कानपुर एनकाउंटर में शहीद हुए पुलिसकर्मियों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक सिपाही सुल्तान को दो गोलियां मारी गईं। अन्य पुलिसकर्मियों को आठ से दस गोलियां मारी गईं, जिससे उनकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई।
पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टर शरीर पर गोलियों के निशान देखकर दंग रह गए। पुलिसकर्मियों के सिर, चेहरे, हाथ, पैर, सीने और पेट में गोलियां लगीं। सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र के चेहरे पर एक गोली लगने से वाइटल ऑर्गन बाहर आ गया और उन्होंने तुरंत दम तोड़ दिया। डॉक्टरों के अनुसार, यही हाल अन्य पुलिसकर्मियों का भी हुआ होगा। ज्यादातर गोलियां शरीर के पार हो गईं। तीन पुलिसकर्मियों के शरीर में गोलियों के टुकड़े जरूर मिले जो हड्डियों से टकराने से कई टुकड़ों में बंट गए। गोलियां रायफल की बताई जा रही हैं। पोस्टमार्टम के दौरान मिले गोलियों के टुकड़ों को परीक्षण के लिए भेजा जाएगा।
चार डिप्टी सीएमओ और आठ डॉक्टरों ने किया पोस्टमार्टम
सीएमओ डॉ. अशोक कुमार शुक्ला के निर्देश पर चार डिप्टी सीएमओ, आठ डॉक्टरों व तीन वीडियोग्राफर की टीम शहीद पुलिसकर्मियों के पोस्टमार्टम में रही। इनमें डिप्टी सीएमओ डॉ. एपी मिश्र, डॉ. एसके सिंह, डॉ. अवधेश गुप्ता, डॉ. अरविंद यादव के निर्देशन में डॉ. विपुल चतुर्वेदी, डॉ. बीसी पाल, डॉ. परवीन सक्सेना, डॉ. राहुल कुमार वर्मा, डॉ. जीएन द्विवेदी, डॉ. शैलेंद्र कुमार और डॉ. धीरेंद्र कुमार ने पोस्टमार्टम किया। इस दौरान वीडियोग्राफी भी की गई।
मुठभेड़ में इन पुलिसकर्मियों की हुई मौत
- देवेंद्र कुमार मिश्र, सीओ बिल्हौर
- महेश यादव, एसओ शिवराजपुर
- अनूप कुमार, चौकी इंचार्ज मंधना
- नेबूलाल, सब इंस्पेक्टर शिवराजपुर
- सुल्तान सिंह, कांस्टेबल थाना चौबेपुर
- राहुल, कांस्टेबल बिठूर
- जितेंद्र, कांस्टेबल बिठूर
- बबलू, कांस्टेबल बिठूर
पुलिस के भेदिए ने मरवा दिए अपने ही आठ साथी
इस वारदात के पीछे विभाग के भेदिए ने गहरी साजिश रची है। उसने अपने साथियों को मौत के घाट उतरवाने में शातिर अपराधी और उसके गिरोह की मदद की है। डीजीपी का कहना है कि इस बिन्दु पर भी पूरी गम्भीरता के साथ जांच कराई जाएगी। घटना का सबसे बड़ा पहलू ही यही है कि पुलिस की दबिश से लेकर उसके मूवमेंट तक के पल-पल की खबर विकास दुबे और उसके गिरोह के पास पहुंच रही थी।
दबिश की जानकारी पहले पहुंची
पुलिस से ज्यादा तगड़ा नेटववर्क अपराधी का निकला। विकास दुबे को विभाग के किसी कर्मी ने पुलिस दबिश की पूरी सूचना दे दी। उसे यह तक बताया गया कि पुलिस देर रात कितने बजे दबिश मारने आएगी और कितने थानों की फोर्स के साथ सीओ आ रहे हैं। उस पर अपराधियों का हौसला डिगा नहीं। वह मौके से फरार नहीं हुए। बल्कि दबिश के लिए आ रही टीम के लिए तैयारी कर ली। अपराधी और उसके गिरोह के सदस्यों ने रास्ता ब्लॉक करने के सात अत्याधुनिक हथियारों के साथ छतों पर रहकर पुलिस का इंतजार किया। जब पुलिस पहुंची तो अंधाधुंध गोलियां चलाई गईं।
एसओ से हुई पूछताछ
बिकरू गांव चौबेपुर थानाक्षेत्र में आता है। जब दबिश दी गई तो बाकी थानों की फोर्स एसओ और सीओ आगे बढ़ गए मगर एसओ चौबेपुल विनय तिवारी जेसीबी के पीछे रहे। जबकि थानाक्षेत्र उनका था, इलाके में लगाए गए बीट कांस्टेबल उन्हें रिपोर्ट करते थे। गांव की भौगोलिक स्थिति के बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी थी। उसके बाद भी वह आगे नहीं बढ़े। इसी मामले में एसटीएफ के अधिकारियों ने देर शाम एसओ चौबेपुर से भी पूछताछ की