रूस की कोविड-19 वैक्सीन ‘स्पुतनिक V’ के बारे में हम अभी तक क्या जानते हैं?

नई दिल्ली: Coronavirus Vaccine: भारत में कोरोना वायरस के ख़तरनाक संक्रमण की दूसरी लहर कहर बरपा रही है। इस वक्त संक्रमित लोगों के मामले पिछले साल के आंकड़े को भी पास कर चुके हैं। देश में कोरोना की मार का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पिछले 24 घंटों में 1,84,372 मामले सामने आए हैं और एक हज़ार से ज़्यादा लोग अपनी जान गवां चुके हैं।

तेज़ी से बढ़ते मामलों को देखते हुए और इस घातक वायरस से लड़ने के लिए भारत सरकार ने तीसरी वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए मंज़ूरी दे दी है। देश की ड्रग नियामक संस्था का मानना है कि रूस में बनी कोरोना वैक्सीन ‘स्पुतनिक V’ (Sputnik V) पूरी तरह सुरक्षित है। यह वैक्सीन ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की ‘कोविशील्ड’ वैक्सीन की तरह ही काम करती है। साइंस जर्नल ‘द लैंसेंट’ में प्रकाशित आख़िरी चरण के ट्रायल के नतीजों के अनुसार स्पुतनिक V कोविड-19 वायरस के ख़िलाफ करीब 92% मामलों में सुरक्षा देती है।

भारत में अब कोविड-19 के लिए 3 वैक्सीन

स्पुतनिक V को मंज़ूरी मिलने से अब भारत में कोविड-19 से बचने की तीन वैक्सीन हो गई हैं। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका के सहयोग से बनी ‘कोविशील्ड’, भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ और रूस की ‘स्पुतनिक V’। आपको बता दें कि देश में अभी तक वैक्सीन की खुराकें 10 करोड़ लोगों को दी जा चुकी हैं।

स्पुतनिक V के बारे में हम क्या जानते हैं?

रूस की राजधानी मॉस्को के गैमालेया इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई गई इस वैक्सीन के ट्रायल के अंतिम चरण के नतीजे आने से पहले ही इसे मंजूरी दे दी गई थी, जिसकी वजह से सारा विवाद पैदा हुआ। हालांकि वैज्ञानिकों की मानें तो अब इसके फायदे सामने आ चुके हैं और इसे इस्तेमाल करना बिल्कुल सुरक्षित है।

ये वैक्सीन सामान्य सर्दी जुखाम पैदा करने वाले adenovirus पर आधारित है। आर्टिफिशियल ढंग से बनी ये वैक्सीन कोरोना वायरस में पाए जाने वाले उस कांटेदार प्रोटीन की नकल है, जो हमारे शरीर पर सबसे पहला हमला करता है। ये वैक्सीन के शरीर में पहुंचते ही इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है और इस तरह से हमारे अंदर एंटीबॉडीज़ पैदा हो जाती हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि टीके के बाद शरीर का इम्यून सिस्टम वास्तव में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है। क्योंकि वैक्सीन में डाले गए वायरस असली नहीं हैं, इसलिए रिपोर्ट के मुताबिक इससे किसी तरह के संक्रमण का ख़तरा भी नहीं है।

स्पुतनिक V की ख़ासियत

स्पुतनिक V को अब भारत सहित 60 देशों में मंज़ूरी मिल चुकी है। इस वैक्सीन की ख़ासियत है कि इसे दो से आठ डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान में स्टोर किया जा सकता है। इस वजह से इस वैक्सीन को स्टोर करना और ट्रांसपोर्ट करना आसान है। वैक्सीन की मार्केटिंग करने वाले रूसी कंपनी रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड यानी आरडीआईएफ ने भारत में स्पुतनिक V की 75 करोड़ से अधिक खुराक बनाने का करार किया है। 

क्या फर्क है तीनों वैक्सीन्स में

ऐसे तो इन तीनों वैक्सीन में कई अंतर हैं। तीसरे चरण के ट्रायल में स्पूतनिक V की एफिकेसी 91% देखी गई। वहीं, हमारे यहां बायोटेक की कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड की एफिकेसी- इससे कुछ कम है। इन तीनों वैक्सीन में दो ख़ुराक लगाई जा रही हैं। लेकिन डोज़ के अंतराल की बात करें, तो तीनों ही वैक्सीन्स कुछ-कुछ हफ्तों का फर्क है। कोविशील्ड जहां 6 से 8 हफ्तों के अंतराल में लगाई जा रही है, वहीं, कोवैक्सीन 28 दिनों के अंतराल के बाद दी जा रही है। स्पुतनिक V की पहली और दूसरी खुराक के बीच 21 दिनों का अंतराल होगा। 

भारत में कोरोना वैक्सीन ड्राइव

केंद्र सरकार का लक्ष्य है जुलाई अंत तक 25 करोड़ लोगों का टीकाकरण करना, हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि देश में वैक्सीन लगाने की गति अपेक्षा से धीमी है। ऐसे में यह लक्ष्य तभी हासिल हो सकता है जब यह मुहिम और तेज़ हो। देश के कई राज्यों ने वैक्सीन ख़त्म होने की शिकायत भी की है, जिसकी वजह से कई केंद्रों को बंद करना पड़ा है।

आपको बता दें कि कुल कोरोना संक्रमण के मामले में भारत अमेरिका के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर पहुंच गया। अब तक देश में 1.38 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। अमेरिका में अब तक 3.1 करोड़ लोग इससे संक्रमित हैं। वहीं, तीसरे नंबर पर ब्राज़ील है जहां इसके अभी तक कोरोना के 1.35 करोड़ मरीज़ सामने आए हैं।

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