इस वर्ष बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में नागपंचमी का पर्व कोरोना गाइडलाईन का पालन करते हुए मनाया जा रहा है। महाकालेश्वर मंदिर में स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर के पट परंपरा अनुसार रात्रि 12 बजे खोल दिए गए। महानिर्वाणी अखाड़े के महंत ने भगवान नागचंद्रेश्वर का पूजन अर्चन किया उसके बाद मन्दिर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया। नागचंद्रेश्वर मन्दिर का पाट साल में एक बार नागपंचमी पर ही खोला जाता है जो कि 24 घण्टे तक खुला रहता है। हालांकि इस वर्ष श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है। दर्शन केवल मन्दिर की वेबसाइट, यूट्यूब, फेसबुक, लोकल चैनल व सोशल मीडिया के द्वारा ही किए जा सकते है।
विश्व भर में प्रसिद्ध है ये मंदिर
विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन की महत्ता हे। यहाँ महाकाल मंदिर के शीर्ष पर भगवान नागचंद्रेश्वर का अति प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में नाग पर विराजमान शिव पार्वती की अति दुर्लभ मूर्ति है। मान्यता है की मंदिर में नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा के दर्शन और पूजन से शिव पार्वती दोनों ही प्रसन्न होते है, साथ ही सर्प भय से भी मुक्ति मिलती है। नागपंचमी पर नाग को दूध पिलाने की भी परंपरा हे इसलिए पूजन अर्चन के दौरान महंत द्वारा नाग की प्रतिमा पर दूध चढ़ाया जाता है। उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मन्दिर में स्थित मूर्ति 11वीं शताब्दी के परमार काल की है। नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थापित प्रतिमा में शेषनाग की शैय्या पर भगवान शिव तथा पार्वती के साथ भगवान गणेश और कार्तिक भी विराजित है। बताया जाता है की यह प्रतिमा नेपाल से लाई गई थी।
कोरोना के चलते सिर्फ़ ऑनलाइन ही हो सकेंगे दर्शन
कोरोना गाइडलाईन को ध्यान में रखते हुए भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए प्रशासन ने माकूल इंतजाम किये हैं। हालांकि मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध है, इसके बावजूद सोशल मीडिया, लोकल चैनल व अन्य माध्यम से घर बैठे दर्शन कराए जा रहे हैं। भगवान महाकाल के दरबार में स्थित नागचंद्रेश्वर का मंदिर वर्ष में केवल एक बार ही खुलता हे।