया। बुधवार को यहां 29 शव आए थे।
चिताओं पर लकडि़यां जमाते-जमाते थक गए कर्मचारी
रीजनल पार्क मुक्तिधाम : यहां गुरुवार शाम तक 34 शव जलाए गए जिसमें 22 मौतें कोरोना के कारण होना दर्ज हैं। यहां टीन शेड में बने स्टैंड पर 12 शवों को जलाने की सुविधा है। लेकिन शवों की संख्या ज्यादा होने के कारण शेड के नीचे खाली जगहों पर चिताएं बनाई। कर्मचारी कम पड़े तो नगर निगम से 4 को और बुलाया। दिनभर लकड़ियां तोलने और चिता जमाने में कर्मचारियों के हाथ-पैर जवाब देने लगे। जलाने के पहले हिदायत दे दी जाती है कि तीसरे का इंतजार मत करना। कल (दूसरे दिन) अस्थियां चुन लेना। स्वजन के नहीं आने पर फावड़े से समेट कर अस्थियां डिब्बे में भर देते हैं।
पंचकुइया मुक्तिधाम में शाम पांच बजे तक पहुुंच चुके थे 31 शव
पंचकुइया मुक्तिधाम में पदस्थ कर्मचारियों का कहना है कि यहां निगम की गाड़ी का दिनभर आना-जाना लगा रहता है। पहले जैसे ही कोरोना संक्रमित का शव लाया जाता था, दहशत मच जाती थी लेकिन अब आदत हो गई है। कर्मचारी गोपाल के अनुसार शवों के आने का सिलसिला सुबह 7 बजे से शुरू हो जाता है। रात 11 बजे तक शव पहुंचते रहते हैं। मुक्तिधाम पर रखे रजिस्टर के हिसाब से 6 दिन में 170 से ज्यादा शव आ चुके हैं। गुरुवार शाम 5 बजे तक 31 शव पहुंच चुके थे। इनमें से लगभग आधे कोरोना संक्रमितों के थे। इन दिनों 40 से ज्यादा शव रोजाना इस मुक्तिधाम पर पहुंच रहे हैं। हालत यह है कि अंतिम संस्कार के लिए बने स्टैंड के अलावा आसपास की जगह पर भी अंतिम संस्कार करवाया जा रहा है। अंतिम संस्कार वाले दिन ही अस्थिसंचय भी करवा रहे हैं।