केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ 2.9 फीसद है। 9.9 लाख वाले केंद्रीय सशस्त्र पुलिसबलों में महिलाओं की कुल संख्या 29249 है जिनमें से सीआईएसएफ में 8631 महिलाएं सीआरपीएफ में 7860 और बीएसएफ में 5130 हैं। ट्रैफिक पुलिस में देश में 5979 महिलाओं की तैनाती है।
देशभर के पुलिसबलों में महिलाओं की हिस्सेदारी 16.5 फीसद बढ़ी है। यह आंकड़ा ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट की रिपोर्ट में सामने आया है। आंकड़ों के अनुसार, देशभर में पुलिस फोर्स की कुल तादाद 20,91,488 है, जिनमें 2,15,504 महिलाएं हैं, यानी कुल पुलिस बल में 10.3 फीसद महिलाएं हैं।
राज्यों में बिहार पुलिस में महिलाओं की सबसे ज्यादा 25.3 फीसद हिस्सेदारी है। बिहार पुलिस में नागरिक पुलिस, जिला सशस्त्र रिजर्व, विशेष सशस्त्र पुलिस और भारत रिजर्व बटालियन आते हैं। बिहार के बाद हिमाचल प्रदेश का नंबर है, जहां महिलाओं की हिस्सेदारी 19.15 फीसदी है। इसके बाद चंडीगढ़ में 18.78 फीसदी और तमिलनाडु में 18.5 फीसदी है। जम्मू और कश्मीर पुलिस में महिलाओं की सबसे कम 3.31 फीसदी हिस्सेदारी महिलाओं की है। इसके बाद तेलंगाना में 5.11 फीसदी की हिस्सेदारी है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि यह आंकड़ा 1 जनवरी, 2020 तक के आकलन के आधार पर है। रिपोर्ट के अनुसार, एनआईए में कुल 37 महिलाएं हैं, जो कि उसकी कुल संख्या का 4.64 प्रतिशत है। वहीं केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में कुल संख्या में 475 महिलाएं हैं, जो कि उसकी कुल संख्या का 7.96 प्रतिशत है।
केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ 2.9 फीसद है। 9.9 लाख वाले केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में महिलाओं की कुल संख्या 29,249 है, जिनमें से सीआईएसएफ में 8,631 महिलाएं, सीआरपीएफ में 7,860 और बीएसएफ में 5,130 हैं। ट्रैफिक पुलिस में राष्ट्रीय स्तर पर 5,979, स्पेशल ब्रांच में इंटेलीजेंस के मामलों से जुड़ी 3,632, आतंकवाद, गंभीर घटनाओं आदि से जुड़े मामलों में 516 महिलाओं की तैनाती है।
इतने पद पड़े हैं खाली
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 26.23 लाख पद हैं, जिनमें से 20.91 लाख पद ही भरे हैं। मतलब, 5.31 लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। जितने पद हैं, अगर वो सब भरे होते तो हमारे यहां 512 लोगों पर एक पुलिस जवान होता। बिहार की आबादी 12 करोड़ से अधिक है। यहां 91 हजार 862 पुलिसवाले हैं। यहां 1,312 लोगों पर एक पुलिसकर्मी है। यह आंकड़ा देश में सबसे ज्यादा है। दूसरे नंबर पर दमन-दीव है। यहां की 4.30 लाख आबादी पर 424 पुलिसवाले हैं। यानी 1014 लोगों पर एक जवान यहां पर है।
वीआईपी लोगों की सुरक्षा पर इतने पुलिसकर्मी
बंगाल, पंजाब और बिहार में सबसे अधिक पुलिसकर्मी वीआईपी सिक्योरिटी में लगे हुए हैं। 2019 में 19,467 मंत्री, सांसद, एमएलए, जज और नौकरशाहों समेत अन्य वीआपी की सुरक्षा में लगे हुए थे। दादर-नगर हवेली और लक्षद्वीप में वीआईपी सुरक्षा में क्रमश: एक और पांच पुलिसकर्मी लगे हुए हैं। बिहार में 5,611, पश्चिम बंगाल में 6,247 और पंजाब में 7,714 पुलिसकर्मी वीआईपी सुरक्षा में लगे हुए हैं। आंकड़े बताते है कि 2018 के मुकाबले 2019 में वीआईपी की संख्या में कमी आई है। 2018 में जहां 21,300 वीआईपी थे, वे 2019 में घटकर 19,467 रह गए। पर 2018 के अनुपात में 2019 में वीआईपी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी बढ़ गए। 2018 में जहां वीआईपी सुरक्षा में 63,061 पुलिसकर्मी तैनात थे, वे 2019 में 66,043 हो गए। दिल्ली में सबसे अधिक पुलिसकर्मी वीआईपी सुरक्षा पर हैं। यहां पर 8,182 पुलिसकर्मी 501 वीआईपी की सुरक्षा पर मुस्तैद हैं। यानी एक वीआईपी की सुरक्षा पर 16 पुलिसकर्मी लगा हुआ है। गोवा, उड़ीसा और केरल में क्रमश: 32, 48 और 57 पुलिसकर्मी वीआईपी सुरक्षा में लगे हुए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस की ट्रेनिंग में पूरे देश में 2019-20 में 1,566.85 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। 2014-15 में ट्रेनिंग के फंड में गिरावट आई थी, पर 2016 के बाद से इसमें उत्तरोतर बढ़ोतरी हुई है। 2019 में प्रति 100 पुलिसकर्मियों पर ट्रांसपोर्ट सुविधा का प्रतिशत 7.74 था, जिसमें 2018 के बनिस्पत मामूली कमी आई। 2018 में यह प्रतिशत 7.89 था।
पुलिसकर्मियों के पास इतने फैमिली क्वार्टर
राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में पुलिसकर्मियों को मिलने वाले फैमिली क्वार्टर में 2018 के मुकाबले 2019 में 8.20 प्रतिशत की कमी आई है। 2018 में पुलिसकर्मियों के पास 7,05,892 फैमिली क्वार्टर थे, जो 2019 में घटकर 6,47,977 रह गए। विभिन्न राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में कुल 23 पुलिस हाऊसिंग कॉर्पोरेशन हैं। पुलिस हाऊसिंग कार्पोरेशन विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में फैमिली क्वार्टर और ऑफिस बिल्डिंग का काम देखता है।